Special Drawing Rights and its Advantages and Criticism in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम विशेष आहरण अधिकार इसके लाभ और आलोचना के बारे में जानेंगे।


विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights - SDRs)

अन्तराष्ट्रीय तरलता को बढ़ाने के लिए अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विशेष आहरण अधिकार की शुरुआत की। इसे कागजी सोना भी कहा जाता है। इस योजना की शुरुआत IMF द्वारा अन्तराष्ट्रीय तरलता में आई कमी को पूरा करने के लिए की गई।


अन्तराष्ट्रीय तरलता का अभिप्राय किसी देश द्वारा आयातों के भुगतान की क्षमता से है। अगर कोई देश आयायों का भुगतान करने की स्थिति में नही है, तब वह देश अपने भुगतान शेष के घाटे को पूरा करने के लिए विशेष आहरण अधिकार (SDR) का प्रयोग ओर सकता है।


 

विशेष आहरण अधिकार इसके लाभ और आलोचना के बारे में जानकारी
विशेष आहरण अधिकार इसके लाभ और आलोचना के बारे में जानकारी




इस योजना की शुरुआत वर्ष 1969 में कई गयी थी। इसके अंतर्गत सदस्य देशों को SDR का कोटा आवंटित किया जाता है। वर्ष 1969 में SDR को एक अमेरिकन डॉलर के सोने के मूल्य के बराबर परिभाषित किया गया था, अर्थात एक SDR = 0.88867 ग्राम सोना। यह स्थिर विनिमय दर व्यवस्था 1973 में समाप्त कर दी गई। वर्ष 1973 में SDR को सदस्य की 16 सबसे अधिक प्रचलित मुद्राओं के आधार पर परिभाषित किया गया।

वैश्विक वित्तीय व्यवस्था

वर्ष 1981 में इन देशों की संख्या 16 से कम करके 5 कर दी गई। इनके अंतर्गत अमेरिकन डॉलर, ब्रिटिश पौंड, फ्रेंच फ्रैंक, जर्मन का डियूच मार्क, तथा जापान के येन को शामिल किया गया। वर्तमान में इसे यूरो, अमेरिकन डॉलर, ब्रिटिश पौंड व जापानी येन के मूल्यों के आधार पर परिभाषित किया जाता है।


प्रत्येक सदस्य देश को SDR का निर्धारित कोटा दिया जाता है। SDR एक कूपन की तरह होता है जिसे अन्तराष्ट्रीय भुगतान के समय विदेशी मुद्रा में बदला जा सकता है। SDR के कोटे का निर्धारण सदस्य देश द्वारा दी गयी पूंजी वे आधार पर किया जाता है। सदस्य देशों के SDR कोटे का प्रत्येक पांच वर्ष के बाद पुनर्वलोकन किया जाता है। ऐस सदस्य देश जिनके पास कम से कम 85 प्रतिशत वोटिंग हिस्सा है की 3/5 सहमति के सदस्य देशों का कोटा बदला जा सकता है। SDR को सदस्य देश अपने केंद्रीय बैंक में रखते है। भुगतान शेष के घाटे के समय, अगर कोई देश SDR के बदले विदेशी मुद्रा प्राप्त करना चाहे, तो इसके लिए उसे पहले IMF को आवेदन करना होगा। फिर IMF किसी देश को नियुक्त करेगा, जिसका भुगतान शेष आधिक्य वाला हो। यह देश SDR के बदले पहले देश को विदेशी मुद्रा उपलब्ध करवायेगा। सभी SDR व्यवहारों का रिकॉर्ड IMF के खातों में रखा जाता है।


अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा विशेष आहरण अधिकार शुरू करने से, विश्व व्यापार में अन्तराष्ट्रीय तरलता में वृद्धि हुई, वर्तमान में कुछ मुख्य देशों की मुद्राएं जैसे अमेरिकन डॉलर, यूरो, फ्रांस के फ्रैंक, जर्मनी का मार्क, जापान का येन, ब्रिटेन का पौंड को विश्व व्यापार में भुगतान के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इससे अन्तराष्ट्रीय तरलता में वृद्धि हुई है और विदेशी व्यापार को बढ़ावा मिला है।



SDR के लाभ (Benifits of SDRs)

1. अन्तराष्ट्रीय भुगतानों में सोने पर निर्भरता कम हो गयी है।


2. अन्तराष्ट्रीय तरलता में वृद्धि हुई है।


3. प्रतिकूल भुगतान शेष वाले देशों को इससे लाभ हुआ है।


4. सोने की तुलना में SDR को रखना काफी आसान है, और सोने की तरह इसके चोरी होने का भय नही है। यह एक तरह का कागजी कूपन है, जिसकी निर्माण लागत कम होती है।


5. SDR द्वारा किए गए भुगतान सुविधाजनक व लोचशील होते है।



SDR की आलोचना (Criticism of SDRs)

1. वर्ष 1999 में कुल SDR को 70 प्रतिशत हिस्सा 26 अमीर देशों को ही वितरित किया गया। जबकि अल्पविकसित देशों को 30 प्रतिशत हिस्सा ही प्राप्त हुआ। अतः विकासशील देशों को SDR से अधिक फायदा नही हुआ।


2. विकसित देशों तथा विकासशील देशों से ली जाने वाली ब्याज की दर में कोई भेद नही किया गया।


3. कोटे के निर्धारण सदस्य देशों की विकासात्मक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नही किया गया।


4. शुरू में SDR पर लिए जाने वाले ब्याज की दर 1.5 प्रतिशत थी, लेकिन अब ब्याज दर 5 चुने देशों के बाजार ब्याज दर के औसत के आधार पर ली जाती है। अब ब्याज दर अधिक की गई है, इससे विकासशील देशों पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

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