Control by Government in International Business in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में सरकार द्वारा नियंत्रण के बारे में जानेंगे।


सरकार द्वारा नियंत्रण (Control by Government )

घरेलू देश की सरकार व मेजबान देश की सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर नियंत्रण करती है। सरकार विदेशी व्यवसाय को बढ़ावा भी दे सकती है या उस पर रोक भी लगा सकती है। विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकार निर्यातों व आयातों पर लगे विभिन्न प्रतिबन्धों को कम करती है व इन पर प्रोत्साहन देती है।


आयात उदारीकरण में टैरिफ में कटौती, आयात कोटा, परमिट, लाइसेंस की समाप्ति, आयात अनुदान, आयात मदों को प्रतिबंधित सूची से सामान्य सूची में हस्तांतरित करना आदि शामिल है।



अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में सरकार द्वारा नियंत्रण
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में सरकार द्वारा नियंत्रण




निर्यात उदारीकरण में निर्यातकों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना, निर्यात पर अनुदान, निर्यात करों को समाप्त करना, निर्यात प्रोसेसिंग क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करना, निर्यात लाइसेंस से मुक्ति आदि शामिल है।


सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न नीतियां जैसे निर्यात आयात नीति, विदेशी निवेश नीति व अन्य प्रावधान आदि भी बनाती है जो निम्नलिखित है :

1. निर्यात आयात नीति - निर्यात आयात नीति देश कर निर्यातों और आयातों के नियमन व नियंत्रण के लिए नियम व प्रावधान बनाती है। इस नीति को विदेशी व्यापार नीति भी कहा जाता है। इस नीति के सरकार द्वारा निर्यातों को बढ़ावा देने व आयातों को नियमित करने के लिए दिशा निर्देश तय किए जाते है। इस नीति में घरेलू वातावरण व वैश्विक वातावरण में आ रहे बदलावों के साथ साथ, समय समय पर, जरूरी परिवर्तन किए जाते है। इस नीति के द्वारा सरकार के आयात निर्यात के प्रति दृष्टिकोण की जानकारी निर्यातकों व आयातकों को दी जाती है। यह नीति देश के निर्यातों व आयातों को नियमित करती है।

आंतरिक नियंत्रण संयंत्र

2. विदेशी निवेश नीति - यह नीति अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश के अन्तरप्रवाह व बाहरी प्रवाह को नियमित करती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश की उच्चतम सीमा सम्बन्धी नियम बनाती है। यह बहुराष्ट्रीय कंपनी से ब्याज, रॉयल्टी, तकनीकी फीस की पुनः वापसी सम्बन्धी नियम तथा घरेलू अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशक प्रवेश के तरीकों सम्बन्धी प्रावधान भी निर्धारित करती है। सभी विदेशी निवेशों व तकनीकी समझौतों पर यह नीति लागू होती है। वर्तमान में लगभग सभी देशों में विदेशी निवेश नीति को उदार बना दिया गया है। तथा विदेशी निवेश के अन्तरप्रवाह पर लगी उच्चतम सीमा को हटा दिया गया है।


3. बहुराष्ट्रीय निगमों का नियमन - बहुराष्ट्रीय  निगमों के गुण तथा दोषों के विवेचन के बाद यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ये निगम तभी अल्पविकसित देशों के आर्थिक विकास के प्रेरक बन सकते है। जब इनके तथा मेजबान देश के हितों में समानता उतपन्न हो जाए। इनके गुणों का लाभ विभिन्न प्रकार की नीतियों का निर्माण करके तथा इनके स्वतंत्र प्रसार पर नियंत्रण करके ही उठाया जा सकता है।

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