Advantages of Counter Trade in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में प्रति व्यापार के लाभों के बारे में बताया गया है।


प्रति व्यापार के लाभ (Advantages of Counter Trade)

1. भुगतान शेष पर कोई भार नही - प्रति व्यापार व्यवहारों में एक देश के आयात व निर्यात बराबर होते है। अतः प्रति व्यापार का भुगतान शेष पर कोई प्रभाव नही पड़ता। प्रति व्यापार एओ तरह का वस्तु विनिमय व्यापार है, इसलिए इस व्यापार में विदेशी मुद्रा की जरूरत नही पड़ती। इससे देश के भुगतान शेष पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ता। यह व्यापार उन देशों के लिए और भी उपयोगी है जिनका भुगतान शेष प्रतिकूल है।


 

प्रति व्यापार के लाभ के बारे में जानकारी
प्रति व्यापार के लाभ के बारे में जानकारी




2. अधिक ऋणों से दबे देशों के लिए सहायक - अधिकतर विकासशील देश ऋण संकट से गुजर रहे है। इनके ऊपर विदेशी ऋणों का भार काफी अधिक है। ये देश अपने आयातों का भुगतान करने के लिए और विदेशी ऋण लेने की स्थिति में नही है। प्रति व्यापार ऐसे देशों को बिना अतिरिक्त विदेशी ऋणों के अनिवार्य आयात करने में मदद देता है क्योंकि प्रति व्यापार में आयातों आया भुगतान विदेशी मुद्रा से न करके अपने निर्यातों से किया जाता है।


3. विकासशील देशों के निर्यातों में वृद्धि - प्रति व्यापार में अपने आयातों का भुगतान निर्यातों से किया जाता है। प्रति व्यापार में एक देश आयात करते समय, दूसरे देश के साथ एक निश्चित अवधि के बराबर मूल्य के निर्यात की पूर्व शर्त लगाता है। इससे इन देशों के निर्यातों में वृद्धि होती है। इससे विकासशील देशों के निर्यातकों को नए अन्तराष्ट्रीय बाजार व नए विदेशी ग्राहक मिलते है।

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4. निर्यातों में स्थिरता - प्रति व्यापार में निर्यात आदेश सुनिश्चित होते है। इससे निर्यातों में स्थिरता आती है। निर्यातों में स्थिरता से निर्यात उत्पादों की मांग का जोखिम समाप्त हो जाता है। दीर्घकालीन प्रति व्यापार व्यवहार निर्यातकों को दीर्घकालीन लाभ प्रदान करते है। प्रति व्यापार में सुनिश्चित आदेशो के कारण निर्यातक अपने उत्पाद की किस्म में सुधार लाते है। इससे भी निर्यातों में स्थिरता आती है।


5. नए बाजार क्षेत्रों में आसानी से प्रवेश - प्रति व्यापार समझौतों से एक देश नए बाजारों में आसानी से प्रवेश कर सकता है। प्रति व्यापार समझौतों से एक देश अपने अतिरिक्त उत्पादन के लिए विभिन्न देशों के बाजारों में पहुंच प्राप्त कर लेता है। इन समझौतों में विदेशी व्यापार के लिए विदेशी विनिमय की जरूरत नही पड़ती। अतः ये समझौते एक देश को नए बाजार क्षेत्रों की उपलब्धता करवा कर व्यापार विविधीकरण में सहायक होते है।

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6. प्रतिबंधात्मक विदेशी व्यापार नीति के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में सहायक - कुछ राष्ट्र अधिक टैरिफ लगाकर तथा गौर टैरिफ प्रतिबन्ध लगाकर प्रतिबंधात्मक विदेशी व्यापार नीति अपनाते है। प्रति व्यापार समझौतों में विभिन्न देशों के बीच वस्तु विनिमय सम्बन्धी दीर्घकालीन समझौते हो जाते है, इससे प्रतिबंधात्मक विदेशी व्यापार नीति का ऋणात्मक प्रभाव कम हो जाता है।


7. आगतों की आपूर्ति सुनिश्चित करवाने के लिए विकसित देशों को सहायक - विकसित तथा विकासशील देशों के बीच होने वाले प्रति व्यापार समझौते विकसित देशों को विकासशील देशों से कच्चे माल की नियमित आपूर्ति करवाने में सहायक होते हैं सामान्यतया इन समझौतों में औद्योगिक राष्ट्र निर्मित माल या पूंजीगत सामान विकासशील देशों को उपलब्ध करवाते है तथा इसके प्रतिफल में विकासशील देशों से कच्चे माल, कलपुर्जे आदि प्राप्त करते है।

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