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इस पोस्ट में एकीकृत वित्तीय विवरण के बारे में जानेंगे।
एकीकृत वित्तीय विवरण (Consolidated Financial Statements)
जब दो या दो से अधिक कंपनियों के वित्तीय विवरणों को मिलाकर एकीकृत रूप से तैयार किया जाता है तब इसे वित्तीय विवरणों का एकीकरण कहा जाता है।
बहुराष्ट्रीय निगमों की सहायक कंपनियां बहुत से देशों में कार्यरत होती है। ये सभी सहायक कंपनियां तथा बहुराष्ट्रीय कंपनी अपने अलग अलग वित्तीय विवरण तैयार करती है। बाद में बहुराष्ट्रीय कंपनी अपने वित्तीय विवरणों तथा अपनी सभी सहायक कपनियों के वित्तीय विवरणों को मिलाकर एक एकीकृत वित्तीय विवरण तैयार करती है।
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एकीकृत वित्तीय विवरण के बारे में जानकारी |
एकीकृत वित्तीय विवरणों में पूरे समूह यानी मूल कंपनी एवं इसकी सभी सहायक कंपनियों का एक ही लाभ हानि खाता तथा एक ही स्थिति विवरण तैयार किया जाता है।
अन्तराष्ट्रीय लेखांकन प्रमाप
एकीकृत लाभ हानि खाते से पूरे समूह के कुल लाभ का एकीकृत स्थिति विवरण से पूरे समूह की वित्तीय स्थिति का पता लग जाता है। अगर सहायक कंपनी के कुछ अंश बाहरी पक्षों के पास है, तब सहायक कंपनी की शुद्ध सम्पत्तियों में बाहरी पक्षों के आनुपातिक हिस्से को अल्पमत हित के रूप में एकीकृत स्थिति विवरण के दायित्व पक्ष में दिखाया जाता है।
एकीकृत वित्तीय विवरण तैयार करते समय समूह की कंपनियों के आपसी लेन देनों को आपस मे समायोजित कर दिया जाता है।
बहुराष्ट्रीय निगमों की सहायक कंपनियां विश्वभर में कार्यरत होती है। बहुराष्ट्रीय निगम व इसकी सहायक कंपनियां उस देश की करेंसी में वित्तीय विवरण बनाती है जिस देश मे ये कार्यरत होती है। जब सहायक कंपनियों तथा सूत्रधारी बहुराष्ट्रीय निगम के मूल देश के खातों को एकीकृत करना पड़ता है तब करेंसी अनुवाद की समस्या आती है।
करेंसी अनुवाद में सहायक कंपनियों के खातों को मूल देश की करेंसी में अनुवाद किया जाता है। सहायक कंपनियों के खातों को बहुराष्ट्रीय कंपनी की मुख्य करेंसी में अनुवाद करके ही एकीकृत वित्तीय विवरण बनाए जा सकते है।
वित्तीय विवरणों की करेंसी अनुपात के लिए दो विधियां प्रचलित है।
1. चालू दर विधि
2. टेम्पोरल विधि
1. चालू दर विधि - चालू दर स्थिति में स्थिति विवरण के बनाए जाने वाली तिथि पर चल रहे विनिमय दर के आधार पर सहायक कंपनियों के वित्तीय विवरणों को मूल देश की करेंसी में बदला जाता है। इस विधि को अंतिम दर विधि भी कहते है। करेंसी अनुवाद की यह विधि बहुत सरल है क्योंकि इसमें एक ही विनिम दर के आधार पर सहायक कंपनियों के खातों की मूल देश की करेंसी में बदला जाता है। इस विधि में अलग अलग विनिमय दरों का प्रयोग नही किया जाता। लेकिन यह विधि ऐतेहासिक लागत अवधारणा के असंगत है।
2. टेम्पोरल विधि - इस विधि में सहायक कंपनियों के खातों को मूल देश की करेंसी में अनुवाद करते समय विभिन्न विनिमय दरों का प्रयोग किया जाता है। सम्पत्ति को खरीदने वाले दिन की विनिमय दर को उस सम्पत्ति की करेंसी के अनुवाद में प्रयोग किया जाता है। चूंकि सहायक कंपनी विभिन्न सम्पत्तियों को विभिन्न तिथियों पर खरीद सकती है, तब इन विभिन्न सम्पत्तियों का मूल देश की करेंसी के अनुवाद करते समय विभिन्न दरों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में भी मूल देश की करेंसी तथा सहायक कंपनियों के देश की करेंसी के बीच विनिमय दरों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में भी मूल देश की करेंसी तथा सहायक कंपनियों के देश की करेंसी के बीच विनिमय दर के उच्चावचनों से गुमराह करने वाले परिणाम प्राप्त होते है।
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