International Accounting in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में अन्तराष्ट्रीय लेखांकन के बारे में जानेंगे।


अन्तराष्ट्रीय लेखांकन (International Accounting)

लेखांकन व्यवसाय की भाषा है। लेखांकन में व्यवसाय में हित रखने वाले विभिन्न पक्षकारों, जैसे विनियोगकर्ताओं, लेनदारों, पूर्तिकर्ताओं, कर्मचारियों, सरकार, अनुसंधानकर्ताओं आदि को व्यवसाय की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रत्येक व्यावसायिक इकाई यह जानना चाहती है कि उन्हें वर्ष में कितना लाभ या कितनी हानि हुई है, उन्हें किस किस व्यक्ति से कितना रुपया लेना है या कितना रुपया देना है।


अन्तराष्ट्रीय लेखांकन के बारे में जानकारी
अन्तराष्ट्रीय लेखांकन के बारे में जानकारी




व्यावसायिक इकाई, व्यवसाय की वित्तीय स्थिति अर्थात व्यवसाय की क्या सम्पत्तियां हैं तथा व्यवसाय के क्या दायित्व है, के बारे में जानना चाहती है। व्यवसाय के प्रबन्धकों को नियोजन, निर्णय लेने, कार्यकुशल ढंग से व्यवसाय को चलाने, व्यवसाय के वास्तविक निष्पादन पर नियंत्रण रखने तथा इसका मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न लेखांकन सूचनाओं की जरूरत पड़ती है।


लेखांकन से व्ययवसायिक लेन देनों के बारे में सम्पूर्ण तथा व्यवस्थित जानकारी प्राप्त होती है। लेखांकन से सरकार को दिए जाने वाले करों तथा शुल्कों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है। लेखांकन सूचनाएं विश्वसनीय, समझने में आसान, तुलना योग्य तथा वैधानिक मापदंडों के अनुरूप होनी चाहिए। लेखांकन सूचनाओं में सम्पूर्णता, समयबद्धता, निष्पक्षता आदि गुण भी होने चाहिए। कुशल लेखांकन व्यवस्था व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी है।


अन्तराष्ट्रीय व्यावसायिक इकाइयां, विभिन्न लेखांकन समस्याओं का सामना करती है, जो एक घरेलू व्यावसायिक इकाई को सामना नही करनी पड़ती। विभिन्न प्रमापों में एकरूपता का अभाव है। विभिन्न देशों में अलग अलग लेखांकन प्रमापों को अपनाया गया है। बहुराष्ट्रीय निगम की सहायक कंपनियां विभिन्न देशों में कार्यरत होती है।


ये सहायक कंपनियां जिस देश मे कार्यरत होती है उस देश के लेखांकन प्रमापों, लेखांकन निगमों, लेखांकन पद्धति एवं व्यवहार के आधार पर लेखांकन रिकॉर्ड तैयार करती है। सहायक कंपनियां इस देश मे कार्यरत है उस देश की घरेलू करेंसी में लेखे तैयार करती है।


विभिन्न देशों में विभिन्न प्रकार के लेखांकन व्यवहार तथा पद्धतियां अपनाई गई है। जैसे यूरोप के देशों में चिट्ठे या स्थिति विवरण को स्थायित्व क्रम में बनाया जाता है। स्थायित्व क्रम में स्थायी सम्पत्तियों को सम्पत्ति पक्ष में सबसे पहले लिखा जाता है तथा तरल सम्पत्तियों को सम्पत्ति पक्ष में सबसे अंत मे लिखा जाता है।


भारत मे भी स्थिति विवरण को स्थायित्व क्रम में ही बनाया जाता है। जबकि अमेरिका में स्थिति विवरण को तरलता क्रम में बनाया जाता है। तरलता क्रम में सर्वाधिक तरल सम्पत्ति जैसे रोकड़ को स्थिति विवरण के सम्पत्ति पक्ष में सबसे पहले तथा स्थायी सम्पत्तियों को सबसे अंत में दिया जाता है।


बहुराष्ट्रीय निगमों को एकीकृत वित्तीय विवरण तैयार करते समय विभिन्न समस्याओं जैसे करेंसी अनुवाद, विभिन्न प्रकार के लेखनों व्यवहारों, लेखांकन नीतियों, लेखांकन प्रमापों आदि का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा विभिन्न लेखांकन व्यवहारों के कारण, विभिन्न देशों में कार्यरत सहायक कंपनियों के निष्पादन मूल्यांकन तथा तुलना में भी कठिनाई आती है।


अमेरिका मव बहुराष्ट्रीय निगम केवल एकीकृत लेखे ही प्रस्तुत करते है। जबकि यूरोप के देशों में बहुराष्ट्रीय निगम अपने मूल देश के लेखों को तथा एकीकृत लेखों दोनों को प्रस्तुत करते है। आजकल वैश्वीकरण के बढ़ने से निवेशक तथा व्यावसायिक इकाइयों की शाखाएं विश्वभर में फैल गयी है। व्यावसायिक इकाइयों को विभिन्न देशों के निवेशकों को वित्तीय परिणामों से अवगत करवाना पड़ता है। अतः वैश्वीकरण के बढ़ने से वैश्विक अनुरूप लेखांकन की जरूरत बढ़ गयी है। 

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