Need for Harmonising Accounting Difference Across Nations in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में विभिन्न देशों के लेखांकन विभिन्नताओं में अनुरूपता लाने की जरूरतों के बारे में जानेंगे।

विभिन्न देशों में लेखांकन प्रमाप, लेखांकन नीतियां, लेखांकन व्यवहार अलग अलग होने के कारण विभिन्न देशों के लेखांकन रिकॉर्डों में एकरूपता का अभाव है। लेखांकन में अनुरूपता लाने की आवश्यकता निम्न चर्चा से स्पष्ट हो जाती है :



विभिन्न देशों के लेखांकन विभिन्नताओं में अनुरूपता लाने की जरूरतों के बारे में जानकारी
विभिन्न देशों के लेखांकन विभिन्नताओं में अनुरूपता लाने की जरूरतों के बारे में जानकारी




1. बढ़ता वैश्वीकरण - पहले व्ययवसायिक क्रियाएं एक देश तक सीमित थी। अब वैश्वीकरण के बढ़ने से ऐसी व्यावसायिक इकाइयों की संख्या बहुत बढ़ गयी है जिनका व्यवसाय विश्व के विभिन्न देशों में फैला हुआ है। आजकल बहुराष्ट्रीय निगमों ने अपनी शाखाएं या सहायक कंपनियां विभिन्न देशों में खोली हुई है। विभिन्न देशों के लेखांकन व्यवहारों में विभिन्नता होने से ये सहायक कंपनियां लेखांकन रिकॉर्ड तैयार करने में व इसे मूल देश में रिपोर्ट करने में कठिनाई का सामना करते है।


2. वित्तीय परिणामों में तुलनात्मकता बढ़ाने के लिए - विभिन्न देशों के लेखांकन अलग अलग प्रमापों, नीतियों, व्यवहारों के कारण तुलना योग्य नही होते तथा इनमें एकरूपता का अभाव होता है। उदाहरण के लिए ख्याति को अपलिखित करने, अनुसन्धान एवं विकास पर किए व्यय को लेखों में दर्शाने, समता पूंजी पर प्रत्याय की गणना करने, विक्रय किए गए माल की लागत निकालने आदि के प्रावधान अलग अलग देशों में अलग अलग है। अमेरिका में व्यवसाय खरीदने पर ख्याति के लिए दी गई राशि को अपलिखित कर दिया जाता है, लेकिन कुछ देशों में ख्याति को निरन्तर सम्पत्ति में दिखाया जाता है तथा इसे अपलिखित नही किया जाता। कुछ देशों जैसे भारत, जर्मनी, जापान के लेखांकन ऐतेहासिक लागत अवधारणा पर आधारित है जबकि नीदरलैंड में चालू लागत अवधारणा को अपनाया गया है।

अन्तराष्ट्रीय लेखांकन जाने

3. एक देश से दूसरे देश में किए गए निवेशों में वृद्धि - आजकल निवेशक अन्तराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करने लगे है। वैश्विक पूंजी बाजारों के विकास से, प्रतिभूतियों के ऑनलाइन क्रय विक्रय से, इंटरनेट बैंकिंग के विकास से, एक निवेशक एक देश से विभिन्न देशों की प्रतिभूतियों में निवेश कर सकता है। आजकल निवेशक ऐसे देश मे निवेश करना पसंद करते है जहां विकास की संभावनाएं अधिक हो। लेकिन ये निवेशक विभिन्न देशों की कंपनियों द्वारा जारी लेखांकन विवरणों को समझने में मुश्किलों का सामना कर रहे है क्योंकि विभिन्न देशों में लेखांकन नीतियों में विभिन्नता होने के कारण लेखा रिकॉर्ड अलग अलग तरह से तैयार किए जाते है।


4. ट्रांसनेशनल फाइनेंसिंग में वृद्धि - ट्रांसनेशनल फाइनेंसिंग में एक देश की व्यावसायिक इकाई विभिन्न देशों के पूंजी बाजारों में प्रतिभूतियां निर्गमित करके वित्त एकत्रित करती है, जैसे विभिन्न भारतीय कंपनियों ने अमेरिका के पूंजी बाजारों में अमेरिकन जमा प्राप्तियां तथा यूरोपियन पूंजी बाजारों में विश्व जमा प्राप्तियां जारी करके वित्त एकत्रित किया है। वैश्विक पूंजी बाजारों से वित्त एकत्रित करते समय इन कंपनियों को उन देशों के लेखांकन प्रमापों के अनुसार वित्तीय विवरण तैयार करने पड़ते है।


5. वित्तीय विवरणों की एकीकृत करने में समस्या- बहुराष्ट्रीय निगमों को अपने घरेलू देश, जहां इन निगमों के मुख्यालय स्थित है, के लेखांकन प्रमापों के अनुसार एकीकृत वित्तीय विवरण बनाने पड़ते है। लेकिन इन बहुराष्ट्रीय निगमों की सहायक कंपनियां जिन देशों में कार्यरत हैं, वहां के लेखांकन प्रमापों के अनुसार लेखे तैयार करती है। इससे एकीकृत वित्तीय विवरण बनाने में समस्या आती है।


6. विभिन्न सहायक कंपनियों के निष्पादन मूल्यांकन के तुलनात्मक विश्लेषण में समस्या - बहुराष्ट्रीय निगम अपनी विभिन्न देशों में कार्यरत सहायक कंपनियों के निष्पादन मूल्यांकन का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहते है। विभिन्न सहायक कंपनियों में से कुशल सहायक कंपनियों का पता लगा कर इसके आकार के विस्तार की योजना बनाई जाती है। विभिन्न सहायक कंपनियों के तुलनात्मक निष्पादन मूल्यांकन के लिए एकरूप/समरूप लेखांकन का होना अति आवश्यक है।


7. बढ़ता आर्थिक एकीकरण - क्षेत्रीय आर्थिक समूहों के बढ़ते प्रसार से विभिन्न देश एक दूसरे के नजदीक आ रहे है। जैसे यूरोपियन यूनियन जो 28 यूरोपियन देशों का क्षेत्रीय समूह है, आर्थिक एकीकरण की ओर बढ़ रहा है, जिसमें वस्तुओं व सेवाओं के स्वतंत्र प्रवाह पर, पूंजी और श्रम के एक देश से दूसरे देश मे आने जाने पर कोई रोक टोक नही होती तथा इस संघ के सभी सदस्य देशों की व्यापारिक व आर्थिक नीतियां में समरूपता होती है। यह आर्थिक एकीकरण, आर्थिक समूह के सदस्य देशों के लेखांकन व्यवहारों में एकरूपता होने पर और भी कार्यकुशल, व्यवहारिक तथा सदस्य देशों को स्वीकृत होगा।

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