Steps Involved in a Typical International Trade Transaction in Hindi
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में एक विशेष अन्तराष्ट्रीय व्यापार व्यवहार में शामिल चरणों के बारे में जानेंगे।
एक विशेष अन्तराष्ट्रीय व्यापार व्यवहार में शामिल चरण (Steps Involved in a Typical International Trade Transaction)
1. आयातक, निर्यातक को वस्तुओं को क्रय करने का आदेश देता है।
2. निर्यातक क्रय आदेश प्राप्त करने पर, आयातक को निर्धारित वस्तुएं, निर्धारित दरों पर उपलब्ध करवाने की सहमति व्यक्त करता है।
एक विशेष अन्तराष्ट्रीय व्यापार व्यवहार में शामिल चरण |
3. आयातक अपने बैंक से साख पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन करता है। बैंक आयातक की साख गुणवत्ता से संतुष्ट होकर साख पत्र जारी करने के लिए राजी हो जाता है। इसकेलिए बैंक आयातक को कुछ राशि जमा कराने या प्रतिभूति देने या सहायक प्रतिभूति देने को कहता है। बैंक साख पत्र जारी करने के लिए निर्धारित दर से कमीशन लेता है। साख पत्र में बैंक निर्यातक को निर्यात व्यवहार की शर्तें पूरी करने पर, निर्धारित राशि देने का वचन देता है। निर्यातक इस साख पत्र के आधार पर अपने बैंक से पूर्व निर्यात वित्त भी प्राप्त कर सकता है।
4. आयातक का बैंक, साख पत्र को निर्यातक के बैंक के पास भेज देता है। निर्यातक का बैंक साख पत्र प्राप्त करने पर इसकी सूचना निर्यातक को देता है।
अन्तराष्ट्रीय संभार तन्त्र प्रबन्ध
5. निर्यातक अपने बैंक से साख पत्र प्राप्ति की सूचना पाकर, आयातक को निर्धारित वस्तुएं भेज देता है। इसके लिए निर्यातक इन वस्तुओं को शिपिंग कंपनी या ट्रांसपोर्ट कैरियर को दे देता है। यह शिपिंग कंपनी या ट्रांसपोर्ट कैरियर वस्तुओं को प्राप्त करने पर जहाजी बिल्टी जारी करती है। जहाजी बिल्टी वस्तुओं की प्राप्ति व स्वामित्व के प्रमाण पत्र को प्रपत्र माना जाता है। आयातक इस जहाजी बिल्टी को मूल प्राप्ति के आधार पर ही शिपिंग कंपनी या ट्रांसपोर्ट कैरियर के सामान की सुपुर्दगी ले सकता है।
6. निर्यातक एक विनिमय पत्र लिखता है जिसमें वह आयातक के बैंक को निर्धारित समय पर निर्धारित राशि अदा करने का निर्देश देता है, यह बिल निर्यातक के लिए प्राप्य बिल तथा आयातक के बैंक के लिए भुगतान बिल कहलाता है। अन्तराष्ट्रीय व्यापार में सामान्यतया दो प्रकार के बिल प्रचलित है दर्शनी बिल तथा सामयिक बिल। दर्शनी बिल का भुगतान बिल के प्रस्तुत करने पर तथा सामयिक बिल का भुगतान निर्धारित अवधि के बाद करना होता है।
7. निर्यातक विनिमय पत्र, जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्रों को अपने बैंक के भेज देता है। निर्यातक का बैंक विनिमय पत्र को स्वीकृति के लिए आयातक के बैंक के पास भेज देता है। आयातक का बैंक बिल पर अपनी स्वीकृति देकर इसे निर्यातक के बैंक के पास भेज देता है। निर्यातक का बैंक जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्रों को भी आयातक के बैंक के पास भेज देता है। निर्यातक इस बिल की कटौती करवाकर, निर्धारित समय से पूर्व भी निर्यात राशि को प्राप्त कर सकता है।
8. आयातक का बैंक जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्रों की प्राप्ति की सूचना आयातक को देता है। आयातक का बैंक, आयातक को इस आयात व्यवहार की अंतिम राशि जमा करवाने का निर्देश देता है। आयातक का बैंक इस राशि को आयातक के नाम पर ऋण के रूप के भी दिखा सकता है। इस दशा में आयातक अपनी सुविधा के अनुसार बैंक को भुगतान कर सकता है। बैंक इस ऋण राशि पर आयातक से ब्याज आय प्राप्त करता है।
9. आयातक का बैंक, आयातक को जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्र दे देता है जिसके आधार पर आयातक शिपिंग कंपनी से सामान की सपुर्दगी प्राप्त कर लेता है।
10. बिल की देय तिथि पर, निर्यातक का बैंक भुगतान के लिए बिल को आयातक के बैंक के पास प्रस्तुत करता है। आयातक का बैंक इस राशि का भुगतान निर्यातक बैंक को कर देता है।
4. आयातक का बैंक, साख पत्र को निर्यातक के बैंक के पास भेज देता है। निर्यातक का बैंक साख पत्र प्राप्त करने पर इसकी सूचना निर्यातक को देता है।
अन्तराष्ट्रीय संभार तन्त्र प्रबन्ध
5. निर्यातक अपने बैंक से साख पत्र प्राप्ति की सूचना पाकर, आयातक को निर्धारित वस्तुएं भेज देता है। इसके लिए निर्यातक इन वस्तुओं को शिपिंग कंपनी या ट्रांसपोर्ट कैरियर को दे देता है। यह शिपिंग कंपनी या ट्रांसपोर्ट कैरियर वस्तुओं को प्राप्त करने पर जहाजी बिल्टी जारी करती है। जहाजी बिल्टी वस्तुओं की प्राप्ति व स्वामित्व के प्रमाण पत्र को प्रपत्र माना जाता है। आयातक इस जहाजी बिल्टी को मूल प्राप्ति के आधार पर ही शिपिंग कंपनी या ट्रांसपोर्ट कैरियर के सामान की सुपुर्दगी ले सकता है।
6. निर्यातक एक विनिमय पत्र लिखता है जिसमें वह आयातक के बैंक को निर्धारित समय पर निर्धारित राशि अदा करने का निर्देश देता है, यह बिल निर्यातक के लिए प्राप्य बिल तथा आयातक के बैंक के लिए भुगतान बिल कहलाता है। अन्तराष्ट्रीय व्यापार में सामान्यतया दो प्रकार के बिल प्रचलित है दर्शनी बिल तथा सामयिक बिल। दर्शनी बिल का भुगतान बिल के प्रस्तुत करने पर तथा सामयिक बिल का भुगतान निर्धारित अवधि के बाद करना होता है।
7. निर्यातक विनिमय पत्र, जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्रों को अपने बैंक के भेज देता है। निर्यातक का बैंक विनिमय पत्र को स्वीकृति के लिए आयातक के बैंक के पास भेज देता है। आयातक का बैंक बिल पर अपनी स्वीकृति देकर इसे निर्यातक के बैंक के पास भेज देता है। निर्यातक का बैंक जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्रों को भी आयातक के बैंक के पास भेज देता है। निर्यातक इस बिल की कटौती करवाकर, निर्धारित समय से पूर्व भी निर्यात राशि को प्राप्त कर सकता है।
8. आयातक का बैंक जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्रों की प्राप्ति की सूचना आयातक को देता है। आयातक का बैंक, आयातक को इस आयात व्यवहार की अंतिम राशि जमा करवाने का निर्देश देता है। आयातक का बैंक इस राशि को आयातक के नाम पर ऋण के रूप के भी दिखा सकता है। इस दशा में आयातक अपनी सुविधा के अनुसार बैंक को भुगतान कर सकता है। बैंक इस ऋण राशि पर आयातक से ब्याज आय प्राप्त करता है।
9. आयातक का बैंक, आयातक को जहाजी बिल्टी एवं अन्य आवश्यक प्रपत्र दे देता है जिसके आधार पर आयातक शिपिंग कंपनी से सामान की सपुर्दगी प्राप्त कर लेता है।
10. बिल की देय तिथि पर, निर्यातक का बैंक भुगतान के लिए बिल को आयातक के बैंक के पास प्रस्तुत करता है। आयातक का बैंक इस राशि का भुगतान निर्यातक बैंक को कर देता है।
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