The Lessard-Lorange Model in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में लेसर्ड-लोरेंज मॉडल के बारे में जानेंगे।


लेसर्ड-लोरेंज मॉडल (The Lessard-Lorange Model)

किन्ही दो देशों के बीच विनिमय दर वर्ष भर एक समान नही रहती। इसमें परिवर्तन आते रहते है। कईं बार वर्ष के प्रारम्भ और अंत के विनिमय दर में अत्यधिक अंतर होता है। किसी भी व्यावसायिक इकाई का बजट साल के आरम्भ में बनाया जाता है, जबकि वास्तविक निष्पादन को वर्ष के अंत में मापा जाता है।



लेसर्ड-लोरेंज मॉडल के बारे में जानकारी
लेसर्ड-लोरेंज मॉडल के बारे में जानकारी




अगर बजट में निर्धारित प्रमापों की तुलना वास्तविक निष्पादन के साथ घरेलू करेंसी में की जानी है तो विनिमय दर में बदलाव इस तुलनात्मक अध्ययन को प्रभावित नही करेंगे। परन्तु अगर मूल कंपनी तथा सहायक कंपनी अलग अलग देशों में है तथा सहायक कंपनी के वित्तीय परिणामों का मूल्यांकन मूल कंपनी द्वारा किया जाना है तो सहायक कंपनी के वित्तीय विवरणों को मूल देश की घरेलू मुद्रा में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया में में विनिमय दरों का प्रयोग किया जाता है।


ऐसा प्रायः तभी होता है जब बहुराष्ट्रीय कंपनी की विभिन्न देशों में सहायक कंपनियां हो। अब यदि सहायक कंपनी के बजट को मूल देश की मुद्रा में परिवर्तित करने के लिए क्रश के शुरू में विनिमय दर को आधार बनाया जाता है, तथा सहायक कंपनी के वास्तविक वित्तीय परिणामों को मूल देश की मुद्रा में परिवर्तित करनर के लिए वर्ष के अंत में विनिमय दर को आधार बनाया जाता है, तो ऐसा सम्भव है कि विनिमय दर में बदलाव के कारण सहायक कंपनी के निष्पादन को या तो वास्तविक से अधिक आंका जाए या वास्तविक से कम आंका जाए।

एकीकृत वित्तीय विवरण जाने

जैसे मान लो एक अमेरिकन मूल कंपनी की भारत मे सहायक कंपनी है। भारतीय सहायक कंपनी की बजटेड विक्रय ₹40 लाख है। मान लो वर्ष के प्रारम्भ में विनिमय दर 1$ 40₹ के बराबर है। मान लो वर्ष के अंत में वास्तविक विक्रय ₹48 लाख है तथा उस समय विनिमय दर 1$ 50 ₹ है, अर्थात भारतीय मुद्रा का मूल्य गिर गया है। अब भारतीय करेंसी के आधार पर भारतीय सहायक कंपनी का निष्पादन अच्छा है क्योंकि वास्तविक विक्रय, बजट की प्रमापित विक्रय से अधिक है। परन्तु अमेरिकन करेंसी में परिवर्तित करने पर बजटेड विक्रय US $ 1,00,00 है तथा वास्तविक विक्रय US $96,000 है। अतः अमेरिकन मुद्रा के आधार पर भारतीय सहायक कंपनी का निष्पादन अच्छा नही है क्योंकि वास्तविक विक्रय बजटेड विक्रय से कम है। यहां भारतीय मुद्रा का मूल्य अमेरिकन करेंसी की तुलना के गिरने से भारतीय सहायक कंपनी के निष्पादन को कम आंका जा रहा है। दूसरी तरफ अगर भारतीय मुद्रा का मूल्य अमेरिकन करेंसी की तुलना में बढ़ जाए, तो भारतीय सहायक कंपनी के निष्पादन को अधिक आंका जाएगा।


ऐसी समस्या का हल निकालने के लिए डोनाल्ड लेसर्ड तथा पीटर लोरेंज ने एक मॉडल विकसित किया है जिसे लेसर्ड-लोरेंज मॉडल कहते है। इस मॉडल में तीन विनिमय दरों का विचार दिया गया है। इन तीन विनिमय दरों के आधार पर सहायक कंपनी के वित्तीय आंकड़ों को मूल कंपनी की मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है। ये विनिमय दरें है :

1. प्रारम्भिक दर - वर्ष के प्रारम्भके विनिमय दर।


2. पूर्वनिमानित दर - वर्ष के अंत में पूर्वनिमानित विनिमय दर, इसे आगामी दर भी कहते है।


3. अंतिम दर - बजट अवधि के अंत में वास्तविक विनिमय दर।

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