Dutiable Goods Under Customs Act in Hindi
इस पोस्ट में शुल्क योग्य माल के बारे में जानेंगे।
शुल्क योग्य माल (Dutiable Goods)
सीमा शुल्क भारत मे आयातित माल एवं भारत से निर्यातित माल पर लगाया जाता है।
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Dutiable Goods Under Customs Act in Hindi |
कर योग्य घटना - सीमा शुल्क का उद्द्ग्रहण माल के भारत मे आयात या निर्यात पर होता है। सीमा शुल्क लगाने के लिए सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 12 प्रभारी धारा है।
धारा 12 के प्रावधान इस प्रकार है :
1. सीमा शुल्क का उद्द्ग्रहण भारत मे आयात किए गए माल या भारत से निर्यात किए गए माल पर होता है।
2. सीमा शुल्क की दरें सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 में प्रदान की गई है।
3. अगर सीमा शुल्क की दरें तत्समय के लिए प्रभारी अन्य किसी विधान के अंतर्गत निर्दिष्ट कर दी गयी है, तो शुल्क का उद्द्ग्रहण उस दर के अनुसार होगा।
4. सीमा शुल्क के प्रावधान सरकारी माल पर उसी प्रकार से लागू होंगे जिस प्रकार वे गैर सरकारी माल पर लागू होते है।
5. इस अधिनियम के अंतर्गत या किसी अन्य विधान के अंतर्गत कुछ अपवाद है जहां सीमा शुल्क नही लगाया जाता है।
धारा 2 (14) के अनुसार शुल्कयोग्य माल किसी भी प्रकार का माल हौ जिस पर शुल्क उद्द्ग्रहीत होता है और शुल्क का भुगतान नही किया गया है।
अतः कोई भी माल शुल्कयोग्य कहलाता है जब तक वह बंदरगाह से निकल नही जाता। तथापि अगर माल पर शून्य दर से शुल्क निर्धारित हो जाता है, तो वह शुल्कयोग्य माल नही रहता है। आयातित एवं निर्यातित दोनो प्रकार के माल शुल्कयोग्य माल हो सकते है। अगर ऐसे माल पर कोई शुल्क लागू नही होता तो उन्हें शुल्कयोग्य माल नही कहा जाएगा।
माल आयात के संदर्भ में करयोग्य घटना - धारा 12 के अंतर्गत सीमा शुल्क भारत मे आयात या निर्यात करने पर लगाया जाता है। उच्चतम न्यायालय के UOI vs. Apar Pvt. Ltd. के महत्वपूर्ण निर्णय से पूर्व, करयोग्य घटना को ज्ञात करने के मामले में कईं विवाद उठे व प्रत्येक न्यायिक एवं अर्ध न्यायिक अधिकारियों के मत भी अलग अलग होने आए कारण इस संदर्भ में अनिश्चितता बनी रही। अधिकांश अधिकारियों का यह मानना था कि करयोग्य घटना उस क्षण मानी जाएगी जब माल भारत के जल सीमा क्षेत्र को पर कर लेता है।
किंतु उच्चतम न्यायालय में UOI vs. Apar Pvt. Ltd. के वाद में महत्वपूर्ण निर्णय देकर इस अनिश्चितता का समाधान किया है। इस निर्णय के अनुसार -
माल का आयात तब प्रारम्भ होता है जब जहाज भारत के राजक्षेत्रीय समुद्र को पार करता है,
परन्तु माल का आयात तब समाप्त हुआ माना जाएगा जब इसके संदर्भ में प्रवेश बिल दाखिल कर दिया गया है एवं माल भारत के कस्टम बैरियर को पार करता है।
Garden Silk Mills vs. UOI के बाद के उच्च्तम न्यायलय ने अपने उपर्युक्त निर्णय का अनुसरण करते हुए यह निर्णय दिया कि -
सीमा शुल्क के प्रकार
धारा 12 के प्रावधान इस प्रकार है :
1. सीमा शुल्क का उद्द्ग्रहण भारत मे आयात किए गए माल या भारत से निर्यात किए गए माल पर होता है।
2. सीमा शुल्क की दरें सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975 में प्रदान की गई है।
3. अगर सीमा शुल्क की दरें तत्समय के लिए प्रभारी अन्य किसी विधान के अंतर्गत निर्दिष्ट कर दी गयी है, तो शुल्क का उद्द्ग्रहण उस दर के अनुसार होगा।
4. सीमा शुल्क के प्रावधान सरकारी माल पर उसी प्रकार से लागू होंगे जिस प्रकार वे गैर सरकारी माल पर लागू होते है।
5. इस अधिनियम के अंतर्गत या किसी अन्य विधान के अंतर्गत कुछ अपवाद है जहां सीमा शुल्क नही लगाया जाता है।
धारा 2 (14) के अनुसार शुल्कयोग्य माल किसी भी प्रकार का माल हौ जिस पर शुल्क उद्द्ग्रहीत होता है और शुल्क का भुगतान नही किया गया है।
अतः कोई भी माल शुल्कयोग्य कहलाता है जब तक वह बंदरगाह से निकल नही जाता। तथापि अगर माल पर शून्य दर से शुल्क निर्धारित हो जाता है, तो वह शुल्कयोग्य माल नही रहता है। आयातित एवं निर्यातित दोनो प्रकार के माल शुल्कयोग्य माल हो सकते है। अगर ऐसे माल पर कोई शुल्क लागू नही होता तो उन्हें शुल्कयोग्य माल नही कहा जाएगा।
माल आयात के संदर्भ में करयोग्य घटना - धारा 12 के अंतर्गत सीमा शुल्क भारत मे आयात या निर्यात करने पर लगाया जाता है। उच्चतम न्यायालय के UOI vs. Apar Pvt. Ltd. के महत्वपूर्ण निर्णय से पूर्व, करयोग्य घटना को ज्ञात करने के मामले में कईं विवाद उठे व प्रत्येक न्यायिक एवं अर्ध न्यायिक अधिकारियों के मत भी अलग अलग होने आए कारण इस संदर्भ में अनिश्चितता बनी रही। अधिकांश अधिकारियों का यह मानना था कि करयोग्य घटना उस क्षण मानी जाएगी जब माल भारत के जल सीमा क्षेत्र को पर कर लेता है।
किंतु उच्चतम न्यायालय में UOI vs. Apar Pvt. Ltd. के वाद में महत्वपूर्ण निर्णय देकर इस अनिश्चितता का समाधान किया है। इस निर्णय के अनुसार -
माल का आयात तब प्रारम्भ होता है जब जहाज भारत के राजक्षेत्रीय समुद्र को पार करता है,
परन्तु माल का आयात तब समाप्त हुआ माना जाएगा जब इसके संदर्भ में प्रवेश बिल दाखिल कर दिया गया है एवं माल भारत के कस्टम बैरियर को पार करता है।
Garden Silk Mills vs. UOI के बाद के उच्च्तम न्यायलय ने अपने उपर्युक्त निर्णय का अनुसरण करते हुए यह निर्णय दिया कि -
सीमा शुल्क के प्रकार
भारत के राजक्षेत्रीय समुद्र को पार करते ही माल के आयात की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है, किंतु यह प्रक्रिया समाप्त तब होती है जब माल देश के सामानों के समूह का एक भाग बन जाता है अर्थात जब घरेलू उपभोग के लिए प्रवेश बिल दाखिल कर दी जाती है।
इसी प्रकार उच्चतम न्यायालय में Kiran Spinning Mills vs. Collector of Customs के वाद में यह निर्णय दिया है कि -
कराधेय घटना उस वक्त मानी जाएगी जब माल की कस्टम बैरियर से निकासी होती है एवं यह महत्वपूर्ण नही है कि माल भारत के राजक्षेत्रीय समुद्र को कब पार करता है।
अगर माल को सीमा शुल्क गोदाम में रखा है तो कस्टम बैरियर तब पार किया हुआ माना जाएगा जब इस संदर्भ में प्रवेश बिल प्रस्तुत कर दिया गया हो एवं उचित अधिकारी ने घरेलू उपभोग के लिए माल की निकासी का आदेश दे दिया है।
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