Documents to be Submitted by Importer under Customs Duty in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में आयातक द्वारा सीमा शुल्क विभाग को प्रदत्त दस्तावेज के बारे में जानेंगे।

1. बीजक

2. पैकिंग सूची

3. बिल ऑफ लैडिंग

4. सुपुर्दगी आदेश

5. इलेक्ट्रानिकली आयात सम्बन्धी घोषणा

6. आयातक/एजेंट की घोषणा

7. लाइसेंस की प्रति

8. बीमा पालिसी

9. उदगम देश का प्रमाणन

10. तकनीकी विवरण



Documents to be Submitted by Importer under Customs Duty in Hindi
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उपर्युक्त सभी दस्तावेज प्राप्त हो जाने पर सीमा शुल्क अधिकारी माल का मूल्यांकन एवं सीमा शुल्क का निर्धारण करते है। इस सम्बन्ध में निम्न दो पद्धतियां अपनाई जाती है :

1. प्रथम माल के निरीक्षण के बाद निर्धारण - आयातक के अनुरोध पर या सीमा शुल्क अधिकारी द्वारा अपने विवेकानुसार माल का निरीक्षण जब आवश्यक समझा जाए तब यह पद्धति अपनाई जाती है। इसमें सीमा शुल्क का निर्धारण दस्तावेजों के आधार पर ही किया जाता है।


2. प्रथम निर्धारण के बाद निरीक्षण - सामान्यतः सर्वप्रथम दस्तावेजों के आधार पर सीमा शुल्क का निर्धारण करके उसके बाद माल का निरीक्षण किया जाता है। असत्य विवरण होने पर या माल की जांच करने पर सीमा शुल्क निर्धारण को पुनरीक्षित भी किया जा सकता है।


देश के सभी बड़े सीमा शुल्क गृहों में विशिष्ट मूल्यांकन दस्ते नियुक्त कोई गए है। Fast Track Clearance Scheme (FTCS) के अंतर्गत आयातक द्वारा स्वयं ही सीमा शुल्क निर्धारण पद्धति अपनाई जाती है। इस योजना के अंतर्गत निम्नांकित श्रेणी के आयातक ही अधिकृत है (i) सरकारी विभाग, (ii) सरकारी उपक्रम, (iii) विशिष्ट निर्यातक क्षेत्र के आयातक, (iv) 20 प्रमुख आयात गृह, (v) पांच प्रमुख निर्यात ग्रह, (vi) इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्माता तथा निर्यातक।



माल की सुपुर्दगी लेना

अंत मे, निकासी एजेंट आयात किए गए माल की सुपुर्दगी लेने की कार्यवाही करता है। इसके लिए वह बंदरगाह अधिकारियों के सामने आगम पत्र की एक प्रति, बंदरगाह शुल्क जमा की रसीद तथा जहाजी कंपनी का सुपुर्दगी आदेश पेश करता है। इस पर उसे बंदरगाह से माल निकालने की अनुमति मिल जाती है।

आयात की कार्यविधि

अगर माल को बंदरगाह में से निर्धारित समय के अंदर नही निकाला जाए तो आयातक को प्रतिदिन के विलम्ब के लिए विलम्ब शुल्क भी देना पड़ता है। माल को बाहर निकालने की अनुमति मिल जाने पर वह माल का निरीक्षण भी कर सकता है।


अगर माल का पैकिंग में किसी प्रकार की क्षति की आशंका नजर आए तो वह जहाजी कंपनी से माल की खुली सुपुर्दगी देने की प्रार्थना कर सकता है। फलस्वरूप क्षति की प्रकृति तथा मात्रा का भी अनुमान लगाया जा सकता है और इसकी जिम्मेदारी तय की जा सकती हैं उपर्युक्त सारी कार्यवाही हो जाने पर माल को बंदरगाह से निकाल लिया जाता है। 

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