Import Procedure and Documents under Custom Duty in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में सीमा शुल्क के अंतर्गत आयात कार्यविधि एवं प्रपत्र के बारे में जानेंगे


आयात कार्यविधि एवं प्रपत्र

आयात का अर्थ है कि विदेशों से अपने देश में ऐसी वस्तु प्राप्त करना जिसका निर्माण / उत्पादन या तो सम्भव ही नही है या मितव्ययी नही है अर्थात विदेश से अपने देश मे अल्प वस्तु या सेवा को प्राप्त करना।


 

Import Procedure and Documents under Custom Duty in Hindi
Import Procedure and Documents under Custom Duty in Hindi



प्रत्येक देश अपने प्राकृतिक संसाधनों, मानवीय कुशलता, तकनीकी श्रेष्ठता एवं अनुभव के बल पर कुछ वस्तुओं के उत्पादन / निर्माण में श्रेष्ठता / विशिष्टता प्राप्त कर लेता है। इन श्रेष्ठ / विशिष्ट वस्तुओं का किसी अन्य देश को निर्यात करके वहां से अपने देश में आवश्यक, उपयोगी एवं मितव्ययी वस्तु का आयात करता है। किसी देश का आयात उसकी निर्यात शक्ति द्वारा अर्जित विदेशी मुद्रा की मात्रा पर निर्भर करता है।


भारत मे आयात नियंत्रण कई अधिनियमों के अधीन किया जाता है, जैसे आयात व निर्यात नियंत्रण अधिनियम, 1947 विदेशी मुद्रा अधिनियम 1999 तथा सीमा शुल्क अधिनियम 1962 । केंद्र सरकार प्रति तीन वर्ष के बाद एक आयात नीति की घोषणा करके यह भी सूचित करती है कि किन किन मालों के आयात पर निषेध रहेगा और क्या क्या माल का आयात लाइसेंस या सीमा शुल्क भुगतान अनुमति के अधीन आयात किया का सकेगा। कुछ माल का बिना किसी लाइसेंस या अनुमति के खुले सामान्य लाइसेंस के आधार पर आयात किया जा सकता है।


आयात नीति के लिए आयातकों को प्रायः दो वर्गों में बांटा जाता है - वास्तविक उपभोक्ता तथा रजिस्टर्ड निर्यातक। वास्तविक उपभोग वे व्यावसायिक संस्थाएं व निर्माता है जो आयातित माल का स्वनिर्माण में उपयोग करते है जैसे विदेशों से स्टील आयात करके इससे मशीनें बनाना, कच्चे हीरो का आयात करके इन्हें काटना व पोलिश करना और आभूषणों के लिए तैयार करना।

स्टोर्स के बारे में जाने

इन उद्यमकर्ता को आयात की अनुमति मशीनों, आदि के आयात के लिए भी दी जाती है और कच्चे माल तथा मध्यवर्ती माल तथा अतिरिक्त हिस्से पुर्जों के लिए भी। इसके विपरीत, रजिस्टर्ड निर्यातक ऐसे निर्यातक है जो आयात तथा निर्यात के संयुक्त मुख्य नियंत्रक तथा सम्बद्ध निर्यात प्रवर्तन परिषद या वस्तु बोर्ड के पास रजिस्टर्ड हो। इन्हें प्रायः आयात प्रतिपूर्ति लाइसेंस के अंतर्गत अनेक ऐसे कच्चे मालों व पूंजीगत पदार्थों, आदि के आयात का लाइसेंस भी मिल जाता है जिन्हें अन्यथा आयात नही किया जा सकता। सामान्यतया आयात नीति में वास्तविक उपभोक्ताओं तथा रजिस्टर्ड निर्यातकों के लिए अलग अलग प्रावधान किए जाते है।


भारत की आयात नीति का मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को तेज करना तथा अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धी बनाना है।

Post a Comment