Documents used in Export Trade under Custom Act in Hindi
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में निर्यात व्यापार में प्रयुक्त दस्तावेजों के बारे में जानेंगे।
निर्यात व्यापार में निर्यातक द्वारा प्रयुक्त प्रमुख दस्तावेज निम्नलिखित है :
1. निर्यात लाइसेंस - भारत में यह लाइसेंस विदेशी व्यापार अधिनियम के अधीन प्राप्त किया जाता है उदरहरणार्थ, चाय का निर्यात चाय अधिनियम, 1953 तथा कॉफ़ी का निर्यात कॉफ़ी अधिनियम, 1948 के अधीन स्थापित क्रमशः चाय बोर्ड तथा कॉफी बोर्ड से लाइसेंस लेकर किया जाता है। निर्यात आदेश, 1968 की अधिसूची 1 में दी गयी वस्तुओं का निर्यात, आयात व निर्यात नियंत्रक से लाइसेंस प्राप्त करके किया जाता है। शेष वस्तुओं के निर्यात पर कोई प्रतिबन्ध नही है अतः उन्हें खुले रूप से निर्यात किया जा सकता है।
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2. विदेशी विनिमय सम्बन्धी घोषणा - यह एक घोषणा है जो विदेशी विनिमय अधिनियम, 1999 के अधीन निर्धारित फार्मों पर तीन चार प्रतियों में लिखकर की जाती है। इसके अधीन निर्यातक घोषणा करता है कि वह इस पत्र में वर्णित वस्तुओं का विक्रेता या प्रेषक है, इस पत्र में निर्यात की वस्तुओं का अंकित बीजक मूल्य पूरा सही निर्यात मूल्य है।
3. जहाजी आदेश - यह वह आदेश है जो निर्यातक के द्वारा किसी जहाजी कंपनी से प्राप्त किया जाता है। इस आदेश के अधीन जहाजी कंपनी निर्यातक के माल के गंतव्य बंदरगाह तक पहुचाने के लिए अपने जहाज पर जगह देने की व्यवस्था करती है।
4. चार्टर पार्टी - अगर निर्यातक अपने माल के निर्यात करने के लिए सारे जहाज को, या इसमें उपलब्ध अधिकांश स्थान को किराए पर लेना चाहें तो उसे जहाजी कंपनी के साथ एक पृथक समझौता करना पड़ता है, जिसे चार्टर पार्टी कहते है।
5. जहाजी बिल - आगम पत्र से अलग जहाजी बिल का प्रयोग सीमा शुल्क अधिकारियों के सामने, बाहर भेजे जाने वाले माल के विवरण स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। अलग अलग श्रेणियों के माल के लिए अलग अलग फार्म भरे जाते है जैसे शुल्कमुक्त माल, शुल्कयुक्त मूल्य, पुननिर्यात पर वापस भुगतान वाला माल।
6. कप्तान की रसीद - जब निर्यातकर्ता, जहाजी कंपनी के साथ किए गए परिवहन समझौते के अधीन अपना माल जहाजी आदेश में निर्दिष्ट जहाज पर चढ़ाता है तो उस जहाज का कप्तान या उसका सहायक, जिसे Mate कहते है, जहाज पर प्राप्त माल की एक रसीद जारी करता है। इसे कप्तान की रसीद कहते है।
7. जहाजी बिल्टी - यह वास्तव में, जहाज पर लादे गए माल की एक अधिकृत रसीद है जो जहाजी कंपनी के द्वारा जारी की जाती है और जिसमें माल को गंतव्य बंदरगाह तक ले जाने की शर्तों का उल्लेख होता है। यह व्यापारी और जहाजी कंपनी के बीच संविदा का काम करती है और माल के स्वामित्व का अधिकार पत्र कहलताती है।
8. मूल स्थान सम्बन्धी प्रमाण पत्र - कभी कभी कई देश, विदेशों से मंगाए जाने वाले माल पर, आयात कर लगाते समय अलग अलग देशों का माल दूसरे देश के माध्यम से अपने देश मे आयात करके, आयात की दरों में दी गयी विशेष रियायत का लाभ न उठाये। इसके लिए आयातक को मूल स्थान सम्बन्धी या उद्गम प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ती है।
आयातित माल का पुननिर्यात
9. कॉन्सुलर बीजक - उन वस्तुओं का आयात करने पर, जिनके ऊपर मूल्यनुसार आयात कर लगाया जाता है, यह भी आवश्यक है कि आयात की जाने वाली वस्तुओं के निर्यात बीजक में लगाया गया मूल्य सही प्रमाणित हो। मूल्य के बारे में किसी प्रकार का संदेह न रहे, यह तभी सम्भव है जब इसे अधिकृत अधिकारियों से प्रमाणित करता लिया जाए।
10. वाणिज्यिक बीजक - निर्यातक विदेशों की भेजे जाने वाले माल का बीजक भी उसी प्रकार से बनाता है, जैसे देशी व्यापार में, लेकिन इसके विवरण देशी व्यापार में प्रयुक्त बीजक से अलग होता है। माल के विवरण के साथ प्रत्येक पैकेट का मार्क, चिन्ह, संख्या व अन्य विवरण, तथा इन पैकेटों की लंबाई चौड़ाई तथा माप तोल भी देनी जरूरी है। अंत मे बीजक में यह भी लिखा जाता है कि निर्यात किया जाने वाला माल निर्यातक के देश मे ही बना है, या बाहर से मंगाकर निर्यात किया गया है।
3. जहाजी आदेश - यह वह आदेश है जो निर्यातक के द्वारा किसी जहाजी कंपनी से प्राप्त किया जाता है। इस आदेश के अधीन जहाजी कंपनी निर्यातक के माल के गंतव्य बंदरगाह तक पहुचाने के लिए अपने जहाज पर जगह देने की व्यवस्था करती है।
4. चार्टर पार्टी - अगर निर्यातक अपने माल के निर्यात करने के लिए सारे जहाज को, या इसमें उपलब्ध अधिकांश स्थान को किराए पर लेना चाहें तो उसे जहाजी कंपनी के साथ एक पृथक समझौता करना पड़ता है, जिसे चार्टर पार्टी कहते है।
5. जहाजी बिल - आगम पत्र से अलग जहाजी बिल का प्रयोग सीमा शुल्क अधिकारियों के सामने, बाहर भेजे जाने वाले माल के विवरण स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। अलग अलग श्रेणियों के माल के लिए अलग अलग फार्म भरे जाते है जैसे शुल्कमुक्त माल, शुल्कयुक्त मूल्य, पुननिर्यात पर वापस भुगतान वाला माल।
6. कप्तान की रसीद - जब निर्यातकर्ता, जहाजी कंपनी के साथ किए गए परिवहन समझौते के अधीन अपना माल जहाजी आदेश में निर्दिष्ट जहाज पर चढ़ाता है तो उस जहाज का कप्तान या उसका सहायक, जिसे Mate कहते है, जहाज पर प्राप्त माल की एक रसीद जारी करता है। इसे कप्तान की रसीद कहते है।
7. जहाजी बिल्टी - यह वास्तव में, जहाज पर लादे गए माल की एक अधिकृत रसीद है जो जहाजी कंपनी के द्वारा जारी की जाती है और जिसमें माल को गंतव्य बंदरगाह तक ले जाने की शर्तों का उल्लेख होता है। यह व्यापारी और जहाजी कंपनी के बीच संविदा का काम करती है और माल के स्वामित्व का अधिकार पत्र कहलताती है।
8. मूल स्थान सम्बन्धी प्रमाण पत्र - कभी कभी कई देश, विदेशों से मंगाए जाने वाले माल पर, आयात कर लगाते समय अलग अलग देशों का माल दूसरे देश के माध्यम से अपने देश मे आयात करके, आयात की दरों में दी गयी विशेष रियायत का लाभ न उठाये। इसके लिए आयातक को मूल स्थान सम्बन्धी या उद्गम प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ती है।
आयातित माल का पुननिर्यात
9. कॉन्सुलर बीजक - उन वस्तुओं का आयात करने पर, जिनके ऊपर मूल्यनुसार आयात कर लगाया जाता है, यह भी आवश्यक है कि आयात की जाने वाली वस्तुओं के निर्यात बीजक में लगाया गया मूल्य सही प्रमाणित हो। मूल्य के बारे में किसी प्रकार का संदेह न रहे, यह तभी सम्भव है जब इसे अधिकृत अधिकारियों से प्रमाणित करता लिया जाए।
10. वाणिज्यिक बीजक - निर्यातक विदेशों की भेजे जाने वाले माल का बीजक भी उसी प्रकार से बनाता है, जैसे देशी व्यापार में, लेकिन इसके विवरण देशी व्यापार में प्रयुक्त बीजक से अलग होता है। माल के विवरण के साथ प्रत्येक पैकेट का मार्क, चिन्ह, संख्या व अन्य विवरण, तथा इन पैकेटों की लंबाई चौड़ाई तथा माप तोल भी देनी जरूरी है। अंत मे बीजक में यह भी लिखा जाता है कि निर्यात किया जाने वाला माल निर्यातक के देश मे ही बना है, या बाहर से मंगाकर निर्यात किया गया है।
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