सेवा कर के बारे में जानकारी
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में सेवा कर के बारे में जानगे।
सेवा कर का इतिहास
भारत में सबसे पहले 1994 में सेवा कर का प्रारम्भ हुआ जब 1994-95 का बजट प्रस्तुत करते हुए तत्कालीन वित्तमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने स्टॉक ब्रोकर सामान्य बीमा एवं टेलीफोन सेवा पर 5 प्रतिशत सेवा कर का प्रस्ताव रखा जोकि 1.7.1994 से लागू हुआ।
सेवा कर के बारे में जानकारी |
यद्यपि इससे पूर्व भी Luxury tax, Amusement tax इत्यादि के रूप में सेवाओं पर कर लगाया गया था, परन्तु यह क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण कदम नही था। 1990 में गठित डॉ. राजा चेलैय्या समिति की सिफारिशों के आधार पर 1994 में सर्वप्रथम नीतिगत रूप में सेवा कर प्रारम्भ किया गया।
सेवा कर अधिसूचित विशिष्ट करयोग्य सेवाओं पर लगाया जाता रहा है जिसका दायित्व सेवा प्रदानकर्ता पर होता है। सेवा कर प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से 1.4.2001 से करदाता द्वारा self-assessment के आधार पर विवरण दाखिल करने की सुविधा प्रदान की गई है। यद्यपि सम्बन्धित क्षेत्र के suprintendent, central excise विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसे विवरण की सत्यता की जांच कर सकते है। सेवा कर की विवरणी अर्धवार्षिक आधार पर जमा करना होता है। 1 जून 2015 से सेवा कर की दर 14 प्रतिशत है।
वित्त अधिनियम 2012 के द्वारा प्रस्तुत भारत में सेवाओं पर करारोपण का एक नया अध्याय नकारात्मक सूची व्यवस्था का प्रादुर्भाव हुआ, जिसके अधीन 1 जुलाई 2012 से सभी प्रकार की सेवाओं को करयोग्य कर दिया है, सिवाय नकारात्मक सूची में वर्णित एवं करमुक्त घोषित सेवाओं को छोड़कर।
सेवा की अवधारणा
यह जानना रुचिकर होगा कि वित्त अधिनियम, 1994 में सेवा की कोई परिभाषा नही दी गयी है, परन्तु वित्त अधिनियम 2012 द्वारा किए गए संशोधन के परिणामस्वरूप एक नवीन धारा 65B जोड़ी गयी है, जो कि विभिन्न परिभाषाओं को वर्णित करती है।
धारा 65B की उपधारा 44 सेवा को निम्नांकित रूप से परिभाषित करती है :
सेवा का आशय ऐसी किसी गतिविधि से है, जो किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के हितार्थ प्रतिफल के बदले ली जाती है, जिसमें घोषित सेवाएं शामिल है, परन्तु निम्नांकित शामिल नही है :
(अ) कोई गतिविधि किसका मात्र निम्नांकित परिणाम होता है :
(i) किसी माल या अचल संपत्ति का विक्रय, उपहार या अन्य किसी रूप में स्वामित्व का अंतरण।
(ii) मुद्रा या वाद योग्य दावे में व्यवहार।
सेवा कर की संवैधानिक वैधता
(ब) किसी कर्मचारी द्वारा अपने रोजगार के दौरान या सेवायोजन के क्रम में नियोक्ता के लिए सेवाएं प्रदान करना।
(स) किसी न्यायालय या तत्समय प्रभावी किसी विभाग के अन्तर्गत स्थापित किसी ट्रिब्यूनल द्वारा फीस लेना।
सेवा कर अधिसूचित विशिष्ट करयोग्य सेवाओं पर लगाया जाता रहा है जिसका दायित्व सेवा प्रदानकर्ता पर होता है। सेवा कर प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से 1.4.2001 से करदाता द्वारा self-assessment के आधार पर विवरण दाखिल करने की सुविधा प्रदान की गई है। यद्यपि सम्बन्धित क्षेत्र के suprintendent, central excise विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसे विवरण की सत्यता की जांच कर सकते है। सेवा कर की विवरणी अर्धवार्षिक आधार पर जमा करना होता है। 1 जून 2015 से सेवा कर की दर 14 प्रतिशत है।
वित्त अधिनियम 2012 के द्वारा प्रस्तुत भारत में सेवाओं पर करारोपण का एक नया अध्याय नकारात्मक सूची व्यवस्था का प्रादुर्भाव हुआ, जिसके अधीन 1 जुलाई 2012 से सभी प्रकार की सेवाओं को करयोग्य कर दिया है, सिवाय नकारात्मक सूची में वर्णित एवं करमुक्त घोषित सेवाओं को छोड़कर।
सेवा की अवधारणा
यह जानना रुचिकर होगा कि वित्त अधिनियम, 1994 में सेवा की कोई परिभाषा नही दी गयी है, परन्तु वित्त अधिनियम 2012 द्वारा किए गए संशोधन के परिणामस्वरूप एक नवीन धारा 65B जोड़ी गयी है, जो कि विभिन्न परिभाषाओं को वर्णित करती है।
धारा 65B की उपधारा 44 सेवा को निम्नांकित रूप से परिभाषित करती है :
सेवा का आशय ऐसी किसी गतिविधि से है, जो किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के हितार्थ प्रतिफल के बदले ली जाती है, जिसमें घोषित सेवाएं शामिल है, परन्तु निम्नांकित शामिल नही है :
(अ) कोई गतिविधि किसका मात्र निम्नांकित परिणाम होता है :
(i) किसी माल या अचल संपत्ति का विक्रय, उपहार या अन्य किसी रूप में स्वामित्व का अंतरण।
(ii) मुद्रा या वाद योग्य दावे में व्यवहार।
सेवा कर की संवैधानिक वैधता
(ब) किसी कर्मचारी द्वारा अपने रोजगार के दौरान या सेवायोजन के क्रम में नियोक्ता के लिए सेवाएं प्रदान करना।
(स) किसी न्यायालय या तत्समय प्रभावी किसी विभाग के अन्तर्गत स्थापित किसी ट्रिब्यूनल द्वारा फीस लेना।
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