इस पोस्ट में घोषित माल के बारे में जानेंगे।
घोषित माल (Declared Goods)
घोषित माल से आशय उन वस्तुओं एवं माल से है जो केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत अन्तर्राजीय व्यापार या वाणिज्य के लिए विशेष महत्व के घोषित कर दिए गए है। इन वस्तुओं में दैनिक उपभोग की जरूरी वस्तुएं है जिनकी सूची नीचे दी जा रही है :
Declared Goods under Central Sales Tax in Hindi |
2. कपास की छीजन के अतिरिक्त सब प्रकार की कपास - देशी, आयातित, बिनौले सहित या बिनौले रहित, दबी हुई या बिना दबी हुई
3. सूती कपड़ा, ऊनि कपड़ा एवं कृत्रिम रेशम का कपड़ा
4. सूती धागे की छीजन के अतिरिक्त सूती धागा
5. खाले एवं चर्म, चाहे कच्ची हो या या साफ की हुई
6. लोहा एवं इस्पात
7. पटसन, चाहे गांठ बंद हो या अन्य दशा में
8. तिलहन
9. चीनी एवं खाण्डसारी
10. अन्न - धान, चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, कोदों, जौ, कुटकी
11. कच्चा तेल, कच्चा पेट्रोलियम तेल एवं राल मिश्रित कच्चा तेल
12. दालें - आहार, मूंग, मसूर, उड़द, मोंठ, खेसरी, चना
13. किसी निर्दिष्ट / विशिष्ट वायुयान को विक्रय किया गया विमानन टबाईन ईंधन
14. कृत्रिम कपड़ा
15. घरेलू उपयोग के लिए L.P.G.।
घोषित माल के अपवाद
विभिन्न न्यायालयों के निर्णय के आधार पर निम्नांकित वस्तुएं घोषित माल नही है
1. सूजी, मैदा एवं गेहूं का आटा
2. तम्बाकू सहित गुटका
3. धान छिलका
4. मटर एवं मटर दाल।
घोषित माल पर कर लगाने के सम्बन्ध में प्रतिबन्ध एवं शर्तें
अगर कोई राज्य अपने विक्रय कर अधिनियम द्वारा घोषित माल के क्रय विक्रय पर विक्रय कर लगाने का अधिकार प्राप्त करता है तो यह अधिकार अग्रलिखित प्रतिबंधों एवं शर्तों के अंतर्गत ही हो सकता है।
1. कर की दर - राज्य में घोषित माल के क्रय या विक्रय मूल्य पर अधिकतम 2 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा सकता है। ऐसे कर पर कोई अधिभार भी नही लगाया जा सकेगा।
2. राज्य विक्रय कर अधिनियम के अंतर्गत दिए गए कर की वापसी - अगर घोषित माल का क्रय या विक्रय करते समय विक्रय कर दे दिया गया है और ऐसा माल अन्तर्राजीय व्यापार के अंतर्गत पुनः बेचा गया है तो प्राप्त कर की पुनविक्रेता को प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी बशर्तें वह इस सम्बन्ध में अपने राज्य के विक्रय कर अधिनियम में दी गयी शर्तों को पूरा कर दें।
3. धान पर कर - अगर किसी राज्य में धान के क्रय विक्रय पर कर लगा दिया गया है और फिर उस धान में से निकाले गए चावल पर कर लगाना है तो चावल पर लगाये जाने वाले कर में से धान पर लगाया गया कर घटा दिया जाएगा।
विक्रय और आवर्त में अंतर
4. दालों पर कर - दालें साबुत या दली हुई, छिलके सहित या छिलके रहित एक ही वस्तु मानी जाएगी। इसका तात्पर्य यह हुआ कि अगर कोई दाल मिल साबुत दालें खरीदती है और उनको दल कर बेचती है तो उसे एक वस्तु मानकर एक बार ही कर लिया जाएगा।
5. घोषित माल की विक्रय कर की दर से प्रभावी - अगर घोषित माल का अन्तर्राजीय विक्रय पंजीकृत व्यापारी को किया जाता है तो CST 2 प्रतिशत या राज्य की दर होगी। अगर ऐसा अन्तर्राजीय विक्रय अपंजीकृत व्यापारी को किया जाता है त9 CST की दर राज्य में लागू VAT की दर के समान होगी।
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