सकल और अन्तर्राजीय विक्रय का निर्धारण (Determination of Gross Sales and Taxable Turnover)
सकल विक्रय का निर्धारण
सकल विक्रय में व्यापारी द्वारा की गई समस्त विक्रय जोड़ी जाती है। यह विक्रय चाहे कर योग्य माल की हो या कर मुक्त माल की, ऐसी विक्रय में (अ) राज्य में विक्रय, (ब) राज्य से बाहर एवं (स) अन्तर्राजीय विक्रय तथा निर्यात के दौरान विक्रय शामिल है। राज्य से बाहर विक्रय से तात्पर्य उस विक्रय से है जो किसी अन्य राज्य में माल खरीद कर उसी राज्य में बेचने से हुई है। परन्तु सकल विक्रय में उन वस्तुओं की विक्रय को शामिल नही करते जो माल की परिभाषा में नही आती। अतः समाचार पत्र, अंश एवं प्रतिभूतियों का विक्रय सकल विक्रय में शामिल नही होगा।
Determination of Gross Sales and Taxable Turnover |
अन्तर्राजीय विक्रय का निर्धारण
सकल विक्रय में से निम्न विक्रय घटाने के बाद जो शेष बचेगा वह अन्तर्राजीय विक्रय होगी :
1. राज्य में विक्रय
2. राज्य से बाहर क्रय एवं विक्रय
3. निर्यात के दौरान विक्रय।
अन्तर्राजीय विक्रय से सम्बंधित 'करमुक्त माल की विक्रय' की कटौतियां
केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित विक्रय करमुक्त है :
1. अन्तर्राजीय व्यापार के दौरान बेचे गए माल का सरकार या पंजिकृत व्यापारी को पुनविक्रय धारा 6(2) में करमुक्त है।
2. उपर्युक्त राज्य के मूल्य वर्धित कर अधिनियम के अंतर्गत साधारण रूप से कर मुक्त माल की विक्रय।
3. ऐसी वस्तुओँ की विक्रय जो राज्य सरकार ने धारा 8(5) में सार्वजनिक हित में सरकारी राजपत्र में करमुक्त घोषित कर दी हो।
4. ऐसे पंजीकृत व्यापारी को विक्रय जिसकी इकाई किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित है।
करयोग्य आवर्त का निर्धारण
अन्तर्राजीय विक्रय में से उपर्युक्त करमुक्त माल का विक्रय घटाने के बाद और निम्न कटौतियों के बाद जो शेष होगा वही करयोग्य आवर्त होगा :
1. सपुर्दगी की तिथि से 6 माह में क्रेता द्वारा वापस किए गए माल का मूल्य।
आवर्त का निर्धारण
2. व्यापारी द्वारा व्यय किया गया भाड़ा, किराया, सपुर्दगी व्यय, स्थापना व्यय आदि जो ग्राहक से पृथक से वसूल किए गए है परन्तु विक्रय में जोड़ दिए गए है।
3. अन्य कटौती जो बाजार में प्रचलित शर्तों के अनुसार दी जाती है, जैसे नकद बट्टा।
4. केंद्रीय विक्रयकर की राशि अगर वह विक्रय में शामिल है।
सकल विक्रय में से निम्न विक्रय घटाने के बाद जो शेष बचेगा वह अन्तर्राजीय विक्रय होगी :
1. राज्य में विक्रय
2. राज्य से बाहर क्रय एवं विक्रय
3. निर्यात के दौरान विक्रय।
अन्तर्राजीय विक्रय से सम्बंधित 'करमुक्त माल की विक्रय' की कटौतियां
केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित विक्रय करमुक्त है :
1. अन्तर्राजीय व्यापार के दौरान बेचे गए माल का सरकार या पंजिकृत व्यापारी को पुनविक्रय धारा 6(2) में करमुक्त है।
2. उपर्युक्त राज्य के मूल्य वर्धित कर अधिनियम के अंतर्गत साधारण रूप से कर मुक्त माल की विक्रय।
3. ऐसी वस्तुओँ की विक्रय जो राज्य सरकार ने धारा 8(5) में सार्वजनिक हित में सरकारी राजपत्र में करमुक्त घोषित कर दी हो।
4. ऐसे पंजीकृत व्यापारी को विक्रय जिसकी इकाई किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित है।
करयोग्य आवर्त का निर्धारण
अन्तर्राजीय विक्रय में से उपर्युक्त करमुक्त माल का विक्रय घटाने के बाद और निम्न कटौतियों के बाद जो शेष होगा वही करयोग्य आवर्त होगा :
1. सपुर्दगी की तिथि से 6 माह में क्रेता द्वारा वापस किए गए माल का मूल्य।
आवर्त का निर्धारण
2. व्यापारी द्वारा व्यय किया गया भाड़ा, किराया, सपुर्दगी व्यय, स्थापना व्यय आदि जो ग्राहक से पृथक से वसूल किए गए है परन्तु विक्रय में जोड़ दिए गए है।
3. अन्य कटौती जो बाजार में प्रचलित शर्तों के अनुसार दी जाती है, जैसे नकद बट्टा।
4. केंद्रीय विक्रयकर की राशि अगर वह विक्रय में शामिल है।
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