Inter State Transaction under Central Sales Tax in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में वस्तु का क्रय विक्रय अन्तर्राजीय व्यापार के अंतर्गत कब माना जाएगा ? इसके बारे में जानेंगे।

निम्न दो परिस्थितियों के विक्रय अन्तर्राजीय व्यापार के अंतर्गत माना जाता है :

(A) क्रय विक्रय पश्चात अन्तर्राजीय परिवहन - जब माल का विक्रय होने पर माल एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जाता है। अगर माल विक्रय के प्रसंविदे के अंतर्गत एक राज्य से दूसरे राज्य में नही जाता है, तो इसे अन्तर्राजीय विक्रय नही कह सकते।


Inter State Transaction under Central Sales Tax in Hindi
Inter State Transaction under Central Sales Tax in Hindi



उदाहरणार्थ , उत्तर प्रदेश का व्यापारी दिल्ली आकर माल खरीदता है और उसे अपने साथ ले जाता है तो ऐसी विक्रय अन्तर्राजीय विक्रय नही मानी जाएगी, क्योंकि माल विक्रय के प्रसंविदे के अंतर्गत दूसरे राज्य में नही गया है। जब माल की विक्रय और उसे दूसरे राज्य में भेजने का एक ही प्रसंविदे है तो इसे अन्तर्राजीय विक्रय कहेंगे। जैसे अगर दिल्ली का व्यापारी उत्तर प्रदेश के व्यापारी को माल बेचता है और माल विक्रय के प्रसंविदे के अंतर्गत उत्तर प्रदेश भेजा जाता है तो यह अन्तर्राजीय विक्रय होगी।


अगर एक राज्य का व्यापारी दूसरे राज्य में अपनी शाखा को माल के आदेश प्राप्त करता है। एजेंट आदेश की एक प्रति मुम्बई अपने प्रधान के पास भेजता है। प्रधान जरूर के अनुसार माल एजेंट को भेज देता है। एजेंट माल की सपुर्दगी लेकर व्यापारियों को माल दे देता है। यह विक्रय अन्तर्राजीय विक्रय नही होंगी, क्योंकि माल का गमन विक्रय के प्रसंविदे के अंतर्गत नही हुआ। लेकिन अगर मुम्बई का व्यापारी यही माल दिल्ली स्थित अपने एजेंट को न भेजकर सीधे दिल्ली स्थित व्यापारी को भेजता तो यह अन्तर्राजीय विक्रय माना जाता, क्योंकि माल का गमन विक्रय के प्रसंविदे के अंतर्गत हुआ है।


(B) अधिकार पत्रों के हस्तांतरण द्वारा विक्रय - जब माल का विक्रय माल के अधिकार प्रलेख को उस समय हस्तांतरित करके किया जाए जब माल एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते समय मार्ग में हो।


अगर माल वाहक या निक्षेपग्रहीता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए दिया जाता है तो माल उस समय से जब वाहक को दिया गया है उस समय तक जब तक उससे वापस न ले लिया जाए, गति या मार्ग में माना जाता है।


इसका तात्पर्य यह है कि माल की विक्रय उस समय माल से सम्बंधित अधिकार प्रलेख हस्तांतरित करके होनी चाहिए, जब माल एक राज्य से चल दिया है और वह दूसरे राज्य में निश्चित स्थान पर वाहक से वापस न ले लिया हो।

आवर्त का निर्धारण

जैसे दिल्ली का व्यापारी लखनऊ को कुछ माल रेल द्वारा भेजता है। अगर वह माल भेजने के बाद परन्तु लखनऊ में रेलवे से सपुर्दगी लेने से पहले ही उत्तर प्रदेश के किसी व्यापारी को रेलवे की बिल्टी हस्तांतरित करके बेच देता है, तो इसे अन्तर्राजीय विक्रय कहेंगे।


इस प्रकार अन्तर्राजीय विक्रय होने के लिए निम्न तीनों शर्तों का पूरा करना अनिवार्य है :

1. माल का विक्रय होना।

2. विक्रय प्रसंविदे के अंतर्गत माल एक राज्य से दूसरे राज्य को जाना।

3. माल का ऐसा आवागमन विक्रय के फलस्वरूप होना।

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