वित्तीय प्रबन्ध (Financial Management)

वित्तीय प्रबन्ध का अर्थ उस क्रिया से होता है, जो किसी व्यवसायिक उपक्रम के उद्देश्यों एवं वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूंजी कोषों क्व संग्रहन तथा उनके प्रशासन से सम्बन्ध रखती है। अतः यह वित्त कार्य व्यवसाय द्वारा कोषों को प्राप्त एवं उपयोग करने की प्रक्रिया है। और वित्तीय प्रबन्ध व्यवसाय की ऐसी संरचनात्मक क्रिया है जो कुशल क्रियाओं के लिए आवश्यक वित्त को प्राप्त करने तथा उसका प्रभावशाली ढंग से उपयोग करने के लिए उत्तरदायी होती है।

 


Financial Management
Financial Management



वित्तीय प्रबन्ध के कार्य 
(Chief Functions of Financial Management)

1) वित्र एकत्रित करना

2) वित्त को सम्पत्तियो में विनियोग करना

3) सम्पत्तियो से प्राप्त हुई आय को अंशधारिओ में बांटना

वित्तीय प्रबन्ध के इन तीन मुख्य कार्यों को पूरा करने के लिए कुछ अन्य कार्य करना भी आवश्यक होता है, जैसे कार्यशील पूंजी सम्बन्धी निर्णय, वित्त का नियोजन तथा नियंत्रण करना। इन सभी वित्तीय कार्यों को कुशलतापूर्वक निष्पादित करने के लिए कुछ दैनिक प्रकृति के कार्य भी किये जाते है। 

1. वित्तीय आवश्यकताओं के निर्धारण करना - वित्तीय प्रबन्ध का सबसे पहला कार्य उपक्रम के लिए दीर्घकालीन व अल्पकालीनवित्तीय आवश्यकताओं के निर्धारण करने होता है। उपक्रम की इन वित्तीय आवश्यकताओं को व्यवसाय की प्रकृति, जोखि वहन करने की क्षमता, सामान्य आर्थिक दशाएं, विस्तार के अवसर आदि को ध्यान में रख कर निर्धारित किया जाता है। 


2. वित्त व्यवस्था सम्बन्धी निर्णय -  वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत दूसरा मुख्य कार्य आवश्यक वित्त की आवश्यकता वित्त की वयवस्था करने के सम्बंध में निर्णय लेना होता है। उपक्रम के लिए वित्त की आवश्यकता को समता अंशो व ऋण द्वारा पूरा किया जा सकता है। अतः वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत यह निर्णय लिया जाता है। कि कुल वित्त का कितना भाग समता अंशो से तथा कितना भाग ऋणों से इकट्ठा किया जाए। 


3. विनियोग सम्बन्धी निर्णय - वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत विनियोग सम्बन्धी निर्णय भी लिए जाते है। इज निर्णयों के अंतर्गत फर्म द्वारा एकत्रित किये गए वित्त को दीर्घकालीन सम्पत्तियो में निवेश करने का निश्चय किया जाता है। इसे पूंजी बजटिंग कहा जाता है। विनियोग सम्बन्धी निर्णय वित्तीय प्रबन्ध का एक जोखिमपूर्ण कार्य है। 


4. कार्यशील पूंजी सम्बन्धी निर्णय - वित्तीय प्रबन्ध का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य कार्यशील पूंजी सम्बन्धी निर्णय लेना है। इन निर्णयों के सम्बंध चालू सम्पत्तियो का प्रबंध करने से होता है। उपक्रम को पर्याप्त कार्यशील पूंजी की मात्रा को बनाये रखना चाहिए। यदि उपक्रम में चालू सम्पत्तिया आवश्यकता से कम होंगी तो इससे उपक्रम अपने चालू दायित्वों का भुगतान करने में असमर्थ हो जायेगा। 


5) लाभांश नीति सम्बन्धी निर्णय - वित्तीय प्रबन्ध का एक अन्य कार्य लाभांश नीति सम्बन्धी निर्णय लेना भी होता है। इसके अंतर्गत यह निश्चित किया जाता है की उपक्रम को प्राप्त हुए लाभो का कितना भाग अंशधारियों में लाभांश के रूप में बांटा जाए था कितना भाग व्यवसाय में ही रखा जाए। 

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