औद्योगिक रुग्णता के कारण हिंदी में

हेलो दोस्तों आज हम औद्योगिक रुग्णता के कारणों के बारे में बात करेंगे।


औद्योगिक रुग्णता के कारण हिंदी में
औद्योगिक रुग्णता के कारण हिंदी में



कुछ उद्योग ऐसे होते हक़ी जो स्थापित होने के बाद रुग्ण हो जाते है। ये जन्मजात रुग्ण नही होते। ये कुछ समय तक कार्य करते है। फिर कुछ आंतरिक या बाह्य कारणों से रुग्ण बन जाते है। आंतरिक कारण, उद्योग के अंदर उतपन्न होते है जबकि बाह्य कारण उद्योग के बाहा पैदा होते है। और ये उद्योग के नियंत्रण से बाहर होते है।



(A) आंतरिक कारण

1. प्रबन्ध सम्बन्धी समस्याए - रुग्णता का सबसे प्रमुख आंतरिक कारण प्रबन्ध समस्याए है। उत्पाद, वित्त, विपणन, कर्मचारी, प्रबन्ध आदि के क्षेत्र में गलत प्रबन्धकीय निर्णय व्यापार को नुकसान पहुँचा सकते है। यदि प्रबन्धको द्वारा निर्णय लेते समय वातावरण के विभिन्न घटकों में आये परिवर्तनों का ध्यानपूर्वक विश्लेषण न किया जाए, तब इनके द्वारा लिए गए निर्णय गलत हो सकते है।


2. वित्तीय समस्याए - लघु उद्योगों में स्वामी द्वारा लगाई पूंजी कम होती है। अधिकतर ये इकाइयां अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति ऋणों से करती है। ये ऋण प्रायः बैंको या वित्तीय संस्थानों से लिये जाते है। इन इकाइयों की बिक्री में थोड़ी सी कमी या कोई समस्याए आये तो ये समय पर ऋण का या ऋण पर ब्याज का भुगतान नही कर पाती।

3. श्रम समस्याए - श्रमिको व कर्मचारियों के साथ कार्य करते हुए औद्योगिक इकाई में कुछ समस्याए उतपन्न हो सकती है। जैसे मजदूरी की दर , बोनस, कार्य परिस्थितियां आदि।


4. आधुनिकीकरण का अभाव - यदि कोई औद्योगिक इकाई, उत्पादन के आधुनिक तरीको को नही अपनाती, अपने उत्पाद मिश्रण या विपणन मिश्रण को बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार नही बदलती तो यह इकाई अपनी प्रतिद्वंदी इकाइयों से पीछे रह जाती है और दीर्घकाल में रुग्ण हो जाती है।



(B) बाहरी कारण

1. सरकारी नीति - आयात, निर्यात, औद्योगिक लिसेंसेनिंग तथा करारोपण नीति में अचानक हुए परिवर्तन किसी भी औद्योगिक इकाई को ऋणात्मक रूप से प्रभावित कर सकते है।


2. बाजार में मंदी - बाजार में मंदी से मांग में भारी कम आती है, जिससे बिक्री बहुत कम हो जाती है। परिणामस्वरुप स्टॉक बढ़ जाते है। इससे फर्म को हानि होती है, और उद्योग रुग्णता की और चला जाता है।


3. कच्चे माल की कमी - कुछ स्थितियों में, औद्योगिक इकाई कच्चे माल की कमी के कारण अनुकूलतम उत्पादन प्राप्त नही कर पाती। जिससे उत्पादन प्रक्रिया प्रभावित होती है और इकाई को हानि होती है। यह समस्या अधिकतर उन इकाइयों में उतपन्न होती है, जहां कच्चे माल आयात किया जाता है।


4. साख की कमी - वर्तमान समय मे अधिकतर औद्योगिक इकाइयां ऋण लेने के लिए बैंको पर निर्भर करती है। जब एक बार एक इकाई को हानि होने लगती है तो कोई भी बैंक ऐसी इकाई को ऋण देने के लिए तैयार नही होता। इससे कार्यशील पूंजी की कमी और तरलता सम्बन्धी समस्याए उतपन्न हो जाती है। कार्यशील पूंजी की कमी या तरलता सम्बन्धी समस्याए भी उद्योग को रुग्णता की और ले जाती है। 

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