valuation of unsold stock in consignment in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम बिना बिके माल का मूल्यांकन के बारे में जानेंगे।


बिना बिके माल का मूल्यांकन (valuation of unsold stock in consignment in Hindi)


प्रायः वर्ष के अंत मे प्रेषणी के पास बिना बिका माल बच जाता है। इसे प्रेषण रहतिया (Consignment Stock) कहा जाता है। इसका उचित रूप से मूल्यांकन करना जरूरी है। इसके मूल्यांकन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है :


1. इस बिना बिके माल को लागत मूल्य या बाजार मूल्य में से जो भी कम हो पर मूल्यांकन किया जाता है। परन्तु लागत का अर्थ केवल उस लागत से ही नही है जिस पर खहड़ प्रेषक द्वारा माल क्रय किया गया है। बल्कि अंतिम स्टॉक का मूल्यांकन करते समय इसमे प्रेषक या प्रेषणी द्वारा किए गए अनावर्तक व्ययों का आनुपातिक भाग भी जोड़ा जाता है।



valuation of unsold stock in consignment in Hindi
बिना बिके माल का मूल्यांकन




2. अनावर्तक व्यय - जैसे सभी व्यय जिनसे माल का मूल्य बढ़ता है अनावर्तक प्रकृति के या प्रत्यक्ष व्यय कहलाते है। इनका आनुपातिक भाग माल के अंतिम स्टॉक में जोड़ा जाता है तथा इनमे निम्न को शामिल किया जाता है :


(i) प्रेषक द्वारा माल को प्रेषणी के गोदाम तक पहुचाने के लिए किए गए सभी व्यय प्रत्यक्ष व्यय माने जाते हौ और इसका आनुपातिक भाग अंतिम स्टॉक में जोड़ा जाता है।


(ii) प्रेषणी द्वारा किए गए वे खर्चे, जिन्हें वह माल को अपने गोदाम तक ले जाने के लिए करता है, प्रत्यक्ष व्यय माने जाते है जैसे freight, carriage, insurance in transit, clearing charges, octroi, excise duty, custom duty, dock charges, loading and unloading आदि। इन व्ययों का आनुपातिक भाग अंतिम स्टॉक में जोड़ा जाता है।


(iii) आवर्तक व्यय - ऐसे व्यय जो प्रेषणी द्वारा गोदाम में माल पहुचने के बाद किए जाते है, आवर्तक व्यय कहलाते है जैसे : godown rent, selling expenses, advertisement, godown insurance, sundry expenses आदि।


ये व्यय माल की लागत को नही बढाते है अतः स्टॉक के मूल्यांकन के लिए नही जोड़े जाते है।


नोट - यदि प्रशन में स्पष्ट रूप से यह दिया हुआ है की कोई व्यय किस प्रकार का है तो ऐसी दशा में स्टॉक का मूल्यांकन करते समय प्रेषक के भाग के खर्चों को तो आनुपातिक रूप से शामिल कर लेना चाहिए और प्रेषणी के खर्चो को छोड़ देना चाहिए।




प्रेषणी द्वारा दी गयी अग्रिम राशि (Advance by Consignee)


प्रेषक कई बार यह चाहता है कि प्रेषणी प्रेषण के सम्बन्ध में एक निश्चित राशि अग्रिम रूप से उसे दे। प्रेषणी द्वारा अग्रिम रूप से स्वीकृत विनिमय पत्र भी प्रेषण के विरुद्ध अग्रिम राशि है। अग्रिम की यह राशि प्रेषणी से देय राशि ज्ञात करने के लिए समायोजित की जाती है। परन्तु जब कुछ माल बिना बिका रह जाता है तो समस्या यह उतपन्न होती है कि प्रेषणी से देय राशि ज्ञात करने के लिए अग्रिम की सम्पूर्ण राशि समायोजित की जाए। अग्रिम की कितनी राशि समायोजित की जाए यह अग्रिम की प्रकृति पर निर्भर करता है :


1. जब अग्रिम की राशि माल की जमानत के रूप में नही दी गयी थी - ऐसी दशा में प्रेषणी से देय राशि ज्ञात करने के लिए अग्रिम की सम्पूर्ण राशि को समायोजित किया जाएगा।


2. जब अग्रिम की राशि माल की जमानत के रूप में दी गयी थी - ऐसी दशा में जैसे जैसे माल बिकता जाता है वैसे वैसे अग्रिम रूप में जमा कराई गई यह राशि विक्रय किए गए माल के अनुपात में समायोजित होती जाती है। परन्तु प्रेषणी के पास पड़े हुए बिना बिके माल के सम्बन्ध में अग्रिम की आनुपातिक राशि समायोजित नही होती है और ऐसी राशि उस समय तक अग्रिम के रूप में चलती रहती है जब तक कि सम्पूर्ण माल बिक नही जाता या प्रेषक को वापस नही कर दिया जाता। 

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