नए साझेदार का प्रवेश के बारे में जानकारी
हेलो दोस्तों।
आज हम नए साझेदार के प्रवेश के बारे में जानेंगे।
साझेदार का प्रवेश (Admission of a Partner)
कई बार व्यवसाय में एक नए साझेदार की जरूरत होती है। नए साझेदार जी जरूत्त निम्नलिखित से पड़ जाती है -
1. जब व्यवसाय के विस्तार के लिए अधिक पूंजी की जरूरत होती है।
2. जब व्यवसाय के संचालन के लिए किसी योग्य एवं अनुभवी व्यक्ति की जरूरत होती है।
3. किसी प्रभावशाली व विख्यात व्यक्ति को साझी बनाकर व्यापार की ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए।
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Admission of a Partner in Hindi |
4. किसी योग्य कर्मचारी को प्रोत्साहित करने के लिए साझेदार बना लिया जाए।
नए साझेदार के प्रवेश के समय नया साझेदारी संलेख बनाना होता है क्योंकि पुराण संलेख समाप्त हो जाता है। भारतीय साझेदारी अधिनियम की धारा 31 (1) के अनुसार नया साझेदार तभी बनाया जा सकता है जबकि उसके लिए सभी साझेदार सहमत हो।
नया साझेदार प्रवेश के समय अपने हिस्से की ख्याति तथा पूंजी लाता है और पुराने साझेदार अपने हिस्से में से कुछ भाग त्याग करके उसे लाभों में हिस्सा देते है। नए साझेदार के प्रवेश पर निम्नलिखित समायोजनों की जरूरत होती है।
(i) नया लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात करना।
(ii) ख्याति का मूल्य ज्ञात करना तथा ख्याति की प्रविष्टियाँ करना।
(iii) सम्पत्तियों एवं दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करना।
(iv) संचय, लाभों एवं हानियों का पुराने साझेदारों के खातों में हस्तान्तरण करना।
(v) साझेदारों की पुंजियो को नए लाभ विभाजन अनुपात में समायोजित करना।
नया लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात करना
नए साझेदार के प्रवेश से पुराने साझेदारों का हिस्सा कम हो जाता है। अतः उनके लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन हो जाता है जिससे नए लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात करने पड़ते हैं।
नए साझेदार के प्रवेश के समय लाभ हानि के विभाजन के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रकार की समस्याएं हमारे सामने आती है
जब प्रश्न में केवल नए साझेदार का अनुपात ही दिया होता है तथा यह स्पष्ट नही होता कि नए साझेदार ने अपना हिस्सा पुराने साझेदारों से किस अनुपात में लिया है, तो यह मान लिया जाता है की पुराने साझेदारों के लाभ विभाजन अनुपात में कोई परिवर्तन नही है और वे अपने पुराने अनुपात में ही लाभ हानि का विभाजन करते रहेंगे।
त्याग अनुपात (Sacrifice Ratio)
जब भी फर्म में नया साझेदार प्रवेश करता है तो पुराने साझेदारों को अपने हिस्से में से कुछ भाग नए साझेदार के पक्ष में त्याग कर्ज पड़ता है। जिस अनुपात में वह अपने हिस्से का त्याग करते है उसे त्याग अनुपात कहा जाता है। नए साझेदार द्वारा नकद लाई गई ख्याति की राशि पुराने साझेदारों को उनके द्वारा किए गए त्याग अनुपात मव ही प्राप्त होती है क्योकि ख्याति की राशि वह क्षतिपूर्ति है जो पुराने साझेदारों को उनके द्वारा किए गए त्याग के बदले प्राप्त होती है।
गणना (Calculation)
त्याग अनुपात की गणना निम्न प्रकार से की जाती है :
त्याग अनुपात = पुराना अनुपात - नया अनुपात
(Sacrifice Ratio = Old Ratio - New Ratio )
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