Time Sharing Operating System in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम time sharing operating system के बारे मे जानेंगे।


टाइम शेयरिंग (Time Sharing)

टाइम शेयरिंग शब्द का प्रयोग हम उन प्रोसेसिंग सिस्टम को समझने के लिए करते है जिसमे असंख्य स्वतन्त्र, तुलनात्मक कम गति वाले, ऑन लाइन, एक साथ उपयोग में लिए जाने वाले स्टेशन हो। प्रत्येक स्टेशन हमे CPU का सीधा एक्सेस प्रदान करता है।


दूसरे शब्दों में, टाइम शेयरिंग का अर्थ है time dependent प्रक्रिया से कम्प्यूटर साधनों को एक साथ प्रोग्रामों में बांटना। time sharing सिस्टम का अभिप्राय है असंख्य यूज़र्स को समस्या के समाधान के लिए कम्प्यूटर से सीधा एक्सेस प्रदान करना। यह कार्य प्रत्येक यूजर को एक अलग टर्मिनल देकर किया जाता है। यह सारे टर्मिनल मुख्य कम्प्यूटर सिस्टम से जुड़े होते है। अतः टाइम शेयरिंग सिस्टम में एक समय मे अनेक सैकड़ों टर्मिनल एक कम्प्यूटर से जुड़े रहते है।




Time Sharing Operating System in Hindi
Time Sharing Operating System in Hindi




Time sharing सिस्टम के पीछे मूल विचार है सभी यूजर प्रोग्रामों को बारी बारी से CPU के समय का छोटा सा भाग उपलब्ध कराना। पहले प्रोग्राम से लेकर आखिरी प्रोग्राम तक, प्रत्येक user प्रोग्राम को एक एक करके CPU टाइम का अत्यधिक संक्षिप्त भाग allocate किया जाता है। यह समय का छोटा सा अंतराल जिसके दौरान यूजर पर केंद्रित होता है। उसे time slice, quantum, time slot कहते है, जो 10 से 50 मिली सेकंड तक का होता है। सिस्टम की प्रोसेसिंग स्पीड और टाइम शेयरिंग के साथ मल्टी प्रोग्रामिंग का प्रयोग CPU को एक यूजर स्टेशन से दूसरे पर जाने की सुविधा देता है जिससे कि जब तक जॉब पूरी ना हो जाए तब तक allocated time slice में प्रत्येक जॉब को प्रोसेस किया जाता है यह गति इतनी तेज होती है कि प्रत्येक यूजर को ऐसा भ्रम होता है कि वह अकेला कम्प्यूटर का प्रयोग कर रहा है यह कुछ इस तरह है कि अलग अलग फ्रेम्स से बनी motion picture फ़िल्म को देखना जिसमे switching इतनी तीव्र होती है कि किसी भी टर्मिनल पर प्रोसेसिंग लगातार होती नजर आती है।


यद्यपि ऐसा प्रतीत होता है कि एक समय मे अनेक यूज़र्स कम्प्यूटर सिस्टम का उपयोग कर रहे है, लेकिन एक CPU वाले सिस्टम एक समय मे मात्र एक इंस्ट्रक्शन execute कर सकते है। अतः मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम के समान, टाइम शेयरिंग सिस्टम में भी एक समय मे मात्र एक प्रोग्राम CPU के कंट्रोल में रह सकता है। परिणामस्वरूप किसी भी समय पर टाइम शेयरिंग सिस्टम का प्रयोग कर रहे सभी यूज़र्स निम्नलिखित में से किसी एक स्थिति में पाए जाते है।


1. Active - यूजर के प्रोग्राम पर अभी CPU का कंट्रोल है। निसन्देह एक समय मे मात्र एक यूजर कार्यशील होगा।


2. Ready - यूजर का प्रोग्राम कार्य को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है, लेकिन CPU का ध्यान पाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहा है। एक समय मे एक से ज्यादा user ready state में हो सकते है।


3. Wait - यूजर ने अपने जॉब के execution के लिए कोई रिक्वेस्ट नही भेजी है या यूजर का प्रोग्राम किसी I/O क्रिया के लिए इंतजार कर रहा है। एक समय में एक से ज्यादा यूजर wait state में हो सकते है।


जब टाइम शेयरिंग सिस्टम में, एक साथ सैंकड़ों यूजर सिस्टम को उपयोग में ले रहे होंगे। कम्प्यूटर में उपलब्ध कुल मेन मेमोरी सीमित है, इसलिए टाइम शेयरिंग सिस्टम के प्रत्येक यूजर के प्रोग्राम एक साथ मेन मेमोरी में रखना सम्भव नही है। अतः किसी भी समय मे टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम सिर्फ कुछ प्रोग्राम main memory में रखता है, और शेष डिस्क स्टोरेज पर संरक्षित होते है। किसी भी क्षण, memory resident प्रोग्राम में active प्रोग्राम और कुछ ready प्रोग्राम जिन्हें शीघ्र ही CPU का समय मिलेगा, शामिल होते है। मेन मेमोरी के wait प्रोग्राम को सामान्यतः डिस्क स्टोरेज के ready प्रोग्राम से बदल दिया जाता है। जब भी प्रोग्राम को execute किया जाना होता है, इसे डिस्क से वापिस मेन मैमोरी में लाया जाता है और inactive प्रोग्राम को डिस्क पर भेज दिया जाता है।


मेन मेमोरी से प्रोग्रामों को डिस्क पर ट्रांसफर करना और फिर से मेन मैमोरी में लाने की प्रक्रिया को swapping कहते है।


यह स्वैपिंग प्रक्रिया जिसे roll - in, roll - out भी कहते है, कुछ सेकंड में अनेको बार दोहराई जाती है। इस संदर्भ में, डिस्क ही एक मात्र साध्य सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस है क्योंकि मेग्नेटिक टेप की तुलना में इनकी सूचना ट्रांसफर की गति ज्यादा तेज होती है और यह direct access प्रदान करती है।



टाइम शेयरिंग सिस्टम में यूजर की अक्सर सैंट्रल सिस्टम से बातचीत होती है। अतः इन्हें कॉन्वेरसशनल या इनएक्टिव कम्प्यूटिंग भी कहते है। कम्प्यूटर को इसी तरह प्रोग्राम किया जाता है कि आवश्यकतानुसार यूजर स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ सकता है, अपने प्रोसीजर के भागों को टेस्ट करते हुए या समस्या के हल के लिए अलग अलग रास्ते देखते हुए। इस कारण से टाइम शेयरिंग सिस्टम प्रोग्राम निर्माण और टेस्टिंग के लिए सबसे उपयुक्त है। 

Post a Comment