Meaning of Resolution and its Types in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम संकल्प और इसके प्रकार के बारे में जानेंगे।


संकल्प (Resolutions)

जब सभा मे कुछ प्रस्तावित किया जाता है तो उसे सुझाव कहा जाता है। दूसरे शब्दों में वह विषय जो सभा मे विचार विमर्श के लिए रखा जाता है, सुझाव के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह जरूरी है कि कोई भी सुझाव जो किसी सदस्य द्वारा रखा जाता है, उसका समर्थन अर्थात अनुमोदन किसी दूसरे सदस्य द्वारा होना चाहिए। जब सुझाव पर विचार विमर्श समाप्त हो जाता है तो अध्यक्ष उसे मतदान के लिए प्रस्तुत करता है, जोकि सभा द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है। स्वीकार हो जाने के बाद वह संकल्प कहा जाता है।




Meaning of Resolution and its Types in Hindi
Meaning of Resolution and its Types in Hindi





संकल्प या प्रस्ताव के प्रकार (Kinds of Resolutions)

1. साधारण प्रस्ताव

2. विशेष प्रस्ताव


1. साधारण प्रस्ताव - साधारण प्रस्ताव से आशय एक ऐसे प्रस्ताव से है जो कि सभा मे उपस्थित सदस्यों के साधारण बहुमत से अर्थात कुल उपस्थित सदस्यों के 50 प्रतिशत से अधिक मत से पास किया जाता है। साधारण बहुमत का आशय प्रस्ताव के पक्ष में आने वाले मतों के प्रस्ताव के विपक्ष में आने वाले मतों के ऊपर आधिक्य से है।


कंपनी अधिनियम के अनुसार जिन कार्यों के लिए साधारण प्रस्ताव की आवश्यकता पड़ती है उसके कुछ उदहारण निम्नलिखित भागों में बांटे जा सकते है :


1. कंपनी का नाम बदलने के लिए अगर कंपनी किसी विद्यमान कंपनी के मिलते जुलते नाम से समामेलित हो गयी है।


2. अपनो अंशपुंजी में परिवर्तन करने के लिए।


3. कंपनी के वार्षिक खाते स्वीकार करने के लिए।


4. अंकेक्षकों की नियुक्ति, उनका पारिश्रमिक निश्चित करना, उन्हें हटाने एवं उनके त्याग पत्र के कारण रिक्त स्थान की पूर्ति करने के लिए।


5. प्रविवरण में दिए गए अनुबन्धों की शर्तों में परिवर्तन करने के लिए।


6.प्रथम संचालक की नियुक्ति करने के लिए जो पारी से अवकाश ग्रहण करेगा।


7. संचालको कर पारिश्रमिक का अनुमोदन करना।


8. निर्धारित सीमा से अधिक निगमित विनियोजन करना।


9. अन्तर्नियमों की अनुपति होने पर ऐच्छिक समापन का अनुमोदन करना।




2. विशेष प्रस्ताव - विशेष प्रस्ताव एक ऐसा प्रस्ताव है जोकि व्यापक सभा मे सदस्यों के 3/4 बहुमत द्वारा स्वीकार किया जा सकता है। इसके लिए अध्यक्ष के स्वतन्त्र मत की व्यवस्था नही है। मतदान हस्त प्रदर्शन द्वारा या मतगणना द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक रूप में हो सकता है। मतदान सदस्यों द्वारा खुद उपस्थित होकर या प्रति पुरुष द्वारा किया जा सकता है।


विशेष प्रस्ताव एक ऐसी महत्वपूर्ण विधि है जिसके द्वारा समामेलित कपनियां अपने ऐसे महत्वपूर्ण कार्यों को करती है जो कि कंपनियों के हित मे है या हो सकते है। विशेष प्रस्ताव का आशय है कि प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य पर्याप्त रूप से सोच विचार कर तथा कंपनी के अधिक सदस्यों की सहमति से किया जा सके।


कंपनी अधिनियम में ऐसे कार्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है जिनको करने के लिए विशेष प्रस्ताव पारित किया जाना जरूरी है इनमे से कुछ निम्नलिखित है :

1. कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने के लिए।


2. सीमानियम के उद्देश्य वाक्य में परिवर्तन करने के लिए।


3. अन्तर्नियमों में परिवर्तन करने के लिए।


4. अंशपुंजी में परिवर्तन करने के लिए।


5. सदस्यों का रजिस्टर कंपनी के पंजिकृत कार्यालय के सिवाय किसी अन्य स्थान पर रखना।


6. कंपनी के समापन के लिए न्यायालय के आदेश प्राप्त करना।


7. विशेष वर्ग के अंशों के अधिकार परिवर्तन करना।


8. समता अंश के धारकों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को अधिक अंश निर्गमित करना।


9. कंपनी का ऐच्छिक समापन करना।


10. अन्वेषण की मांग करने के लिए।


11. संचालकों को कंपनी में लाभ का पद देने के लिए।


12. समापन की दशा में, कंपनी तथा उसके ऋणदाताओं के बीच किसी प्रबन्ध योजना के लिए स्वीकृति देने के लिए

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