स्वतंत्र व्यापार में संरक्षण के विपक्ष में तर्क के बारे में जानकारी

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में संरक्षण के विपक्ष में तर्क के बारे में बताया गया है।


संरक्षण के विपक्ष में तर्क (Arguments Against Protection)

1. अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने में बाधा - संरक्षण नीति में लगाए गए प्रतिबन्धों के कारण उत्पादन साधनों की गतिशीलता तथा अन्तराष्ट्रीय श्रम विभाजन में कठिनाइयां आती है। इस कारण साधनो का पूरा उपयोग तथा श्रम विभाजन के लाभ प्राप्त करना असम्भव हों जाता है। इसका स्वाभाविक परिणाम यह होता है कि साधनों के वितरण में असंतुलन उतपन्न हो जाता है तथा सामाजिक लाभ कम हो जाता है।



स्वतंत्र व्यापार में संरक्षण के विपक्ष में तर्क के बारे में जानकारी
स्वतंत्र व्यापार में संरक्षण के विपक्ष में तर्क के बारे में जानकारी




2. उपभोक्ताओं को हानि - संरक्षण नीति के अनुसार लगाए गए आयात करों के परिणामस्वरूप आयात वस्तुओं के मूल्य उतने ही बढ़ जाते है जितना कि कर लगाया जाता है। इसलिए उपभोक्ताओं को महँगी वस्तुएं खरीदनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त अगर आयतों पर आयातों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए तो उपभोक्ताओं को देश के अंदर बनी हुई घटिया किस्म की वस्तुएं महँगी खरीदनी पड़ेगी।


3. साधनों का अनार्थिक उपयोग - संरक्षण नीति में लगाए गए प्रतिबन्धों के कारण देश मे उपलब्ध प्राकृतिक साधनों का उसी देश मे प्रयोग करना पड़ता है। अविकसित देशों में पूंजी तथा तकनीकी ज्ञान की उचित सुविधाएं प्राप्त न होने के कारण प्राकृतिक साधनों का सदुपयोग सम्भव नही होता है, इससे प्राकृतिक साधनों का अल्प उपयोग होता है।

संरक्षण के पक्ष में तर्क जाने

4. विदेशी व्यापार में कमी - संरक्षण नीति में आयातों पर या तो प्रतिबन्ध लगा दिए जाते है या ऊँचे कर लगा दिए जाते है। इसका स्वाभाविक परिणाम यह होता है कि आयात कम हो जाते है। आयातों के कम होने पर निर्यात भी कम हो जाते है। इस प्रकार संरक्षण की स्थिति में विदेशी व्यापार में कमी आ जाती है।


5. तुलनात्मक लागत सिद्धान्त की अवहेलना - संरक्षण नीति वे अंतर्गत सभी देश प्रत्येक वस्तु का उत्पादन करने का प्रयास करते है। वे केवल उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन नही करते जिनमें उन्हें तुलनात्मक लाभ प्राप्त होता है। इस प्रकार से संरक्षण नीति के फलस्वरूप तुलनात्मक सिद्धान्त की अवहेलना होती है तथा संसार का कुल उत्पादन बढ़ नही पाता।


6. कुशल उद्योगों को प्रोत्साहन नही - कुछ उद्योगों को संरक्षण मिलने से कुशल उद्योगों को कोई प्रोत्साहन नही मिलता। विश्व व्यापी आयात प्रतिबन्धों के कारण औद्योगिक इकाइयों के विक्रय क्षेत्र सीमित होकर केवल स्वदेशी बाजार ही रह जाता है। इस कारण उन्हें विकास व फैलाव का अवसर नही मिलता।


7. एकाधिकारी प्रवृत्ति - संरक्षण नीति में आयात पर लगाए गए प्रतिबन्धों के परिणामस्वरूप प्रतियोगिता समाप्त हो जाती है और उसका स्थान एकाधिकारी ले लेते है। एकाधिकारी उद्योगों को प्रतियोगिता का कोई डर नही रहता। उद्योगों की कार्यकुशलता में वृद्धि नही होती। इसके फलस्वरूप घटिया किस्म की वस्तुओं का उत्पादन होता है। परन्तु एकाधिकारी उनकी कीमत अधिक वसूल करते है। इससे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।


8. उचित प्रतियोगिता का अभाव - संरक्षण के कारण आयात निर्यात पर बहुत से प्रतिबन्ध लगा दिए जाते है, इसलिए संसार के विभिन्न देशों को उचित प्रतियोगिता तथा विशिष्टीकरण से होने वाले लाभों से वंचित रहना पड़ता है। 

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