स्वतंत्र व्यापार और इसके पक्ष में तर्क के बारे में जानकारी

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट के अंतर्गत स्वतंत्र व्यापार का अर्थ और इसके पक्ष के तर्क के बारे में बताया गया है।


स्वतंत्र व्यापार (Free Trade)

स्वतंत्र व्यापार, व्यापारिक नीति की उस अवस्था को कहते है जिसमें स्वदेशी तथा विदेशी वस्तुओं में किसी प्रकार का भेद नही किया जाता और इसलिए न तो विदेशी वस्तुओं पर कोई अतिरिक्त भार डाला जाता है और न ही स्वदेशी वस्तुओं को कोई विशेष सुविधाएं दी जाती है।



स्वतंत्र व्यापार और इसके पक्ष में तर्क के बारे में जानकारी
स्वतंत्र व्यापार और इसके पक्ष में तर्क के बारे में जानकारी




स्वतंत्र व्यापार के पक्ष में तर्क (Arguments Favouring Free Trade)

स्वतंत्र व्यापार से किसी एक देश को नही बल्कि विश्व के सभी देशों को लाभ होता है। स्वतंत्र व्यापार के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते है :

1. उत्पादन का अधिक्तमिकरण - तुलनात्मक लागत लाभ सिद्धान्त के अनुसार, प्रत्येक देश उस वस्तु के उत्पादन में विशेषता प्राप्त करेगा जिसके लिए वह अधिक उपयुक्त है या जिसके उत्पादन में उसे अधिक तुलनात्मक लाभ प्राप्त होता है। इसके फलस्वरूप संसार मे विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन अधिकतम होगा।


2. संसाधनो का अनुकूलतम उपयोग - क्योंकि उत्पादन तुलनात्मक लागत लाभ के सिद्धान्त के अनुसार होता है, इसलिए संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग किया जाता है। प्रत्येक देश आगतों के न्यूनतम लागत संयोग द्वारा वस्तुओं का उत्पादन करता है।

स्वतंत्र व्यापार के विपक्ष में तर्क भी जाने

3. क्षेत्रीय श्रम विभाजन - स्वतंत्र व्यापार के परिणामस्वरूप क्षेत्रीय या भौगोलिक श्रम विभाजन को प्रोत्साहन मिलता है। प्रत्येक देश उन्ही वस्तुओं में विशिष्टता प्राप्त करता है जिनके उत्पादन में उसे भूमि, जलवायु, खनिज पदार्थ इत्यादि जैसी प्राकृतिक सुविधाएं उपलब्ध हो।


4. कार्यकुशल उद्यमी - स्वतंत्र व्यापार वे कारण विभिन्न देशों में कम से कम लागत पर वस्तुएं बनाने की प्रतिस्पर्धा होती है। इसलिए ऐसी अवस्था मे केवल कार्यकुशल फर्में या उद्यमी ही बाजार में टिक सकते है। कम कार्यकुशल उद्यमी इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा में बाजार छोड़कर चले जाते है।


5. अन्तराष्ट्रीय सहयोग - स्वतंत्र व्यापार के फलस्वरूप विभिन्न देश कुछ वस्तुओं के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते है और एक दूसरे से वस्तुओं का आदान प्रदान करते है। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न देशों के लोग अन्य देशों के सम्पर्क में आते है। इसके फलस्वरूप अन्तराष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि होती है। सारा संसार एक आर्थिक इकाई बन जाता है।


6. उपभोक्ता को लाभ - स्वतंत्र व्यापार में सबसे अधिक लाभ उपभोक्ताओं को होता है। अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता होने के कारण प्रत्येक उत्पादन कम से कम लागत पर वस्तुएं बनाने का प्रयत्न करता है। इसके अलावा वस्तुओं के आयात पर भी किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नही होता। इसलिए उपभोक्ताओं को अपने मनपसंद की अच्छी से अच्छी वस्तु कम से कम कीमत पर प्राप्त हो जाती है।


7. विस्तृत बाजार - स्वतंत्र व्यापार से सारा संसार एक ही विस्तृत बाजार का रूप धारण कर लेता है। विभिन्न देशों के उत्पादकों को अपने माल को विश्व बाजार में बेचने का अच्छा अवसर प्राप्त हो जाता है। बाजार का आकार बढ़ने से उत्पादन का पैमाना बढ़ जाता है। इससे उत्पादन की लागत कम हो जाती है। इसके फलस्वरूप उत्पादकों के लाभ बढ़ जाते है।


8. सस्ती आयातित वस्तुएं - स्वतंत्र व्यापार के अंतर्गत किसी प्रकार के प्रतिबन्ध और सीमा शुल्क न होने के कारण आयात की गई वस्तुएं सस्ती पड़ती है। प्रत्येक देश केवल उन्हीं वस्तुओं का निर्यात करता है जिनके उत्पादन में उसे प्राकृतिक सुविधाएं प्राप्त है तथा तुलनात्मक लाभ अधिक है और उन वस्तुओं का आयात करता है जिसके उत्पादन में तुलनात्मक लाभ कम है। सस्ती आयातित वस्तुओं के उपयोग से जीवन स्तर ऊंचा होता है।


9. यातायात तथा संचार का विकास - स्वतंत्र व्यापार की अवस्था मे सभी देश उद्योगों के पूर्ण विकास का प्रयत्न करते हैं। उद्योगों के विकास के कारण व्यापार बढ़ता है। कच्चा माल तैयार वस्तुएं एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जानी होती है। इसके लिए यातायात तथा संचार का विकास होता है। दूसरे देशों को माल ढोने के लिए भी स्वतंत्र यातायात तथा संचार के साधनों का विकास किया जाता है। 

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