Internal Control Mechanism in International Business in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में आंतरिक नियंत्रण संयंत्र के बारे में जानेंगे।


अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में आंतरिक नियंत्रण संयंत्र (Internal Control Mechanism in International Business)

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में मूल कंपनी मेजबान देश मे स्थापित सहायक कंपनियों की व्यावसायिक क्रियाओं पर व मूल कंपनी की घरेलू व्ययवसायिक क्रियाओं पर नियंत्रण करती है। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां मेजबान देश मे व्यावसायिक नियंत्रण के लिए प्रभावकारी आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था डिज़ाइन करती है। आंतरिक नियंत्रण से लाभदायकता, उत्पादकता, कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग सम्भव होता है।, व्यर्थता में कमी आती है, उपभोक्ता संतुष्टि के वृद्धि होती है तथा बाजार अंश में बढ़ोतरी होती है। आंतरिक नियंत्रण के मुख्य संयंत्र निम्नलिखित है :

 


अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में आंतरिक नियंत्रण संयंत्र
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में आंतरिक नियंत्रण संयंत्र




1. आंतरिक रिपोर्टिंग - सहायक कंपनियां मूल कंपनी को विभिन्न सामयिक रिपोर्टें भेजती है जैसे रोकड़ प्रवाह विवरण, क्षमता उपयोग का प्रतिशत, कुल विक्रय मात्रा, विक्रय मात्रा में वृद्धि, डूबत ऋण, कार्यशील पूंजी, आवर्तन दर अनुपात, लाभदायकता आदि के बारे में सामयिक रिपोर्टें भेजी जाती है।


2. मेजबान देश मे कार्य कर रहे प्रबन्धकों के निष्पादन पर नियंत्रण - सहायक कंपनियों के कार्यों पर नियंत्रण के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां मेजबान देशों में कार्यरत प्रबन्धको के निष्पादन का समय समय पर मूल्यांकन करती है। विभिन्न मेजबान देशों में कार्य शैली, कार्य पद्धति, मूल्य-नीति शास्त्र, संस्कृति आदि अलग अलग होते है। अतः बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए विभिन्न सहायक कंपनियों के प्रबन्धकों के कार्य निष्पादन बहुत कठिन होता है। इस समस्या के समाधान के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनी साझी निगमित संस्कृति विकसित करती है जिससे साझी कार्य शैली, कार्य पद्धति, कार्य सिद्धान्त, मूल्यनिति शास्त्र, कार्य दशाएं, काम करने के घण्टे, सभाएं आयोजित करने का तरीका, दैहिक भाषा, शिष्टाचार सम्बन्धी आयाम निर्धारित किए जाते है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लाभ

3. सहायक कंपनियों में जाकर जांच पड़ताल - मूल कंपनी के उच्च अधिकारी सामयिक अंतराल पर सहायक कंपनियों की जांच पड़ताल के लिए जाते है। वहां के अधिकारियों से प्रत्यक्ष मेल जोल, बातचीत द्वारा वहां कर कार्यों का निरीक्षण करते है। वे सहायक कंपनी की कार्य पद्धति, कार्य शैली, लेखांकन रिकॉर्ड का विश्लेषण करते है। उत्पादन प्लांट, विपणन विभाग, वित्त विभाग आदि में जाकर उनके कार्यों का निरीक्षण करते है। विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहे कर्मचरियों व अधिकारियों से बातचीत करके उनकी शिकायतों, कठिनाइयों, सुझावों को सुनते व समझते है।


4. आंतरिक अंकेक्षण/ कार्यात्मक अंकेक्षण - आंतरिक अंकेक्षण भी नियंत्रण का महत्वपूर्ण संयंत्र है। आंतरिक अंकेक्षक सहायक कंपनियों के वित्तीय व अन्य पहलुओं की स्वतंत्र रूप से जांच करता है, कमियों को ढूंढता है तथा इन्हें दूर करने के लिए सुझाव देता है। यह एक निरन्तर प्रक्रिया है जिसके द्वारा आंतरिक अंकेक्षक सहायक कंपनी व मूल कंपनीके वित्तीय गबनों, कोषों के अकुशल प्रयोग व अन्य त्रुटियों का पता लगाने व उचित समय का सुधार करने में सहायता करता है।

बाहरी नियंत्रण संयंत्र जाने

5. मुख्य निष्पादन सूचकों का वित्तीय विश्लेषण - सहायक कंपनियों की वित्तीय कुशलता के विश्लेषण व मूल्यांकन के लिए विभिन्न वित्तीय संयंत्रों का प्रयोग किया जाता है जैसे अनुपात विश्लेषण, रोकड़ प्रवाह विश्लेषण, कोष प्रवाह विश्लेषण, कार्यशील पूंजी विश्लेषण, बजटरी नियंत्रण आदि। विदेशी सहायक कंपनियों के वित्तीय विश्लेषण व नियंत्रण के लिए जिन अनुपातों का प्रयोग किया जाता है वो है लाभदायकता, कार्यक्षमता और शोधन क्षमता।


6. कार्यात्मक कुशलता सूचक :

(i) निर्माणी इकाइयों की कार्यात्मक कुशलता के मूल्यांकन के लिए समविच्छेद बिंदु, स्थापित उत्पादन क्षमता का प्रतिशत प्रयोग, प्रति इकाई लागत में कमी आदि सूचकों का प्रयोग किया जाता है

(ii) मानव संसाधन प्रबन्ध के मूल्यांकन के लिए कर्मचारियों के8 उत्पादकता, श्रण आवर्तन दर, हड़ताल, तालाबंदी के कारण व्यर्थ हुए मानव दिवस आदि सूचकों का प्रयोग किया जाता है।

(iii) विपणन डिवीजन की कार्यकुशलता के लिए बाजार अंश, विक्रय मात्रा, विक्रय में वृद्धि दर, विक्रय व्ययों का विक्रय का अनुपात, प्रतिदिन विक्रय पुकार, आदेश पुकार अनुपात, औसतन आदेश आकार आदि सूचकों का प्रयोग किया जाता है।

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