हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में उत्पाद शुल्क की मांग के बारे में जानेंगे।
उत्पाद शुल्क की मांग (Demand of Excise Duty)
सामान्यतः उत्पाद शुल्क निर्धारण, माल के कारखाने से निकासी के समय होता है एवं उसका भुगतान ततपश्चात नियमनुसार होता है। उटलड़क द्वारा यह कार्यवाही स्वयं सम्पादित की जाती है।
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Demand of Excise Duty in Hindi |
(अ) अगर उत्पाद शुल्क उद्गृहीत/भुगतान नही हुआ हो।
(ब) कम उद्गृहीता भुगतान हुआ हो।
(स) त्रुटिपूर्ण वापसी हो गयी हो।
उत्तरदायी व्यक्ति को देय राशि के सम्बन्ध में कारण बताओ नोटिस निर्गमित किया जाएगा कि उसमें उल्लिखित राशि उससे क्यों न वसूल की जाए ?
कपट, दुराभिसन्धि, जानभुझकर असत्य घोषणा, विवरण या तथ्यों के छिपाने की दशा में ऐसा कारण बताओ नोटिस सम्बन्धित तिथि से पांच वर्ष के अंदर भी दिया जा सकता है।
उत्तरदायी व्यक्ति से नोटिस का जवाब प्राप्त होने के बाद उत्पाद शुल्क अधिकारी देय उत्पाद शुल्क का निर्धारण करेगा, इसके बाद उत्तरदायी व्यक्ति ऐसी निर्धारित राशि का भुगतान करेगा।
उत्पाद शुल्क की उपर्युक्त मांग तब भी की जा सकती है, जबकि विभाग करदाता के लिए, उत्पाद शुल्क की दर, शुल्क योग्य मूल्य की स्वीकृति, अनुमोदन पूर्व में कर चुका हो। कहने का अर्थ है कि विभाग को इस सम्बंध में अपना मत परिवर्तित करने का अधिकार है।
कारण बताओ नोटिस के लिए सम्बन्धित तिथि - कारण बताओ नोटिस की समयावधि की गणना करने सम्बन्धित तिथि से आशय निम्नांकित तिथि से है :
(i) नियमानुसार सम्बन्धित विवरणी दाखिल करने की वास्तविकता तिथि।
(ii) नियमानुसार सम्बन्धित विवरणी देरी से दाखिल करने की तिथि - अंतिम देय तिथि जब तक कि विवरणी दाखिल हो जानी चाहिए थी।
(iii) जहां विवरणी दाखिल करना अपेक्षित न हो - ऐसी स्थिति में उत्पाद शुल्क भुगतान करने की तिथि।
(iv) अनंतिम निर्धारण की दशा में - ऐसे निर्धारण के अंतिम निर्धारण के रूप में समायोजन की तिथि।
(v) त्रुटिपूर्ण वापसी की दशा में - ऐसी वापसी की तिथि।
(vi) अनंतिम निर्धारण के विरुद्ध कोई मांग नही की जाएगी।
कारण बताओ नोटिस का कालातीत होना - अगर कोई कारण बताओ नोटिस अपनी विधिक समयावधि से अधिक हो जाता है तो सम्पूर्ण नोटिस निरस्त नही होता है वरन मान्य अवधि से आगे की अवधि से सम्बन्धित अधिकार एवं दायित्वों से रहित हो जाता है।
ऐच्छिक भुगतान की दशा में नोटिस आवश्यक नहीं - अगर करदाता यह समझता है की देय राशि उसे उचित एवं विधिक रूप से देनी है तो वह बिना SCN के ही भुगतान करके इसकी सूचना सम्बन्धित उत्पाद शुल्क अधिकारी को दे सकता है।
कारण बताओ नोटिस की विषय वस्तु - बिना कारण बताओ नोटिस के शुल्क की मांग अवैध है अतः उचित कारण बताओ नोटिस में निम्नांकित सूचनाओं का होना जरूरी है :
(i) देय राशि की स्पष्ट मात्रा का उल्लेख।
(ii) विधि/विधान के अतिक्रमण/न मानने का उल्लेख।
(iii) लगाए गए आरोपों एवं उनके कारणों का उल्लेख।
(iv) आरोपित अर्थदंड एवं जब्ती का स्पष्ट उल्लेख।
(v) स्पष्ट एवं अर्थपूर्ण सूचना का प्रकटन।
कारण बताओ नोटिस का प्रस्तुतिकरण - कारण बताओ नोटिस सम्बन्धित व्यक्ति को निम्नांकित रूप में प्रतुत किया जा सकता है :
(i) सम्बन्धित व्यक्ति को पावती के अंतर्गत सपुर्दगी/प्रस्तुति।
(ii) रजिस्टर्ड डाक द्वारा पावती के साथ सपुर्दगी/प्रस्तुति।
कारण बताओ नोटिस का जवाब, सुनवाई एवं अंतिम आदेश- उत्तरदायी व्यक्ति जिसे SCN प्रस्तुत किया गया है, उसकी प्राप्ति के एक माह के अंदर अपना प्रतिवेदन सक्षम अधिकारी को प्रस्तुत करेगा। ऐसा सक्षम अधिकारी उस प्रतिवेदन पर अपना निर्णय देने से पहले करदाता को सहायक साक्ष्य उपलब्ध कराने का अवसर देगा एवं गवाहों से शपथ पर पूछताछ/जांच पड़ताल कर सकेगा।
निर्धारण के बारे में जाने
न्याय के नैसर्गिक सिद्धान्त के अनुरूप करदाता एवं अन्य सम्बन्धित पक्षकारों को व्यक्तिगत सुनवाई के अवसर अवश्य प्रदान किया जाएगा।
व्यक्तिगत सुनवाई के समापन के बाद अधिकतम एक माह के अंदर आदेश पारित कर दिया जाएगा। ऐसे आदेश के अधिकतम 6 मह के अंदर शुल्क के कम भुगतान/न भुगतान का ऐसे आदेश के अनुसार विभाग द्वारा निर्धारण किया जाएगा। ऐसी राशि के निर्धारण में प्रचलित दर से ब्याज का भी आरोपण किया जाएगा।
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