Registration of Dealer under Central Sales Tax in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में व्यापारियों के पंजीकरण के बारे में जानेंगे।

प्रत्येक ऐसा व्यापारी जो अंतराष्ट्रीय व्यापार की प्रक्रिया में माल का क्रय विक्रय करता है इस अधिनियम के अन्तर्गत कर देने के लिए दायी है और ऐसे व्यापारी को अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य है।


Registration of Dealer under Central Sales Tax in Hindi
Registration of Dealer under Central Sales Tax in Hindi


पंजीकरण (Registration)

इस अधिनियम के अंतर्गत व्यापारियों का पंजीकरण दो प्रकार का होता है


1. अनिवार्य पंजीकरण

प्रत्येक ऐसे व्यापारी को जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत कर देना है, अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है।

प्रत्येक ऐसा व्यापारी जो अंतराष्ट्रीय बिक्री के अंतर्गत माल खरीदता बेचता है इस अधिनियम के अंतर्गत कर देने के लिए दायी है, चाहे उसकी बिक्री कितनी ही कम क्यों न हो। अतः उसे अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य है।


अगर ऐसा व्यापारी जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य है, परन्तु वह पंजीकरण नही करवाता है तो ऐसे व्यापारी को अधिकतम 6 माह की साधारण कैद या जुर्माना या दोनो सजाएं दी जा सकती है। अगर वह अपराध लगातार करता रहता है तो उस पर अधिकतम 50 ₹ प्रतिदिन जुर्माना उस समय तक लगाया जा सकता है जब तक वह अपना पंजीकरण नही कर लेता।


2. ऐच्छिक पंजीकरण

ऐच्छिक पंजीकरण तीन परिस्थितियों में कराया जा सकता है :

(क) अगर व्यापारी केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के अंतर्गत करदाता नही है, परन्तु वह राज्य में बिक्री कर के लिए पंजीकृत है तो ऐसा व्यापारी स्वेच्छता से अपने को केंद्रीय बिक्री कर के लिए भी पंजीकृत करा सकता है।


(ख) अगर किसी राज्य या उसके किसी भाग में बिक्री कर अधिनियम लागू नही है तो उस राज्य में व्यापारिक स्थान रखने वाला व्यापारी ऐच्छिक पंजीकरण करा सकता है।

सकल और अन्तर्राजीय विक्रय का निर्धारण

(ग) अगर कोई व्यापारी राज्य में कर मुक्त वस्तुओं में व्यापार करता है या उसे इस सम्बन्ध में वापसी मिलनी है तो ऐसा व्यापारी भी पंजीकरण करा सकता है।


ऐच्छिक पंजीकृत व्यापारी का अनिवार्य पंजीकरण में परिवर्तन - जब ऐच्छिक पंजीकृत व्यापारी अन्तर्राजीय बिक्री करता है तो इसे ऐसी बिक्री करने की तिथि से 30 दिन में बिक्री कर अधिकारी को सूचित करना चाहिए और उससे अनुरोध करना चाहिए कि उसका पंजीकरण धारा 7(2) की अपेक्षा धारा 7(1) में परिवर्तित कर दिया जाए। ऐसे अनुरोध पत्र के साथ पंजीकरण प्रमाण पत्र संशोधन के लिए संलग्न कर देना चाहिए।

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