कंपनी के members के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम कंपनी के members के बारे में जानेंगे।


सदस्य (Member)

सदस्य का तातपर्य ऐसे व्यक्ति से है जो अंशपुंजी वाली कंपनी में उनके अंश ग्रहण किये हुए हो और बिना अंशपुंजी वाली कंपनी में उसे मताधिकार प्राप्त हो। अंशपुंजी वाली कंपनी में अंशधारी ही सामान्यतया सदस्य होते है। कंपनी के पार्षद सीमानियम के हस्ताक्षरकर्ताओं के सम्बंध में यह माना जाता है की उन्होंने सदस्य बनना स्वीकार कर लिया है तथा कंपनी के रजिस्ट्रेशन पर, उनका नाम सदस्यों के रजिस्टर में सदस्य के रूप में लिख दिया जायेगा। अन्य कोई भी व्यक्ति जो लिखित में कंपनी का सदस्य बनना स्वीकार करता है तथा जिसका नाम सदस्यों के रजिस्टर में प्रविष्ट कर दिया जाता है, वह कंपनी का सदस्य होगा।


कंपनी के members के बारे में जानकारी
कंपनी के members के बारे में जानकारी




सदस्यता के लक्षण (Elements of Membership)

1. कंपनी के पार्षद सीमानियम पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति को कंपनी का सदस्य माना जाता है।


2. किसी अन्य व्यक्ति को कंपनी का सदस्य होने के लिए यह जरूरी है कि उसने इस सम्बंध में अपनी लिखित सहमति दी हो तथा उसका नाम कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर में दर्ज कर लिया गया हो। यदि किसी व्यक्ति ने किसी कंपनी का सदस्य होने के लिए अपनी लिखित सहमति दे दी हो परन्तु उसका नाम कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर के दर्ज न किया गया हो तो ऐसा व्यक्ति कंपनी का सदस्य नही कहलायेगा। इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति का नाम तो कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर में लिख लिया गया है परन्तु उस व्यक्ति ने उस कंपनी का सदस्य बनने के लिए अपनी लिखित सहमति नही दी है तो ऐसा व्यक्ति भी कंपनी का सदस्य नही माना जायेगा।



कपनी के सदस्य कौन हो सकते हैं ?

1. व्यक्ति - कोई भी व्यक्ति जो अनुबंध करने की क्षमता रखता है, वह कंपनी का सदस्य हो सकता है। इसका आशय यह है कि वह वयस्क हो और अनुबंध की सभी शर्तों को समझने की योग्यता रखता हो।



2. साझेदारी संस्था - एक साझेदारी संस्था फर्म के नाम से न अंश खरीद सकती है और न कंपनी की सदस्य बन सकती है। इसका कारण यह हौ की फर्म का साझेदारो से पृथक स्वतंत्र अस्तित्व नही होता।


3. संयुक्त हिन्दू परिवार - एक संयुक्त हिन्दू परिवार अपने कर्ता के द्वारा ही किसी कंपनी के अंश खरीद सकता है दूसरे शब्दों में केवल कर्ता ही कंपनी का सदस्य बन सकता है।


4. निगम - एक निगम या कंपनी किसी दूसरी कंपनी के अंश क्रय कर सकती है। और उसकी सदस्य बन जाती है क्योंकि वह कृत्रिम वैधानिक व्यक्ति होती है। लेकिन वह ऐसा भी कर सकती है जबकि उसे अपने अन्तर्नियमों के अधीन यह अधिकार प्राप्त हो। परन्तु एक सहायक कंपनी एक सूत्रधारी कंपनी की सदस्य नही हो सकती।


5. रजिस्टर्ड सोसायटी - एक रजिस्ट्री सोसायटी अपने नाम मे किसी कंपनी के अंश खरीद सकती है बशर्ते कि उसके सीमानियम व अंतर्नियम उसे ऐसी आज्ञा देते हों।


6. दिवालिया - एक दिवालिया किसी कंपनी का सदस्य हो सकता है यद्यपि उसका अंशो में हित ऑफिसियल रिसीवर के पास रहेगा। लेकिन यदि कंपनी के अंतर्नियम में दिवालिया के सदस्य होने पर प्रतिबंध लगाया है तो वह कंपनी का सदस्य नही हो सकता।


7. विवाहित स्त्री - अन्य सामान्य व्यक्तियों की तरह विवाहित स्त्रियां कंपनी की सदस्य हो सकती है।


8. विदेशी व्यक्ति - कोई विदेशी या गैर निवासी भारतीय, भारतीय रिजर्व बैंक की साधारण या विशेष अनुमति लेकर एक भारतीय कंपनी के अंश क्रय कर सकता है तथा उसका सदस्य बन सकता है। परन्तु उसके देश के साथ युद्ध छिड़ जाने की स्थिति में वह विदेशी शत्रु बन जाता है तथा शत्रुता के दौरान उसकी मतदान शक्ति तथा सूचना प्राप्त करने का अधिकार आदि निलंबित कर दिए जाते है।


9. संयुक्त धारक - कंपनी के अंश दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप में भी खरीदे जा सकते है। पब्लिक कंपनी की दशा में प्रत्येक संयुक्त धारक को अलग सदस्य माना जाता है, परन्तु प्राइवेट कंपनी में संयुक्त धारकों को एक ही सदस्य माना जाता है। 

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