अंश क्या होता है अंश की विशेषताएं और प्रकार बताए


हेलो दोस्तों। 

आज के पोस्ट में हम अंश और इसके प्रकार और विशेषताओ के बारे में जानेंगे।


अंश (Share)

अंश का शाब्दिक अर्थ हिस्सा या भाग है। परन्तु अंश पूंजी वाली कंपनी के समदर्भ में इसका एक विशेष अर्थ है। एक कंपनी की अंश पूंजी समान तथा निश्चित मूल्य के विभिन्न हिस्सों में विभाजित होती है और ऐसा प्रत्येक हिस्सा एक अंश कहलाता है। 



अंश क्या होता है अंश की विशेषताएं और प्रकार बताए
अंश क्या होता है अंश की विशेषताएं और प्रकार बताए




अंश का आशय कंपनी की अंश पूंजी के एक हिस्से से है और उसमें स्कंध भी शामिल किया जाता है जब तक कि स्कंध तथा अंश में स्पष्ट व गर्भित रूप से अंतर न किया गया हो। 




अंशो की विशेषताएं (Nature of Shares)

1. चल सम्पति - अंश या कंपनी में किसी सदस्य का अन्य हित चल सम्पति होते है जो अन्तर्नियमो में दी हुई विधियों के अनुसार हस्तांतरित किये जा सकते है। 


2. संख्या - अंश पूंजी वाली कंपनी के प्रत्येक अंश के लिए एक पृथक संख्या निर्धारित की जाती है। अतः प्रत्येक अंश अपनी क्रम संख्या द्वारा ही पहचाना जाता है। 


3. अंशो का रजिस्ट्रेशन - कंपनी सदस्यों का एक रजिस्टर रखती है जिसमे प्रत्येक अंशधारी के अंशो की संख्या, धारक का नाम, पता व अंशो पर भुगतान की गई राशि का उल्लेख होता है।


4. अधिकार व हित - अंशधारी कंपनी में कुछ अधिकारों व हितों क्व स्वामी तथा कुछ दायित्व के अधीन होते है। अंश मुद्रा की राशि नही है वरन एक ऐसा हित है जिसे मुद्रा द्वारा मापा जाता है तथा विभिन्न अधिकारों व दायित्वो से बना है। अधिकारों का पुलिंदा अंश है। 


5. निष्क्रिय सम्पति - अंश एक निष्क्रिय सम्पति का चिन्ह है। सक्रिय सम्पति तो कंपनी के नियंत्रण में होती है। 





अंशो के प्रकार (Types of Shares)

कपनी अधिनियम 1956 के अनुसार कोई भी अंश पूंजी वाली कंपनी जिसका निर्माण इस अधिनियम के लागू होने के बाद हुआ है, केवल दो प्रकार के ही अंशो का निर्गमन कर सकती है। 

1. समता अंश - समता अंशो को साधारण अंश भी कहा जाता है। कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 43 के अनुसार समता अंशो का आशय कंपनी के उन सभी अंशो से है जो पूर्वधिकार अंश नही है। प्रत्येक अंशपुंजी वाली कंपनी की अंशपुंजी में समता अंशो का भाग सबसे अधिक होता है। सामान्यतः समता अंशो से आशय उन अंशो से है जिन पर लाभांश तथा समापन के समय पूंजी की वापसी पूर्वधिकार अंशो के बाद की जाती है।

पूर्वधिकार अंशधारियो को एक निश्चित दर से लाभांश के भुगतान के बाद शेष सम्पूर्ण लाभ पर समता अंशधारियो का अधिकार होता है। परन्तु इन्हें लाभांश उसी दशा में मिलेगा जब पूर्वधिकार अंशधारियो को लाभांश का भुगतान करने के बाद कुछ लाभ शेष रह जाता है। 



2. पूर्वधिकार अंश - ये ऐसे अंश होते है जिनके स्वामियों को लाभांश लेने और कंपनी के समापन की दशा में अपनी पूंजी पहले वापस पाने का अधिकार होता है। ऐसे अंशधारियो को पूर्व निश्चित दर से लाभांश पाने का प्रथम अधिकार होता है। इन अंशो के स्वामी अन्य अंशो पर लाभांश दिए जाने से पहले एक निश्चित लाभांश पाने के अधिकारी होते है। इनकी लाभांश दर इनके निर्गमन के समय ही अंतर्नियम की व्यवस्थाओं के अनुसार, निश्चित कर दी जातो है। वे इस दर से अधिक लाभांश पाने के अधिकारी नही होते भले ही कंपनी को कितने भी लाभ क्यो न हो, परन्तु अन्तर्नियमो तथा उनके निर्गमन की शर्तों के अधीन उन्हें अतिरिक्त अधिकार भी प्रदान किये जा सकते है, जैसे अतिरिक्त लाभों में भाग लेने का अधिकार या अंशो को समता अंशो में परिवर्तित कराने का अधिकार आदि। पूंजी की वापसी के सम्बंध में पूर्वधिकार का आशय यह है कि जब कंपनी का विघटन होता है उस समय कंपनी द्वारा विभिन्न लेनदारों को तथा अन्य बाहरी व्यक्तियों को जिन्हें की कंपनी को भुगतान करना था, भुगतान करने के बाद यदि कोई रकम शेष बचती है, तो अन्य अंशधारियो की तुलना में सर्वप्रथम इन अंशधारियो की पूंजी को लौटाया जाएगा। इसके भुगतान के बाद बची हुई रकम में से ही अन्य प्रकार के अंशधारियो का भुगतान किया जायेगा। 

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