संचालकों के पारिश्रमिक के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम संचालकों के पारिश्रमिक के बारे में समझेंगे चलो शुरू करते है दोस्तों। 


संचालकों के पारिश्रमिक (Remuneration of Directors)

संचालक कंपनी के अधिकारी व एजेंट होते है। वे अंशधारियो के निर्वाचित प्रतिनिधि होते है तथा कंपनी द्वारा कर्मचारी के रूप में नियुक्त नही किये जाते। तदनुसार, वे कंपनी के कर्मचारी, सेवक, नौकर नही होते और उन्हें तब तक पारिश्रमिक प्राप्त करने का कोई अधिकार नही होता जब तक उनके पारिश्रमिक के सम्बंध में अन्तर्नियमो में कोई विशेष व्यवस्था न कि गयी हो। 


कंपनी अधिनियम 2013 ने संचालकों के पारिश्रमिक के सम्बंध में महत्वपूर्ण बदलाव किए है जो इस प्रकार है :

1. संचालको को किसी पारिश्रमिक का भुगतान तब तक नही किया जा सकता जब तक कि इस सम्बंध में कंपनी के पार्षद अंतर्नियम में कोई प्रावधान न हो। यदि पारिश्रमिक का भुगतान अन्तर्नियमो या व्यापक सभा के अधिकृत किये बिना कर दिया जाता है तो इसे वापिस मांगा जा सकता है तथा कंपनी के समापन की दशा में समापन इसे संचालकों से फिर से प्राप्त कर सकता है। 



Remuneration of Directors
संचालकों के पारिश्रमिक के बारे में जानकारी



2. यह धारा एक सार्वजनिक कंपनी या उसकी सहायक कंपनी द्वारा देय कुल अधिकतम पारिश्रमिक बतलाती है। इस धारा के अनुसार संचालको या प्रबन्धको को देय कुल प्रबन्धकीय पारिश्रमिक उस वित्तीय वर्ष के लिए उस कंपनी की धारा 198 में वर्णित रीति से गणना करके उन शुद्ध लाभों के ग्यारह से अधिक नही होगा। यह प्रतिशत किसी बैठक फीस या संचालक मंडल की बैठक में शामिल होने की फीस को छोड़कर होगा। 


3. किसी संचालक या प्रबन्धक को पारिश्रमिक का भुगतान या तो मासिक भुगतान के रूप में या कंपनी के शुद्ध लाभों की एक निर्दिष्ट प्रतिशत के आधार पर या अंशतः एक प्रकार से और अंशतः अन्य प्रकार से किया जाएगा। 


4. कोई स्वतंत्र संचालक किसी स्टॉक विकल्प का अधिकारी नही होगा और उपधारा (5) के अधीन निर्धारित फीस के रूप में पारिश्रमिक, बोर्ड की या अन्य बैठकों में भाग लेने के लिए व्ययों की प्रतिपूर्ति और लाभ सम्बन्धी कमीशन, जैसा सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाए, प्राप्त कर सकेगा। 


5. कंपनी राशि की वसूली का जो उसे उपधारा (9) के अधीन वापस मिलती है तब तक परित्याग नही करेगी जब तक कि केंद्रीय सरकार की पूर्व अनुमति के बिना लेता है या प्राप्त करता है तो जहां ऐसा अपेक्षित हो, वहां वह कंपनी को ऐसी राशि का भुगतान करेगा और ऐसी राशि के वापस होने तक उसे कंपनी के न्याय में धारण करेगा। 


6. प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी बोर्ड की रिपोर्ट में कर्मचारी के माध्यिका पारिश्रमिक के प्रति प्रत्येक संचालक के पारिश्रमिक का अनुपात और ऐसे अभ्य ब्यौरे, जो निर्धारित किये जायें प्रकट करेगा। 


7. ऐसा कोई संचालक जो कंपनी से कोई कमीशन प्राप्त करता है और जो कंपनी का प्रबन्ध या पूर्णकालिक संचालक है किसी सूत्रधारी कंपनी या ऐसी कंपनी की सहायक कंपनी से कोई पारिश्रमिक या कमीशन प्राप्त करने से कंपनी द्वारा बोर्ड की रिपोर्ट में इसका प्रकटीकरण किये जाने के अधीन रहते हुए अयोग्य नही होगा। 


8. यदि एक वित्तीय वर्ष में कंपनी का कोई लाभ नही है या अपर्याप्त लाभ है तो कंपनी केंद्रीय सरकार की पूर्व अनुमति से कोई राशि, जो अधिकृत की जाए, न्यूनतम पारिश्रमिक के रूप में भुगतान कर सकती है। केंद्रीय सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हानि या अपर्याप्त लाभ होने की दशा में पारिश्रमिक के लिए भुगतान के लिए केंद्रीय सरकार की अनुमति की आवश्यकता नही है।


यदि कोई व्यक्ति इस धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, वह ऐसे जुर्माने से, जो एक लाख रुपये से कम का नही होगा, किंतु जो पांच लाख रुपये तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा। 

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