ऐच्छिक समापन के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों। 

आज हम ऐच्छिक समापन और इसके परिणामो के बारे में जानेंगे। 


ऐच्छिक समापन (Voluntary Winding up)

जब किसी कंपनी का समापन राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम न्यायाधिकरण के हस्तक्षेप के बिना उसके लेनदारों या सदस्यों द्वारा किया जाता है तो उसे ऐच्छिक समापन कहते है। ऐच्छिक समापन का उद्देश्य यह है कि कंपनी अर्थात सदस्यों एवं लेनदारों को अपने मामलों का स्वयं ही न्यायाधिकरण में आये बिना निपटारा करने के लिए छोड़ दिया जाए। किंतु आवश्यकता पड़ने पर वे आदेशो व निर्देशों के लिए न्यायाधिकरण को आवेदन कर सकता है। 



ऐच्छिक समापन के बारे में जानकारी
ऐच्छिक समापन के बारे में जानकारी




ऐच्छिक समापन के परिणाम (Consequences of Voluntary Winding up)

ऐच्छिक समापन के परिणाम इस प्रकार है :

1. कंपनी के अस्तित्व पर प्रभाव - ऐच्छिक समापन के आरम्भ होने पर कंपनी अपना व्यापार बन्द कर देती है परन्तु यदि कंपनी के लाभकारी समापन के लिए व्यापार जारी रखना आवश्यक हो तो उसे जारी रखा जा सकता है। कंपनी का सामूहिक अस्तित्व तथा सामूहिक अधिकार इसके विघटन तक जारी रहते है। 


2. समापन की नियुक्ति पर मण्डल के अधिकारों की समाप्ति - समापक की नियुक्ति पर संचालक मण्डल प्रबन्ध संचालक, पूर्णकालिक संचालको एवं प्रबन्धको के अधिकार समाप्त हो जाते है परन्तु कंपनी साधारण सभा मे या सदस्यों के ऐच्छिक समापन की दशा में समापक या निरीक्षण समिति का ऋणदाताओं के ऐच्छिक समापन की दशा में ऋणदाता, इनके अधिकारों के बने रहने की अनुमति दे सकते है। 


3. कार्यों पर रोक - ऐच्छिक समापन की दशा में कंपनी के विरुद्ध कार्यों एवं कार्यवाहियों पर रोक की कोई वैधानिक व्यवस्था नही है परन्तु धारा 322 के अंतर्गत एक आवेदन पर न्यायाधिकरण उन शर्तों पर जिन्हें उचित समझे, वैधानिक कार्यवाहियों पर रोक लगा सकता है। 


4. सम्पति का बंटवारा - कंपनी के समापन पर इसकी सम्पतियाँ पहले प्राथमिक भुगतान तथा बाद में अन्य दायित्वों के आनुपातिक भुगतान में प्रयोग की जायेगी। और तब तक अन्तर्नियमों मे विपरीत व्यवस्था न हो, आधिक्य को सदस्यों में कंपनी में उनके अधिकार एवं हित के अनुसार बांट दिया जाएगा। 


5. कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हटाने की सूचना - ऐच्छिक समापन कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से हटाने की सूचना का कार्य नही करता परन्तु कंपनी के दिवालिया होने पर यह कंपनी के कर्मचारियों के हटाए जाने का कार्य करेगा इससे कर्मचारियों के अवधि से पहले सेवा समाप्ति के कारण क्षतिपूर्ति के अधिकार बने रहेंगे। यदि ऐच्छिक समापन का उद्देश्य कंपनी का सम्मिश्रण या पुननिर्माण करना है तो ऐच्छिक समापन का प्रस्ताव कर्मचारियों के हटाने की सूचना का कार्य नही करता। 


6. समापन की अधिसूचना - कंपनी या उसके समापक या रिसीवर या उसकी सम्पति के प्रबन्धक द्वारा भेजे जाने वाले प्रत्येक बिल, ऑर्डर या व्यापारिक पत्र आदि पर इस आशय का एक बयान अवश्य होना चाहिए कि कंपनी का समापन हो रहा है। यह प्रत्येक प्रकार के समापन पर लागू होता है।

यदि उपरोक्त व्यवस्था का पालन करने में त्रुटि की जाती है तो कंपनी, कंपनी का प्रत्येक अधिकारी, कंपनी का समापक या प्रापक या प्रबन्धक जो जानबूझकर ऐसे दोष जी अनुमति देता है या अधिकृत करता है। 5,000 रुपये तक के जुर्माने द्वारा दण्डित किया जा सकता है। 



ऐच्छिक समापन के प्रकार (Types of Voluntary Winding up)


1. सदस्यों द्वारा ऐच्छिक समापन - सदस्यों द्वारा ऐच्छिक समापन तभी किया जा सकता है जब कंपनी शोध्य क्षम अर्थात सम्पन्न है तथा अपने समस्त दायित्वों का भुगतान करने में समर्थ है। यह सदस्यों द्वारा आरम्भ किया जाता है तथा इसकी कार्यवाही उन्ही के द्वारा चलाई जाती है। समापन की यह विधि प्रयोग करने के लिए शोधन क्षमता की घोषणा करनी पड़ती है। 

2. शोध्य क्षमता की घोषणा - यदि कंपनी का ऐच्छिक समापन किया जाना हो तो बहुसंख्यक संचालकों द्वारा अपने मण्डल की सभा मे यह घोषणा करनी पड़ती है कि कंपनी पर कोई ऋण नही है या कंपनी अपने ऋणों को पूर्ण रूप से भुगतान करने में समर्थ है। यह घोषणा शपथ पत्र द्वारा सत्यापित होनी चाहिए। 

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