Official Liquidator ke bare me jankari in hindi



राजकीय सरकारी समापक (Official Liquidator)

समापक वह व्यक्ति है जो कंपनी की सम्पतियाँ बेचता है और प्राप्त राशि से लेनदारों एवं अंशदाताओं का भुगतान करता है। सरकारी समापक की नियुक्ति (Appointment of Official Liquidator) : कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 275 में यह प्रावधान है कि समापन की याचिका प्रस्तुत करने के बाद एवं समापन के आदेश से पहले किसी भी समय न्यायाधिकरण सरकारी समापक को कंपनी का अस्थायी समापक नियुक्त कर सकता है। जैसे ही कंपनी के समापन का आदेश पारित किया जाता है, अस्थायी समापक ही कंपनी का समापक बन जाता है। 


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कंपनी समापक के कर्तव्य (Duities of Company Liquidator) 

कंपनी समापक के कर्तव्यों में समापन की जाने वाली कंपनी की सम्पति अपने नियंत्रण अर्थात अभिरक्षा में लेना, सम्पति का विक्रय करके प्राप्ति धन से कंपनी के ऋणों का भुगतान करना तथा शेष धन को, यदि कुछ बचत है, अंशदाताओं में बांटना सम्मिलित है। समापक के प्रमुख कर्तव्य इस प्रकार है :


1. समापन की कार्यवाहियों को संचालित करना - समापक यह कर्तव्य है की वह कंपनी के समापन की कार्यवाही का संचालन करें और इस सम्बंध में राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारित कर्तव्यों का पालन करें। कंपनी के साथ उसका विश्वासाश्रित सम्बन्ध  होने के कारण उसका यह कर्तव्य है कि अपने पद से वह कोई गुप्त लाभ न कमाए। 


2. कंपनी की सम्पत्तियां अधिकार में लेना - समापन आदेश होने पर समापक या अस्थायी समापक को कंपनी की समस्त सम्पतियाँ मालभत्ते तथा कार्य योग्य दावों को अपने अधिकार में ले लेना चाहिए। समापक की नियुक्ति तक कंपनी की समस्त सम्पतियाँ न्यायाधिकरण के संरक्षण में मानी जाती है। 


3. याचनाएँ करना - कंपनी के ऋणों तथा दायित्वों का भुगतान करने तथा कंपनी के समापन की कार्यवाही से सम्बंधित व्ययों के लिए आवश्यक राशि जुटाने के लिए समापन अंशधारियो से अंशो पर अदत्त राशि के लिए याचना करेगा। 


4. कंपनी के ऋणों का भुगतान करना - कंपनी समापक का यह कर्तव्य है कि कंपनी की शोधन क्षमता होने की स्थिति में कंपनी के ऋणों का पूर्ण भुगतान करें और जब तक कंपनी के ऋणों का पूर्ण भुगतान न हो जाये, कंपनी की आस्तियों का अंशधारियो को बांटने में प्रयोग न करें। 


5. उचित पुस्तके रखना - समापक को प्रविष्टियां करने, सभाओं का विवरण लिखने तथा अन्य निर्देशित बातों का समावेश के लिए उचित पुस्तकें रखनी चाहिए। कोई भी लेनदार या अंशदायी या उनका एजेंट न्यायाधिकरण के नियंत्रण में इनकी जांच कर सकता है। 


6. लेखे प्रस्तुत करना - समापक अपने कार्यालय के दौरान प्रत्येक वर्ष में कम से कम दो बार अपनी प्राप्तियों एवं भुगतान का लेखा न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करेगा। लेखे निर्धारित फर्म में होने चाहिए। उनकी दो प्राप्तियां होनी चाहिए एवं उन्हें प्रमाणित किया जाना चाहिए। न्यायाधिकरण को उनका अंकेक्षण कराना चाहिए और इसके लिए समापक न्यायाधिकरण को आवश्यक अधिपत्र, सूचनाएं तथा पुस्तकें प्रस्तुत करेगा। अंकेक्षण के बाद एक प्रति न्यायाधिकरण में रखी जायेगी एवं दूसरी रजिस्ट्रार को भेजी जायगी। कोई भी लेनदार अंशदाता या हित रखने वाला व्यक्ति इसकी जांच कर सकता है। 


7. बक़ाया राशि को अंशदायिओं को बांटना - जब लेनदारों के प्रति कंपनी के समस्त दायित्वों का भुगतान कर दिया जाता है तो समापक बची हुई आस्तियों को अंशदायिओं में बांटने की अनुमति प्राप्त करने के लिए न्यायाधिकरण को आवेदन करेगा। न्यायाधिकरण के उचित आदेश होने पर आधिक्य आस्तियों को हकदार अंशदायिओं में बांटा जाएगा आधिक्य आस्तियों को बांटते समय समापक को कंपनी के पार्षद नियम तथा अन्तर्नियमों के प्रावधानों का ध्यान रखना चाहिए। 

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