भारत में पूंजी निर्माण की दर कम होने के कारण


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम भारत मे पूंजी निर्माण की दर कम होने के कारण के बारे में बात करेंगे।



भारत में पूंजी निर्माण की दर कम होने के कारण (Causes of Low Rate of Capital Formation in India)


1. गरीबी का दुष्चक्र - भारत के अल्पविकसित देश होने के कारण यहां गरीबी का दुष्चक्र पाया जाता है। इसके फलस्वरूप देश मे प्रति व्यक्ति आय कम होती है। प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण बचत कम होती है। बचत कम होने के कारण पूंजी निर्माण कम होता है। कम पूंजी निर्माण से फिर कम आय होती है और यह दुष्चक्र चलता रहता है। इस दुष्चक्र के लगातार प्रभाव के कारण पूंजी निर्माण की दर कम रह जाती है।



Causes of Low Rate of Capital Formation in India in Hindi
Causes of Low Rate of Capital Formation in India in Hindi




2. कम प्रति व्यक्ति आय - भारत मे उत्पादन के विभिन्न क्षेत्र जैसे उद्योग, खेती, यातायात आदि पिछड़े हुए है। इसलिए कुल उत्पादन कम होता है तथा प्रति व्यक्ति आय कम होती है। आय का अधिक भाग उपभोग पर खर्च हो जाता है। इसलिए बचत बहुत कम मात्रा में होती है। बचत कम होने के कारण पूंजी निर्माण की दर कम होती है।




3. अधिक जनसंख्या - भारत मे जनसंख्या बहुत अधिक है। जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने का प्रभाव यह पड़ता है कि देश मे सरकारी प्रयत्नों के फलस्वरूप उत्पादन में जो वृद्धि होती है, वह बढ़ती हुई जनसंख्या के जीवन निर्वाह में समाप्त हो जाती है तथा इसका पूंजी निर्माण में उपयोग नही हो पाता।


4. कीमतों में वृद्धि - भारत में अधिकांश दशाओं में कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। कीमतों में वृद्धि होने के कारण जनता को अपनी आय का अधिक भाग खर्च करना पड़ता है। इसके फलस्वरूप उनकी बचत करने की शक्ति कम हो जाती है।


5. करों में वृद्धि - भारत मे आय का अधिक भाग करों के रूप में चुकाना पड़ता है। करदाताओं की उपभोग योग्य आय कम हो जाती है। अतः उनकी बचत करने की शक्ति भी कम हो जाती है। भारत मे अप्रत्यक्ष करों जैसे मूल्य संवृद्धि कर, उत्पादन कर की दर भी अधिक है। भारत मे अप्रत्यक्ष कर अधिक होने से कीमतें बढ़ जाती है, लोगों को अपनी आय का अधिक भाग खर्च करना पड़ता है। उनकी बचत करने की शक्ति भी कम हो जाती है। बचत कम होने के कारण पूंजी निर्माण भी कम होता है।


6. निवेश की कम सुविधा - भारत जैसे देशों में निवेश की सुविधाएं कम होती है। इन देशों में आधुनिक तकनीकों का अभाव है। इसके अलावा अस्थिर पूंजी बाजारों, असंगठित मुद्रा बाजारों, पूंजी बाजार घोटालों के कारण भी निवेश की कमी पाई जाती है। इसके फलस्वरूप निवेश की मात्रा कम रहती है। निवेश कम होने से पूंजी निर्माण कम हो जाता है।


7. वित्तीय संस्थाओं की कमी - वित्तीय संस्थाओं की कमी के कारण तथा बैंकिंग सुविधाओं की विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कमी के कारण, परिवार क्षेत्र की सभी बचतों को इकट्ठा नही किया जा सकता। इससे पूंजी निर्माण में कमी आती है।


8. मांग की कमी - भारत मे अधिकतर लोग निर्धन है। उनकी वस्तुओं के लिए मांग कम तथा सीमित होती है, इसके परिणामस्वरूप बाजार का आकार सीमित होता है। बाजार का आकार सीमित होने के कारण उत्पादन कम होता है। उत्पादन कम होने के कारण आय, रोजगार, बचत तथा निवेश की मात्रा कम होती है। इसलिए भारत मे मांग की कमी भी पूंजी निर्माण की कमी का मुख्य कारण है।


9. योग्य उद्यमियों के अभाव - भारत मे योग्य उद्यमियों के अभाव है। अधिकतर लोग व्यापार, नौकरी, जीवन निर्वाह खेती या कुटीर उद्योगों में लगे रहते है। बड़े उद्योगों में जोखिम अधिक होता है तथा साधनों की भी बहुत अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। भारत मे जोखिम उठाने वाले उद्यमी बहुत कम है। इसके परिणामस्वरूप निवेश कम होता है तथा पूंजी निर्माण कम रह जाता है।


10. अधोसंरचना का अभाव - भारत मे आधारभूत सुविधाओं जैसे परिवहन, ऊर्जा, संचार, बैंकिंग, सामाजिक सेवाएं आदि कम मात्रा में पाई जाती है। इनकी कमी के कारण उद्योग तथा कृषि का अधिक विकास सम्भव नही हो पाता। इसलिए पूंजी निर्माण की दर कम रहती है।


11. सार्वजनिक उपक्रमों की कम लाभदायकता - सार्वजनिक उपक्रमों में लाभ कम रहे है। इसके मुख्य कारण - प्रबन्धकीय अकुशलता, कर्मचारियों की अधिकता, राजनीतिक हस्तक्षेप, अनुत्पादक व्यय, नौकरशाही, काम न करने की प्रवृति, प्रतिस्पर्धा का अभाव आदि है। इनसे सार्वजनिक इकाइयों की लाभप्रदता व बचतों पर कुप्रभाव पड़ा है। सार्वजनिक उपक्रमों का भारत की सकल घरेलू बचतों में योगदान कम ही रहा है। कुछ वर्षों में तो इनका बचतों में योगदान ऋणात्मक भी रहा है। 

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