कर की वापसी के बारे में जाने


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम कर की वापसी के बारे में जानेंगे।


कर की वापसी (Refund of Tax)

यदि कोई करदाता देय कर से अधिक राशि का भुगतान कर देता है तो इस आधिक्य को वापस पाने का अधिकार है। यही कर की वापसी कहलाती है।




Refund of Tax in Hindi
कर की वापसी के बारे में जाने




वापसी कैसे उदय होती है ?

साधारण तौर पर कर की वापसी निम्न कारणों से उदय होती है :

(i) नियमित कर निर्धारण पर गणना की गई देय कर राशि से उद्गम स्थान पर काटी गई कर की राशि अधिक होने पर




(ii) भुगतान की गई अग्रिम कर की राशि तथा स्वयं कर निर्धारण के आधार पर चुकाई गयी कर की राशि का योग नियमित कर निर्धारण पर गणना की गई कर दायित्व की राशि से अधिक होने पर


(iii) किसी त्रुटि के सुधारने पर देय कर की राशि मे कमी होने से


(iv) अपील के निर्णयानुसार देय कर की राशि मे कमी होने से


(v) दुहरे करारोपण की छूट स्वीकृत होने पर।




वापसी मांगने के लिए अधिकृत व्यक्ति (Person Entitled to Claim Refund)

(1) स्वयं करदाता जिसने कर चुकाया है।


(2) जब एक व्यक्ति की आय दूसरे व्यक्ति की कुल आय में शामिल की जाती है तो ऐसी आय के सम्बन्ध में वापसी मांगने का अधिकारी वह दूसरा व्यक्ति है जिसकी कुल आय में यह आय शामिल की गई है।


(3) जब मृत्यु, अयोग्यता, दिवाला या समापन या अन्य किसी कारण से कोई व्यक्ति वापसी नही मांग सकता है तो उसकी और से उसके हित के लिए उसका कानूनी प्रतिनिधि, ट्रस्टी, संरक्षक या रिसीवर ऐसी मांग कर सकता है।



वापसी मांगने की कार्यविधि (Procedure for Claiming a Refund)

धाराएं 239 व 240 के अंतर्गत, वापसी मांगने की कार्यविधि निम्न प्रकार है :

1. वापसी की मांग निर्धारित फॉर्म पर निर्धारित ढंग से सत्यापित करके प्रार्थना पत्र देने से होती है।


2. वापसी की मांग के प्रार्थना पत्र के साथ निम्न प्रपत्र संलग्न करने होंगे :

(i) आय का विवरण, यदि वह विवरण कर निर्धारण अधिकारी के यहां पहले ही दाखिल न कर दिया हो

(ii) उद्गम स्थान पर काटे गए कर का प्रमाण पत्र।


3. वापसी की मांग उस कर निर्धारण वर्ष के अंत से एक वर्ष के अंदर की जा सकती है जिस कर निर्धारण वर्ष के सम्बन्ध में वापसी की मांग की जा रही है।


4. निम्नलिखित दशाओं में वापसी के लिए करदाता को प्रार्थना पत्र देना जरूरी नही है :

(i) अग्रिम कर या स्वयं कर निर्धारण पर अधिक राशि जमा करा देने पर

(ii) अपील या पुनर्विचार के निर्णय से कर दायित्व कम होने पर

(iii) भूल सुधार के कारण कर दायित्व कम होने पर।



वापसी पर ब्याज (Interest on Refund)

वापसी पर ब्याज के सम्बन्ध में निम्न प्रावधान लागू हैं :

(i) वापसी की स्वीकृति में विलंब होने पर आधा प्रतिशत प्रति महीने की दर से सरकार को ब्याज देना होगा।


(ii) अग्रिम कर या उद्गम स्थान पर कटे हुए कर की वापसी की दशा में कर निर्धारण वर्ष के प्रथम दिन से वापसी स्वीकृत होने की तिथि तक कि अवधि का ब्याज देय होगा।


(iii) यदि वापसी अग्रिम के या उद्गम स्थान पर कटे हुए कर की नही है, तो कर या अर्थ दण्ड चुकाने की तिथि से वापसी स्वीकृत होने की तिथि तक की अवधि का ब्याज देय होगा।


(iv) यदि वास्तव में चुकाई गयी कर की राशि आधिक्य देय कर की राशि के 10 % से कम है तो कोई ब्याज नही दिया जाएगा।


(v) विलम्ब की अवधि की गणना करने के लिए वह अवधि में शामिल नही की जायेगी जो करदाता के कारण किसी कार्यवाही में विलंब करने की अवधि हो।



न चुके हुए कर की रकम से वापसी की पूर्ति (Set-off of Refunds against Tax Remaining Payable)

यदि किसी करदाता द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत किसी पूर्व के वर्ष के सम्बन्ध में कोई कर चुकाना शेष है तो वापसी का आदेश देने वाला अधिकारी वापसी की पूर्ति, न चुके हुए कर की रकम से कर सकता है, परंतु ऐसी पूर्ति करने से पहले करदाता को लिखित सूचना देनी होगी।



अधिक वापसी पर ब्याज (Interest on Excess Refund)

जब आय के विवरण के आधार पर कर निर्धारण करके करदाता को कोई राशि वापिस कर दी जाती है और नियमित कर निर्धारण पर ज्ञात होता है कि कोई वापसी नही बनती थी या कम बनती थी तो जितनी अधिक राशि वापस कर दी गयी है उस पर आधा प्रतिशत की दर से प्रतिमाह या माह के भाग पर ब्याज लिया जाएगा।


ब्याज वापसी की तिथि से नियमित कर निर्धारण की तिथि तक का लिए जाएगा। यदि भूल सुधार, अपील, पुनर्विचार या समझौता आयोग के किसी आदेश के परिणामस्वरूप नियमित कर निर्धारण पर कर की निर्धारित राशि मे परिवर्तन हो जाता है तो ब्याज की राशि भी तद्नुसार घटा बढ़ा दी जाएगी।

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