कर की वसूली के बारे में जाने


हेलो दोस्तों। कैसे हो आप सब

आज के पोस्ट में हम कर की वसूली के बारे में जानेंगे।


कर की वसूली (Recovery of Tax)

कर चुकाने की अवधि - करदाता को मांग का नोटिस प्राप्त होने के बाद 30 दिन के अंदर नोटिस में लिखी हुई राशि चुकानी होगी। यदि कर निर्धारण अधिकारी के पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण है कि पूरे 30 दिन की अवधि देने से सरकारी राजस्व को हानि हो सकती है, तो वह यह राशि 30 दिन से कम की अवधि में मांग सकता है।



Recovery of Tax in Hindi
कर की वसूली के बारे में जाने




यदि किसी मांग सूचना के विरुद्ध अपील की जाती है तो ऐसी मांग को अंतिम अपील प्राधिकारी द्वारा अपील का निपटारा किए जाने तक मान्य समझा जाएगा।


ब्याज का भुगतान - यदि मांग के नोटिस में लिखी हुई राशि नोटिस में दी हुई अवधि के अंदर न चुकाई जाए, तो करदाता को उक्त अवधि के समाप्त होने के बाद कि तिथि से भुगतान करने की तिथि तक 1 % प्रति महीने की दर से साधारण ब्याज देना होगा। मांग के नोटिस में दी हुई अवधि के समाप्त होने से पहले, यदि करदाता रकम चुकाने की अवधि में वृद्धि कराने के लिए प्रार्थना पत्र देता है, तो कर निर्धारण अधिकारी यह अवधि बढ़ा सकता है। ऐसी दशा में भी मांग के नोटिस में दी गयी तिथि के बाद की अवधि के लिए ब्याज चुकाना होगा।




यदि अपील में मांग की राशि कम कर दी गयी है तो तदनुसार ब्याज की राशि भी कम कर दी जाएगी तथा जितना अधिक ब्याज दिया गया है, वापस कर दिया जाएगा।


यदि भविष्य में मांग की राशि बढ़ा दी जाती है तो करदाता को प्रथम नोटिस के अनुसार जिस अंतिम तिथि तक भुगतान करना था उसकी समाप्ति से उस तिथि तक का ब्याज देना होगा जिस तिथि को वह भुगतान कर रहा है।


यदि उद्गम स्थान पर कर कटौती में चूक करने या इस राशि का निर्धारित अवधि में भुगतान न करने पर धारा 201 (1A) के अन्तर्गत कुछ अवधि का ब्याज दे दिया गया है तो इस राशि पर इस अवधि का ब्याज धारा 220 (2) के अन्तर्गत नही देना होगा।



ब्याज की माफी - प्रधान मुख्य कमिश्नर या मुख्य कमिश्नर या प्रधान कमिश्नर या कमिश्नर यदि निम्न से संतुष्ट हो, तो ब्याज कम या माफ कर सकरा है :

(i) ऐसी राशि का भुगतान करने में करदाता को वास्तव में कठिनाई होगी


(ii) राशि का भुगतान करने में चूक ऐसी परिस्थितियों के कारण हुई है, जो करदाता के नियंत्रण के बाहर थी


(iii) कर निर्धारण के सम्बन्ध में किसी पूछताछ में तथा राशि वसूली में करदाता ने सहयोग दिया है।



चूक में करदाता तथा कर में चूक करने पर अर्थदंड

यदि स्वीकृत समय के अंदर मांगी हुई रकम का भुगतान न हो, तो करदाता को भुगतान की चूक में माना जाता है। ऐसी चूक करने पर वह कर निर्धारण अधिकारी के आदेशानुसार अर्थ दण्ड चुकाएगा।

(i) चूक होने पर अर्थ दण्ड लगाया जा सकता है।


(ii) लगातार चूक करने पर अर्थ दण्ड की राशि समय समय पर बढाई जा सकती है परन्तु किसी भी दशा में अर्थ दण्ड की कुल राशि न चुकाई गयी कर की राशि से अधिक नही होगी


(iii) यदि कर निर्धारण अधिकारी चूक के कारणों को उचित तथा पर्याप्त समझता है तो अर्थ दण्ड नही लगाएगा।




वसूली के तरीके (Modes of Recovery)

कर, ब्याज, जुर्माना, अर्थ डांस या अन्य कोई रकम, जो इस अधिनियम के अन्तर्गत देय हो, निम्म विधियोंम से वसूल की जा सकती है :

1. टैक्स रिकवरी ऑफिसर द्वारा वसूली - यदि करदाता कर चुकाने के लिए चूक में हो तो टैक्स रिकवरी ऑफिसर अपने हस्ताक्षरों के अंतर्गत बकाया राशि का विवरण बनाकर निम्न में से कोई एक या एक से अधिक विधियों से निर्दिष्ट राशि वसूल करने की कार्यवाही करेगा :


(i) करदाता की चल या अचल संपत्ति की कुर्की (attachment) कराके उसकी बिक्री कराना


(ii) करदाता को गिरफ्तार करके जेल में बंद करना


(iii) करदाता की चल तथा अचल सम्पत्तियों के प्रबन्ध कर लिए रिसीवर नियुक्त करना।


2. वेतन कुर्क करना - यदि करदाता कही नौकरी करता है, तो कर निर्धारण अधिकारी या टैक्स वसूली अधिकारी उसके नियोक्ता को यह नोटिस दे सकता है कि वेतन में से राशि काट ले और उसे केंद्रीय सरकार के कोष के जमा कर दें।


3. देनदारों से वसूली - कर निर्धारण अधिकारी या टैक्स वसूली अधिकारी ऐसे व्यक्तियों को नोटिस दे सकता है जिनके पास करदाता की जो रकम जमा है या जिन्हें करदाता को कोई रकम देनी है कि वे करदाता पर शेष कर, अर्थ दण्ड, जुर्माना आदि की रकम को कर निर्धारण अधिकारी या टैक्स वसूली अधिकारी को भुगतान कर दें।


4. न्यायालय से - यदि किसी न्यायालय के पास करदाता को भुगतान होने वाली कोई रकम जमा हो तो कर निर्धारण अधिकारी या टैक्स वसूली अधिकारी ऐसे न्यायालय को प्रार्थना पत्र दे सकता है कि वह करदाता पर शेष कर, आदि की रकम का भुगतान उसे कर दे।


5. चल सम्पत्ति को बेचकर - प्रधान मुख्य कमिश्नर या मुख्य  कमिश्नर या प्रधान कमिश्नर या कमिश्नर द्वारा अधिकृत हो जाने पर कर निर्धारण अधिकारी या टैक्स वसूली अधिकारी करदाता की चल सम्पत्ति को कर, आदि वसूल करने के लिए बेच भी सकता है।


6. राज्य सरकार द्वारा वसूली - यदि किसी क्षेत्र में कर की वसूली का कार्य राज्य सरकार को सौप दिया जाता है तो राज्य सरकार इस कर की राशि को स्थानीय करों के साथ उसी  प्रकार वसूल करेगी जिस प्रकार तथा जिन व्यक्तियो द्वारा स्थानीय करों की वसूली की जाती है।


7. विदेशों से समझौतो के अंतर्गत कर वसूली - यदि केंद्रीय सरकार तथा विदेश की किसी सरकार के बीच भारतीय आय कर अधिनियम तथा उस देश के आय कर से सम्बंधित अधिनियम के अंतर्गत कर वसूली करने का द्विपक्षीय समझौता हो गया हो और भारत मे करदाता पर कोई कर बकाया हो और उस करदाता की उस देश मे कोई सम्पत्ति हो तो टैक्स वसूली अधिकारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को बकाया कर की राशि का प्रमाण पत्र प्रेषित कर सकता है तथा बोर्ड ऐसा प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर उस देश से समझौते की शर्तों के अनुसार कर वसूल करने की उचित कार्यवाही करके बकाया राशि वसूल कर सकता है।


8. अर्थ दण्ड, जुर्माना, ब्याज तथा अन्य किसी राशि की वसूली - इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत यदि उपर्युक्त राशियां देय है तो उनकी वसूली भी उसी प्रकार की जायेगी जिस प्रकार आय कर की बकाया राशि की वसूली की जाती है।


9. मुकदमा चलाकर वसूली - यदि सरकारी ऋणों की वसूली करने का किसी अन्य अधिनियम में मुकदमा चलाकर वसूली का कोई प्रावधान है तो सरकार करदाता के विरुद्ध मुकदमा चलाकर बकाया राशि वसूल कर सकती है। 

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