Tax planning in Relation to Salary in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम वेतन के सम्बन्ध में कर नियोजन के बारे में समझेंगे।


वेतन के सम्बन्ध में कर नियोजन (Tax Planning in Relation to Salary)

1. भत्ते - कुछ भत्ते पूर्णत: कर मुक्त होते है और कुछ अंशतः कर मुक्त तथा अंशतः कर योग्य होते है। अतः अपना कर दायित्व कम करने के लिए कर्मचारी अपने नियोक्ता से निम्न भत्ते ले सकता है :


(i) मकान किराया भत्ता - यह निर्धारित सीमा तक कर मुक्त होता है।



Tax planning in relation to salary in Hindi
वेतन के सम्बन्ध में कर नियोजन




(ii) विद्योगपार्जन भत्ता - विद्योपार्जन, शोध तथा अन्य व्यावसायिक कार्यों को प्रोत्साहन देने के लिए स्वीकृत भत्ता कर मुक्त होगा। कर से यह छूट उतनी राशि तक मिलेगी जितनी राशि तक मिलेगी जितनी राशि इन कार्यों के लिए व्यय की गयी हो।




(iii) वर्दी भत्ता - अपने पद के कर्तव्य का पालन करने की अवधि में पहनने वाली वर्दी के क्रय करने या उसके रख रखाव पर किए गए व्यय के सम्बन्ध में स्वीकृत भत्ता कर मुक्त होगा। कर से यह छूट उतनी राशि तक मिलेगी जितनी राशि इन कार्यों के लिए व्यय की गई हो।


(iv) परिवहन कर्मचारियों को विशेष भत्ता - परिवहन की किसी व्यवस्था में सेवारत किसी कर्मचारी को वाहन के एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के दौरान वाहन पर ड्यूटी करते समय उसके निजी व्ययों की पूर्ति के लिए भत्ते के 70% के बराबर राशि या 10,000 ₹ प्रति माह, जो दोनो में कम हो, कर मुक्त होगा। यदि कर्मचारी को दैनिक भत्ता मिल रहा है तो निजी व्ययों की पूर्ति के लिए प्राप्त भत्ता कर मुक्त नही होगा।


(v) यातायात भत्ता - नियोक्ता द्वारा अपने किसी कर्मचारी को आपमे निवास स्थान से कार्यालय आने तथा अपने निवास स्थान वापिस जाने पर किए गए व्यय की पूर्ति के लिए यदि कोई यातायात भत्ता स्वीकृत होता है तो वह 800 ₹ प्रति माह तक कर मुक्त होगा।


2. अग्रिम वेतन या ऋण - यदि कर्मचारी अग्रिम वेतन लेता है तो यह उसकी वेतन से आय में उस वर्ष जोड़ दिया जाएगा जिस वर्ष उसने अग्रिम वेतन लिया है। यह उसके कर दायित्व को बढ़ाता है। अतः उसे अग्रिम वेतन का अपेक्षा नियोक्ता से ऋण लेना चाहिए। यह राशि उसके वेतन में शामिल नही की जाएगी।


3. भत्ते या सुविधा - यदि भत्ते कर मुक्त है तो कर्मचारी को ऐसे भत्ते लेने चाहिए। यदि भत्ता पूर्णतः कर योग्य है और भत्ते की अपेक्षा सुविधा या कर मुक्त है तो ऐसी दशा में सुविधा लेनी चाहिए।


4. वेतन या सीमांत फायदे - नियोक्ता कर्मचारी को वेतन रोकड़ में कम करके उसे सीमांत फायदे दे सकता है जिनका कर योग्य मूल्य वास्तविक खर्चे से बहुत कम है।


5. यदि नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को यह विकल्प दिया जाता है कि वह चाहे किराए से मुक्त रहने के मकान की सुविधा ले ले तथा चाहे मकान किराया भत्ता ले ले तो करदाता को दोनो दशाओं में अपने कर भार की गणना करने के बाद ही अपना विकल्प देना चाहिए क्योंकि कभी मुफ्त मकान की सुविधा उसके हित मे होती है तो कभी मकान किराया भत्ता।


6. वेतन के भाग को भविष्य में देना - वेतन का कुछ भाग भविष्य में प्रमाणित प्रोविडेंट फुंडज़ ग्रेच्यूटी एवं पेंशन के रूप में दिया जा सकता है। नियोक्ता का प्रोविडेंट फण्ड में योगदान वेतन का 12 % तक कर मुक्त है तथा जब यह राशि कर्मचारी को मिलेगी तब भी यह कर मुक्त होगी। पेंशन का प्रावधान वर्तमान वेतन में कटौती कर सकता है। रिटायर होने पर पेंशन की राशि या तो कर मुक्त होगी या इस पर कम दर से कर लगेगा।


7. अर्जित अवकाश वेतन - अर्जित अवकाश का वेतन नौकरी में रहते हुए नही लेना चाहिए क्योंकि इसे वेतन में शामिल करके कर की गणना की जाती है। नौकरी छोड़ने या रिटायर होने पर अर्जित अवकाश वेतन की राशि निर्धारित सीमा तक कर मुक्त होती है।


8. बचत एवं विनियोग - कर्मचारी को बचत करके उसे निर्धारित स्कीमों में विनियोग करना चाहिए ताकि उसे धारा 80 C के अंतर्गत कटौती मिल सके। 

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