साझेदार का अवकाश ग्रहण के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम साझेदार का अवकाश ग्रहण के बारे में समझेंगे।


साझेदार का अवकाश ग्रहण (Retirement of a Partner)

साझेदार को फर्म को उचित नोटिस देकर अवकाश ग्रहण करने का अधिकार होता है। किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर पुरानी साझेदारी तो समाप्त हो जाती है परंतु फर्म कार्य करती रहती है और शेष साझेदारों के बीच एक नई साझेदारी की स्थापना हो जाती है।


अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार को निम्नलिखित राशियां पाने का अधिकार है :

1. ख्याति में हिस्सा - फर्म की ख्याति का मूल्यांकन किया जाता है और अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्से की ख्याति को उसके पूंजी खाते में क्रेडिट कर दिया जाता है।




Retirement of a Partner in hindi
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2. संचय में हिस्सा - पिछले वर्षों के अवितरित लाभ ही संचय होते है। अतः इन संचय या अवितरित लाभों में अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्से को भी उसके पूंजी खाते में क्रेडिट कर दिया जाता है।


3. सम्पत्तियों तथा दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन में हिस्सा - अवकाश ग्रहण करने की तिथि पर सम्पत्तियों तथा दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है और पुनर्मूल्यांकन के लाभ में अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्से को उसके पूंजी खाते में क्रेडिट और हानि को डेबिट की तरफ लिख दिया जाता है।

अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार को उपरोक्त प्रकार से ज्ञात की गई राशि का भुगतान या तो तुरंत कर दिया जाता है या इसे उसके ऋण खाते में हस्तांतरित करके बाद में भुगतान किया जाता है।



साझेदार के अवकाश ग्रहण से सम्बंधित समस्याएं

किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करते समय लेखांकन सम्बन्धित निम्नलिखित समस्याएं उतपन्न होती है :

1. शेष साझेदारों के नए लाभ विभाजन अनुपात एवं लाभ प्राप्ति अनुपात ज्ञात करना।


2. ख्याति की प्रविष्टियां करना।


3. सम्पत्तियों एवं दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन के लिए लेखांकन व्यवहार।


4. संचय, लाभों एवं हानियों का लेखांकन व्यवहार।


5. अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार को भुगतान करना।


6. पूंजी खातों के लाभ विभाजन अनुपात में समायोजन।



नए लाभ हानि अनुपात ज्ञात करना 
(Calculation of New Profit sharing Ratio)

1. जब कोई साझेदार अवकाश ग्रहण करता है और शेष साझेदारों के नए अनुपात के सम्बंध में कुछ भी उल्लेख नही किया गया है तो ऐसी दशा में शेष साझेदार भविष्य में भी लाभ हानि को अपने पुराने अनुपात में ही बांटते रहेंगे।


2. कभी कभी अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार का हिस्सा शेष साझेदारों द्वारा किसी विशेष अनुपात में ले लिया जाता है। ऐसी अवस्था मे शेष साझेदारों के पुराने अनुपात में उनके द्वारा लिया गया हिस्सा जोड़कर ही नए अनुपात की गणना की जाती है।




लाभ प्राप्ति अनुपात (Gaining Ratio) ज्ञात करना

किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने से भविष्य में लाभ कम साझेदारों में बांटा जायेगा। अतः इस अवस्था में शेष साझेदारों के लाभों के हिस्सों में कुछ न कुछ वृद्धि होती है। अतः शेष साझेदारों के बीच जिस अनुपात में यह वृद्धि होती है इस अनुपात को ही लाभ प्राप्ति अनुपात कहते है। यह अनुपात इसलिए ज्ञात किया जाता है क्योकि अवकाश ग्रहण करने वाला साझेदार अपनी ख्याति की राशि इसी अनुपात में शेष साझेदारों से वसूल करेगा।

गणना (Calculation) - इस अनुपात को निम्न दो प्रकार से ज्ञात किया जाता है :

1. यदि प्रश्न में एक साझेदार के अवकाश ग्रहण करने के बाद शेष साझेदारों के नए लाभ हानि विभाजन अनुपात नही दिए हुए है तो यह माना जायेगा कि शेष साझेदारों को अपने पुराने अनुपात में ही लाभ हुआ है ।


2. यदि प्रश्न में शेष साझेदारों को नया अनुपात भी दिया हो तो लाभ प्राप्ति अनुपात की गणना प्रत्येक साझेदार के नए अनुपात में से पुराना अनुपात घटा कर की जाएगी।

लाभ प्राप्ति अनुपात = नया अनूपात - पुराना अनुपात

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