स्टॉक बाजार के बारे में जानकारी
हेलो दोस्तों।
आज हम स्टॉक बाजार (Stock Market) के बारे में जानेंगें।
स्टॉक बाजार (Stock Market)
भारतीय पूंजी बाजार का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग स्टॉक बाजार है। स्टॉक बाजार के अंतर्गत निगमित प्रतिभूतियों (Corporate Securities) का लेन देन किया जाता है। निगमित प्रतिभूतियों से आशय ऐसी प्रतिभूतियों से है जिनके माध्यम से निगमित क्षेत्र के लिए जनता से दीर्घकालीन पूंजी इकट्ठा की जाती है।
स्टॉक बाजार को निम्नलिखित दो भागों में विभक्त किया जाता है -
1. प्राथमिक बाजार (Primary Market)
2. गौण या द्वितीयक बाजार (Secondary Market)
1. प्राथमिक बाजार - प्राथमिक बाजार के अंतर्गत नई निर्गमित की जाने वाली प्रतिभूतियों का लेन देन किया जाता है अर्थात प्राथमिक बाजार में नई अंशो तथा ऋणपत्रों आदि का विक्रय किया जाता है। प्राथमिक बाजार का सबसे महत्वपूर्ण कार्य नए या पुराने निगमित उद्यमों के लिए नई पूंजी एकत्रित करना होता है।
Stock Market ke bare me jankari in hindi |
प्राथमिक बाजार के मुख्य कार्य (Main Functions of Primary Market)
(i) नए निर्गमनो का प्रबन्ध करना - इसके अंतर्गत नई कंपनियो की लाभदायकता या सफलता के अवसरों की जांच की जाती है। इस जांच के लिए कंपनी के विभिन्न संसाधनों जैसे भूमि, पूंजी, श्रम, जल, ऊर्जा, तकनीकी ज्ञान आदि की उपलब्धता का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अतिरिक्त नई कंपनी की लाभदायकता का अनुमान घरेलू मांग एवं निर्यात के अवसरों के अध्ययन के आधार पर लगाया जाता है।
(ii) नए निर्गमनो का अभिगोपन करना - प्राथमिक बाजार के अंतर्गत दूसरा महत्वपूर्ण कार्य नए निर्गमनो का अभिगोपन करना होता है। नए निर्गमनो के अभिगोपन से आशय एक निश्चित मूल्य पर नए निर्गमनो की एक निश्चित मात्रा क्रय करने की गारंटी से है। अभिगोपक का उत्तरदायित्व होता है कि वह अंशों का स्वयं या जनता को विक्रय या दोनों के लिए क्रय की गारंटी दें। इससे आशय है कि यदि गारंटी की सीमा तक अभिगोपक साधारण जनता को अंशो का विक्रय करने में असफल रहता है तो उसे शेष अंश स्वयं क्रय करने पड़ते है। इस कार्य के बदले अभिगोपक को कमीशन प्राप्त करने का अधिकार होता है।
(iii) नए निर्गमनो का वितरण करना - नए निर्गमनो के वितरण से आशय साधारण जनता को अंशो का विक्रय करना है। इसके लिए तीन विधियाँ प्रयोग की जा सकती है :
(अ) प्रविवरण का निर्गमन करना - जनता को अंशो का विक्रय करने का सबसे प्रचलित तरीका प्रविवरण निर्गमन करके जनता को अंशो के क्रय के लिए आमंत्रित करना है।
(ब) अधिकार अंशो का निर्गमन करना - जनता को अंश विक्रय करने की एक विधि यह भी है। पहले से विद्यमान एक कंपनी अधिकार अंशो का निर्गमन कर सकती है। जब कंपनी नए अंश निर्गमित करना चाहती है तो सर्वप्रथम अपने विद्यमान अंशधारियों को उनके द्वारा वर्तमान धारण किए हुए अंशो के अनुपात में ही अंश को खरीदने का प्रस्ताव करती है।
(स) निर्गमन गृह को विक्रय करना - नए निर्गमनो के वितरण की एक अन्य विधि इन्हें जनता को बेचने की बजाय किसी बड़ी वित्तीय संस्था या निर्गमन गृह को विक्रय करना है। इसके बाद ये निर्गमन गृह अंशो का विक्रय अपने ग्राहकों को करते है। नए निर्गमनो के वितरण की इस विधि की लागत काफी कम होती है।
प्राथमिक बाजार की संस्थाएं (Instituitions of Primary Market)
प्राथमिक बाजार के अंतर्गत विभिन्न संस्थाएं कार्यरत है। इनमें शेयर दलाल या अभिगोपक मुख्य है। भारत मे स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले मैनेजिंग एजेंट प्राथमिक बाजार की मुख्य संस्था होती थी। परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बहुत सी नई संस्थाएं इस क्षेत्र में प्रविष्टि हुई जैसे भारतीय औद्योगिक साख एवं निवेश निगम, IFCI, LIC, UTI, IDBI, GIC, व्यापारिक बैंक, शेयर दलाल आदि।
प्राथमिक बाजार के मुख्य प्रपत्र (Main Instruments of Primary Market)
(i) अंश
(ii) पूर्वाधिकार अंश
(iii) ऋणपत्र
(iv) पूर्णतया परिवर्तनीय ऋणपत्र
(v) पूर्णतया परिवर्तनीय संचयी पूर्वाधिकार अंश
2. द्वितीयक बाजार - द्वितीयक बाजार को गौण बाजार भी कहा जाता है। द्वितीयक बाजार के अंतर्गत विभिन्न कंपनियों के पुराने अंशो या प्रतिभूतियों का लेन देन किया जाता है।
द्वितीयक बाजार के मुख्य कार्य (Main Functions of Secondary Market)
द्वितीयक बाजार के निम्नलिखित दो मुख्य कार्य होते है -
(i) प्रतिभूतियों को तरलता प्रदान करना - द्वितीयक बाजार का सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रतिभूतियों को तरलता प्रदान करना है। तरलता से आशय एक परिसंपत्ति की अल्पसंगत में ही तुरन्त न्यूनतम हानि पर रोकड़ में परिवर्तित करने से है। इसके किए एक स्थायी बाजार की जरूरत होती है, जिसे द्वितीयक बाजार पूरा करता है।
(ii) नए निवेश को बढ़ावा देना - द्वितीयक बाजार का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य नए निवेश को बढ़ाना है। जब अंशों की कीमतों में वृद्धि होती है व द्वितीयक बाजार में अंशों का लेन देन बढ़ जाता है तो ऐसी स्थिति में नए निर्गमन करना सही करता है। अतः द्वितीयक बाजार नए निवेश को बढ़ावा देता है।
द्वितीयक बाजार की संस्थाएं (Instituitions of Secondary Market)
द्वितीयक बाजार के अन्तर्गत निम्नलिखित दो मुख्य संस्थाओ की शामिल किया जाता है -
(अ) स्कंध विपणनी - एक ऐसा स्थान जिसमे अनुसूचित विद्यमान अंशो एवं अन्य प्रतिभूतियों का लेन देन किया जाता है, उसे स्कंध विपणनी कहते है।
(ब) प्रत्यक्ष सौदेबाजी बाजार - प्रत्यक्ष सौदेबाजी बाजार में उन अंशो का क्रय विक्रय होता है जो शेयर बाजार द्वारा स्वीकृत या अनुसूचित नही होते है। ये प्रायः छोटी कंपनियों के होते है और इनका बाजार भी सीमित होता है। इन बाजार में अंशो का निर्धारण दलालों की प्रत्यक्ष सौदेबाजी द्वारा होता है।
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