Consolidated financial statements के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम एकीकृत वित्तीय विवरण के बारे के जानेंगें।


एकीकृत वित्तीय विवरण (Consolidated financial statements)

एकीकृत वित्तीय विवरण वह विवरण होते है जो एक सूत्रधारी कंपनी द्वारा अपने नियंत्रण के अंतर्गत आने वाले पूरे समूह की कंपनियों के लिए सामूहिक रूप से प्रस्तुत किए जाते है। इन वित्तीय विवरणों का मुख्य उद्देश्य सूत्रधारी कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों की एक संस्था के रूप में वित्तीय स्थिति को प्रकट करना होता है। इससे समूह द्वारा नियंत्रित वित्तीय साधनो, समूह के दायित्वों एवं समूह द्वारा प्राप्त परिणामो को सरलता से प्रकट किया जा सकता है।



Consolidated financial statements ke bare me jankari in Hindi
Consolidated financial statements ke bare me jankari in Hindi




एक सूत्रधारी कंपनी द्वारा अपने एकीकृत वित्तीय विवरण इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा इसी सम्बन्ध में जारी किए गए लेखांकन प्रमाप 21 के अनुसार तैयार करने चाहिए।


एकीकृत वित्तीय विवरण के सम्बंध में जारी किया गया लेखांकन प्रमाप 21 अप्रेल 1, 2001 को या उसके बाद कि अवधियों के लिए प्रभावशील है। लेखांकन प्रमाप 21 में यह भी स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है कि एकीकृत वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने वाली सूत्रधारी कंपनी को ये विवरण अपने खुद के वित्तीय विवरणों के अतिरिक्त प्रस्तुत करने चाहिए।




एकीकृत वित्तीय विवरणों के लाभ 
(Advantages of Consolidated Financial Statements)

एकीकृत वित्तीय विवरणों के मुख्य लाभ निम्नलिखित है -

1. अंशों के आंतरिक मूल्य का ज्ञान - एकीकृत वित्तीय विवरणों के आधार पर ही सूत्रधारी कंपनियो के अंशों का सही सही आंतरिक मूल्य ज्ञात किया जा सकता है।


2. सूत्रधारी कंपनी की कुशलता का मूल्यांकन - एकीकृत वित्तीय विवरणों के आधार पर ही सूत्रधारी कंपनी की कुशलता का मूल्यांकन किया जा सकता है। भावी विनियोजक इन वित्तीय विवरणों का प्रयोग भूतकालीन प्रवृति का मूल्यांकन करने एवंम पूर्वानुमान लगाने में करते है।


3. कुल तरलता का माप - एकीकृत वित्तीय विवरणों के आधार पर ही सूत्रधारी कंपनी और उसकी सहायक कंपनी की कुल तरलता को सही प्रकार से मापा जा सकता है।


4. सहायक कंपनी का अधिग्रहण - अगर कोई सूत्रधारी कंपनी अपनी किसी सहायक कंपनी को पूरी तरह से अपने अंदर विलय करना चाहती है तो ऐसी दशा में एकीकृत स्थिति विवरण में दिखाए गए अल्पमत हितों द्वारा प्रदर्शित मूल्य ही अल्पमत अंशधारियों को वास्तविक रूप से देय राशि की गणना करने के लिए मोल भाव करने का आधार होते है।


5. सहायक कंपनियों में विनियोग पर प्रत्याय का ज्ञान - सूत्रधारी कंपनी की दशा में, सहायक कंपनी या कंपनियों के अंशों में विनियोग पर प्रत्याय को केवल इन अंशों पर प्राप्त लाभांश के आधार पर ही नही मापना चाहिए, बल्कि सूत्रधारी कंपनी को सहायक कंपनी के आयगत लाभों में जो हिस्सा है, उसके आधार पर मापना चाहिए। सूत्रधारी कंपनी के सहायक कंपनी के आयगत लाभों में हिस्से की जानकारी एकीकृत वित्तीय विवरणों से ही प्राप्त होती है।




एकीकृत वित्तीय विवरणों की हानियाँ 
(Disadvantages of Consolidated Financial Statements)

एकीकृत वित्तीय विवरणों की मुख्य हानियाँ निम्नलिखित है -

1. भ्रमात्मक सूचनाएं - अगर किसी सहायक कंपनी की क्रियाएं अपने समूह की अन्य कंपनियों की क्रियाओं से अलग है तो ऐसी दशा में विनियोक्ताओं को एकीकृत वित्तीय विवरणों से भ्रमात्मक सूचनाएं प्राप्त हो सकती है।


2. महत्वपूर्ण सूचनाओं का छिपाव - अगर समूह की विभिन्न कंपनियों में व्यावसायिक जोखिमों की मात्रा, विकास क्षमता एवम लाभप्रदता के विषय मे कोई महत्वपूर्ण अंतर है तो ऐसी दशा में सूत्रधारी कंपनी और सहायक कंपनियों के एकीकृत वित्तीय विवरणों के एकीकरण से विनियोक्ताओं से महत्वपूर्ण सूचनाएं छिपी रह सकती है। 

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