द्विपद वितरण का अर्थ मान्यताएं और विशेषताएँ के बारे में जानकारी
हेलो दोस्तों।
आज हम द्विपद वितरण के बारे में जानेंगे।
द्विपद वितरण का अर्थ ( Meaning of Binomial Distribution)
द्विपद वितरण का प्रतिपादन एक प्रसिद्ध स्विस गणितज्ञ जेम्स बरनोली ने किया। उन्होंने इसे सन 1713 में प्रकाशित करवाया। द्विपद वितरण खण्डित प्रायिकता वितरण का एक प्रकार है। ऐसे प्रयोग जहां केवल दो स्पष्ट परिणाम (i) सफलता व (ii) असफलता ही सम्भव हो, द्विपद वितरण का प्रयोग किया जाता है।
![]() |
Meaning Assumptions Characteristics of Binomial Distribution in hindi |
द्विपद वितरण की मान्यताएं (Assumptions of Binomial Distribution)
द्विपद वितरण की मान्यताएं इस प्रकार है :
1. प्रयोगों के स्थिर व निश्चित संख्या - द्विपद वितरण को लागू करने की पहली महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि इसमें किए गए सभी प्रयोगों की संख्या स्थिर व निश्चित होती है। इसके साथ साथ ये सभी प्रयोग एक समान परिस्थिति में किए जाते है।
2. स्वतन्त्र प्रयोग - द्विपद वितरण को लागू करने की अन्य मान्यता यह है कि किए गए सभी प्रयोग परस्पर स्वतन्त्र होते है अर्थात किया गया एक प्रयोग अन्य प्रयोगों पर कोई प्रभाव नही डालता है।
3. प्रयोग के परस्पर अपवर्जी परिणाम - द्विपद वितरण को लागू करने के लिए एक अनिवार्य शर्त यह है कि किए गए प्रयोग के संभावित परिणाम परस्पर अपवर्जी होने चाहिए अर्थात इन परिणामों को स्पष्ट रूप से दो भागों सफलता व असफलता में विभाजित किया जा सके।
4. विभिन्न प्रयोग में सफलता की समान प्रायिकता - द्विपद वितरण की यह मान्यता है कि किए गए सभी प्रयोगों में सफलता की प्रायिकता अपरिवर्तित या समान रहती है।
द्विपद वितरण की विशेषताएं (Characteristics of Binomial Distribution)
1. सैद्धान्तिक आवृत्ति वितरण - द्विपद वितरण एक सैद्धान्तिक आवृत्ति वितरण है। इसमें बरनोली प्रमेय के आधार पर प्रायिकता ज्ञात की जाती है। द्विपद वितरण से ज्ञात की गई प्रायिकता को कुल संख्या से गुणा करके अप्रत्याशित आवृत्तियों की गणना की जाती है।
2. खण्डित प्रायिकता वितरण - द्विपद वितरण एक खण्डित प्रायिकता वितरण होता है। द्विपद वितरण में सफलताओं की संख्या 0,1,2,3,4,....n पूर्णांकों के रूप में होती है।
3. दो पैरामीटर - द्विपद वितरण की गणना इसके दो पैरामीटरों n व p के आधार पर की जाती है। असफलता की गणना (1 -p) से की जाती है
4. लाइन ग्राफ के द्वारा चित्रण - द्विपद वितरण का चित्रण लाइन ग्राफ की सहायता से किया जा सकता है। ग्राफ में x - axis पर सफलता की संख्या व Y-axis पर सफलता के घटित होने की प्रायिकता को दर्शाया जाता है।
5. द्विपद वितरण का आकार - द्विपद वितरण का आकार p व n के मूल्यों के आधार पर निश्चित होता है।
6. उपयुक्तता - द्विपद वितरण की सहायता से प्रायिकता ज्ञात करना उन प्रयोगों के लिए उपयुक्त होता है जहां पर किए गए प्रयोग के लरिणं परस्पर अपवर्जी होते है अर्थात उन्हें स्पष्ट से दो भागों सफलता व असफलता में व्यक्त किया जा सकता है। उदहारण के लिए सिक्के को उछालने पर चित्र या पट का आना, जनसंख्या को स्त्री व पुरुष के आधार पर वर्गीकृत करना आदि।
एक टिप्पणी भेजें