Methods of Constructing Index Numbers in hindi


हेलो फ्रेंड्स

आज के पोस्ट में हम सूचकांक की रचना की विधियों के बारे में जानेंगे।


सूचकांक की रचना की विधियां (Methods of Constructing Index Numbers)

सूचकांक रचना की विधियां इस प्रकार है :

1. सरल सूचकांक - सरल या अभारित सूचकांक से आशय उस सूचकांक से होता है जिसकी रचना करते समय शामिल की जाने वाली सभी वस्तुओं या मदों को एक समान महत्व प्रदान किया जाता है। सरल सूचकांकों की रचना दो विधियों से की जा सकती है :




Methods of Constructing Index Numbers in hindi
Methods of Constructing Index Numbers in hindi





(i) सरल समुही विधि - इस विधि के सूचकांकों की रचना करने के लिए चालू वर्ष की कीमतों के कुल जोड़ को आधार वर्ष की कीमतों के कुल जोड़ से भाग करके 100 से गुना किया जाता है।

सूचकांक की रचना करते समय आने वाली समस्याएं

(ii) सरल औसत मूल्यानुपात विधि - इस विधि की सहायता से सूचकांकों की रचना करने के लिए सबसे पहले विभिन्न वस्तुओं या मदों की चालू वर्ष की कीमत को आधार वर्ष की कीमत से भाग करके 100 से गुणा किया जाता है।



2. भारित सूचकांक - साधारण सूचकांकों की रचना में ली गयी सभी वस्तुओं या मदों को एक समान महत्व दिया जाता है। लेकिन वास्तविकता यह होती है कि इन सभी वस्तुओं व मदों का महत्व भिन्न भिन्न होता है। भारित सूचकांक की गणना निम्नलिखित दो प्रकार से की जाती है :


(i) भारित समुही विधि - इस विधि के अन्तर्गत सूचकांकों की रचना करने के लिए अलग अलग वस्तुओं या मदों को उनकी क्रय की गई कुल मात्रा के आधार पर भार दिया जाता है।

अलग अलग विद्वानों ने अपने मतों के अनुसार विभिन्न वस्तओं व मदों को भार देकर सूचकांक की रचना की। इन विधियों का वर्णन इस प्रकार है :

(i) लेस्पियर विधि - इस विधि का प्रतिपादन प्रो. लेस्पीयर में किया है। उन्होंने सूचकांकों की रचना करने के लिए वस्तुओं को आधार वर्ष की कुल क्रय मात्रा के आधार पर भार दिया है।



(ii) पाशचे विधि - इस विधि का प्रतिपादन प्रो. पाशचे ने किया है। उन्होंने सूचकांकों की रचना करने के लिए वस्तुओं की चालू वर्ष की मात्रा के आधार पर भार दिया है।


(iii) फिशर विधि - फिशर विधि भारित सूचकांक की रचना के लिए दो गयी छह विधियों में सर्वश्रेष्ठ विधि है तथा इस विधि का प्रयोग सूचकांक रचना के लिए सर्वधिक किया जाता है। इस विधि का प्रतिपादन प्रो. फिशर ने किया है। उन्होंने सूचकांक की रचना करने के लिए वस्तुओं या मदों को आधार वर्ष एवं चालू वर्ष दोनों की मात्राओं के आधार पर भार दिया है।


(iv) डोरबिश तथा बाउले विधि - डोरबिश तथा बाउले विधि में सूचकांक रचना के लिए चालू वर्ष तथा आधार वर्ष दोनों वर्षों की कीमतों व मात्राओं को उनके तुलनात्मक महत्व के आधार पर भार दिया गया है। डोरबिश तथा बाउले  विधि द्वारा सूचकांक की रचना करने के लिए लेस्पीयर व पाशचे विधि से ज्ञात सूचकांकों का समांतर माध्य ज्ञात किया जाता है।


(v) मार्शल तथा एज्वर्थ विधि - मार्शल तथा एज्वर्थ विधि से सूचकांक की रचना करने के लिए आधार वर्ष व चालू वर्ष दोनों की मात्राओं के जोड़ के आधार पर भार प्रदान किया जाता है।


(vi) कैली विधि - कैली विधि में सूचकांक की रचना करने के लिए वस्तुएं या मदों को दी गयी मात्रा के आधार पर भार दिया जाता है।



2. भारित औसत मूल्यानुपात विधि - भारित औसत मूल्यानुपात विधि स्व सूचकांक की गणना करने के लिए सबसे पहले दी गयी वस्तुओं या मदों के आधार वर्ष के मूल्य के आधार पर चालू वर्ष के मूल्यानुपातों की गणना की जाती है। कई बार प्रश्न के नाम पर भार स्पष्ट हुए होते है, तो ऐसी स्थिति में इनका प्रयोग करना चाहिए। अगर प्रश्न में भार स्पष्ट रूप से न देकर आधार वर्ष की मात्रा दी गयी हो, तो ऐसी स्थिति में दी गयी प्रत्येक वस्तु या मद के आधार वर्ष के मूल्य तथा आधार वर्ष की मात्रा दोनों को गुणा करके उनके मूल्य भार की गणना की जाती है। 

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