Problems During the Construction of Index Number in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम सूचकांक की रचना करते समय आने वाली समस्याओं के बारे में जानेंगे।


सूचकांक की रचना करते समय आने वाली समस्याएं (Problems During the Construction of Index Number)

सूचकांक की रचना करते समय आने वाली समस्याओं का विवरण इस प्रकार है :

1. वस्तुओं के चयन सम्बन्धी समस्या - सूचकांक की रचना करते समय आने वाली महत्वपूर्ण समस्याओं में एक समस्या वस्तुओं के चयन की होती है। सूचकांकों की रचना करने के लिए सभी प्रकार की वस्तुओं को इस रचना के सम्मिलित नही किया जाता है। केवल कुछ प्रतिनिधि वस्तुओं के आधार पर ही सूचकांकों की गणना की जाती है। इन वस्तुओं का चयन करते समय निम्न तथ्यों को अवश्य ही महत्व दिया जाना चाहिए :



Problems During the Construction of Index Number in hindi
Problems During the Construction of Index Number in hindi




(अ) सूचकांकों की रचना करने के लिए प्रमाणित तथा श्रेणीबद्ध वस्तुएं ही चुनी जानी चाहिए।

(ब) सूचकांकों की रचना करने के लुई उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तुएं ही चुनी जानी चाहिए।

(स) सूचकांकों की रचना करने के लिए चुनी गई प्रतिनिधि वस्तुओं को अलग अलग वर्गों व उप वर्गों में विभाजित करना चाहिए।




2. आधार वर्ष के चयन सम्बन्धी समस्या - सूचकांकों की रचना करते समय आधार वर्ष के चयन की भी समस्या सामने आती है। आधार वर्ष से अभिप्राय उस वर्ष से है जिस वर्ष के संदर्भ में या जिस वर्ष की तुलना में विभिन्न तथ्यों के परिवर्तन को तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। सूचकांकों की रचना के लिए आधार वर्ष के सूचकांक को हमेशा 100 ही लिया जता है।


3. माध्य के चयन सम्बन्धी समस्या - सूचकांकों की रचना करते समय माध्य के चयन सम्बन्धी ही एक समस्या आती है। माध्य विभिन्न प्रकार जैसे समांतर माध्य, गुणोत्तर माध्य आदि के होते है। सूचकांकों की रचना करने के लिए सैद्धान्तिक रूप से तो किसी भी माध्य का चयन किया जा सकता है परन्तु व्यवहारिक रूप से समांतर माध्य व गुणोत्तर माध्य का प्रयोग ही उचित रहता है और साधारणतया इन्ही दो माधयों का प्रयोग सूचकांकों की रचना के लिए किया जाता है। समांतर माध्य की सहायता से सापेक्षिक परिवर्तनों को मापना अधिक सरल होता है।


4. सूचकांक रचना के उद्देश्य का निर्धारण - सूचकांकों की रचना कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की जाती है जैसे थोक कीमतों में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए, फुटकर कीमतों में होने वाली परिवर्तनों को मापने के लिए आदि। अतः सूचकांक की रचना करने की एक मुख्य समस्या, सूचकांक रचना के उद्देश्य का निर्धारण करना है। इसी निर्धारित उद्देश्य के आधार पर वस्तु का चयन, मूल्य आदि निर्धारित किया जाता है।


5. उपयुक्त सूत्र के चयन सम्बन्धी समस्या - सूचकांकों की रचना के समय उपयुक्त सूत्र के चयन सम्बन्धी समस्या सामने आती है। सूचकांकों की रचना विभिन्न सूत्रों की सहायता से की जा सकती है। परन्तु इन बहुत सारे उपलब्ध सूत्रों में से एक उपयुक्त सूत्र का चयन करना एक समस्या है। सूचकांक रचना के उद्देश्य व समन्को की उपलब्धता से उपयुक्त सूत्र का चयन प्रभावित होता है।


6. मूल्यों के चयन सम्बन्धी समस्या - वस्तुओं के मूल्य के चयन सम्बन्धी समस्या भी सूचकांक रचना की एक महत्वपूर्ण समस्या है। मूल्य दो प्रकार के होते है। थोक मूल्य और फुटकर मूल्य। सूचकांक रचना के उद्देश्यों से मूल्य का चयन प्रभावित होता है। सामान्य वस्तुओं के लिए थोक मूल्य का चुनाव करके सूचकांकों की रचना की जाती है। मूल्यों का चयन करते समय यह विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए कि वस्तुओं के अधिकतम क्रय विक्रय वाले स्थानों पर प्रचलित कीमतों के आधार पर ही वस्तुओं के मूल्य का चयन किया जाए।


7. विभिन्न वस्तुओं के भार निर्धारण की समस्या - सूचकांक रचना की एक अन्य समस्या विभिन्न वस्तुओं के भार निर्धारण की होती है। भार से आशय किसी वस्तु या मद के सापेक्षिक महत्व से है। सूचकांक रचना के लिए चुनी गई वस्तुएं अलग अलग महत्व की होती है। सूचकांकों की रचना करने के लिए प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं के सापेक्षिक महत्व के आधार पर उन्हें भार दे दिया जाता है। 

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