Scope of Financial Management in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम वित्तीय प्रबन्ध के क्षेत्र के बारे में समझेंगे।


वित्तीय प्रबन्ध का क्षेत्र (scope of financial management)

वित्तीय प्रबन्ध का क्षेत्र वित्तीय कार्यों पर निर्भर करता है। दिन प्रतिदिन परिवर्तित होते व्यावसायिक वातावरण के कारण वित्त कार्यों का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है। बीसवीं शताब्दी के शुरू होने से पहले वित्त को अर्थशास्त्र का हिस्सा माना जाता था। परन्तु बीसवीं शताब्दी के आरम्भ होते ही जैसे जैसे तकनीकी परिवर्तन, पूंजी बाजार महत्व, बड़े पैमाने के उद्योग आदि का विकास शुरू हुआ तो वित्त का एक अलग शैक्षणिक विषय के रूप में अध्ययन किया जाने लगा। परन्तु उस समय तक भी बाह्य वित्त को अधिक महत्व प्रदान किया जाता था और फर्म के आंतरिक प्रबन्ध की उपेक्षा की जाती थी।



Scope of Financial Management in hindi
Scope of Financial Management in hindi




जब वर्ष 1930 में मंदी की स्थिति उतपन्न हुई तो बाहरी पक्षकारों से वित्त की व्यवस्था करना मुश्किल होने के कारण वित्त के आंतरिक प्रबन्ध, मूल्य नीति, कार्यालय पूंजी प्रबन्ध, वित्तीय नियोजन, वित्तीय नियंत्रण, पूंजी बजटिंग, रोकड़ बजटिंग, लाभ नियोजन आदि विषयों पर भी ध्यान दिया जाने लगा।



वित्तीय प्रबन्ध तथा प्रबन्ध के अन्य क्षेत्रों के बीच सम्बन्ध की व्याख्या इस प्रकार है :

1. वित्तीय प्रबन्ध एवं उत्पादन प्रबन्ध - कुल लागत में उत्पादन लागत लागत का बड़ा भाग शामिल रहता है। व्यावसायिक उपक्रम के उत्पादन विभाग को अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते है जैसे उत्पादन क्षमता का विस्तार, पुरानी मशीन के स्थान पर नई मशीन लगाना आदि।


2. वित्तीय प्रबन्ध एवं सामग्री प्रबन्ध - वित्तीय प्रबन्ध का सम्बन्ध सामग्री प्रबन्ध से भी है। उत्पादन प्रबन्ध के लिए पर्याप्त मात्रा में माल की सुपुर्दगी प्राप्त होना अनिवार्य होता है। इसके साथ साथ माल के क्रय, संग्रहण आदि का प्रबन्ध भी उत्पादन प्रबन्ध में ही आता है। माल की पर्याप्त मात्रा का निर्धारण करने के लिए वित्तीय प्रबन्ध बहुत सहायक सिद्ध साबित होता है। वित्तीय प्रबन्ध एवं सामग्री प्रबन्ध मिलकर माल का अनुकूलतम स्तर, माल के संग्रहण, आवश्यक संख्या में कर्मचारियों की पूर्ति आदि का निर्धारण करते है।


3. वित्तीय प्रबन्ध एवं विपणन प्रबन्ध - वित्तीय प्रबन्ध, विपणन प्रबन्ध से भी जुड़ा हुआ है। विपणन प्रबन्ध के अंतर्गत एक विपणन प्रबन्धक को बहुत से महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते है जैसे उत्पाद का मूल्य निर्धारण, उधार नीति, विज्ञापन नीति, वितरण नीति, बाजार विस्तार आदि। इन सभी कार्यों के लिए वित्त की जरूरत होती है। अतः वित्तीय प्रबन्ध एवं विपणन प्रबन्ध परस्पर एक दूसरे से सम्बंधित है।


4. वित्तीय प्रबन्ध एवं मानवीय संसाधन प्रबन्ध - मानवीय संसाधन प्रबन्ध के अंतर्गत मानवीय संसाधनों की भर्ती, प्रशिक्षण, कल्याण आदि कार्यों को शामिल किया जाता है। इसके साथ साथ मानवीय संसाधनों के प्रबन्ध में अभिप्रेरक योजनाएं, प्रशिक्षण की अलग अलग योजनाएं, वेतन संरचना का पुनर्गठन आदि भी आते है। इन सभी क्रियाओं का सम्बन्ध वित्त से होता है। अतः मानवीय संसाधन प्रबन्धक को वित्तीय प्रबन्धक से विचार विमर्श करके इनके बारे में निर्णय लेने चाहिए। 

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