वित्तीय प्रबन्ध का महत्व
हेलो दोस्तों।
आज के पोस्ट में हम वित्तीय प्रबन्ध के महत्व के बारे में जानेंगे।
वित्तीय प्रबन्ध का महत्व (Importance of Financial Management)
वर्तमान समय मे वित्तीय प्रबन्ध का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। आज वित्तीय प्रबन्ध के कार्यक्षेत्र में केवल वित्त को एकत्रित करना ही नही बल्कि एकत्रित वित्त का सफल प्रयोग करना भी शामिल किया जाता है। वित्तीय प्रबन्ध के महत्व को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया गया है :-
1. आवश्यक वित्त इकट्ठा करना - वित्तीय प्रबन्ध व्यवसाय के लिए आवश्यक वित्त का अनुमान लगाकर इसे उपलब्ध स्त्रोतों से इकट्ठा करने में मदद करता है।
Importance of Financial Management in Hindi |
2. एकत्रित वित्त का कुशल उपयोग - वित्तीय प्रबन्ध की सहायता से व्यवसाय में एकत्रित किए गए वित्त का कुशलतम उपयोग सम्भव हो पाता है। इसके लिए वित्तीय प्रबन्ध इस वित्त से कम से कम लागत पर अधिकतम लाभ प्राप्त करने में सहयोग करता है।
3. लाभों के विवेकपूर्ण उपयोग - वित्तीय प्रबन्ध व्यवसाय द्वारा कमाए गए लाभों के विवेकपूर्ण उपयोग में सहायक है। इसके लिए वित्तीय प्रबन्ध में उचित लाभांश नीति सम्बन्धी निर्णय लिया जाता है, जिसके आधार पर अर्जित किए गए कुल लाभों का एक निश्चित हिस्सा अंशधारियों में लाभांश के रूप में वितरित कर दिया जाता है तथा शेष भाग व्यवसाय में ही पुनः विनियोजित कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप लाभांश व लाभों के पुनः विनियोग के मध्य सन्तुलन स्थापित होता है।
4. सम्पदा अधिकतम करने में सहायक - वित्तीय प्रबन्ध का महत्व व्यावसायिक उपक्रम की सम्पदा को अधिकतम करने के लिए भी है। वित्तीय प्रबन्ध में वित्त सम्बन्धी निर्णय, वित्त विनियोग सम्बन्धी निर्णय, लाभांश नीति निर्णय, कार्यशील पूंजी निर्णय आदि की सहायता से सम्पदा को अधिकतम किया जाता है। प्रत्येक ऐसी वित्तीय क्रिया जिससे उपक्रम के लिए सम्पदा उतपन्न होती है उसे स्वीकार किया जाता है तथा इसके विपरीत जिस वित्तीय क्रिया से उपक्रम को सम्पदा की हानि हो, उसे अस्वीकार किया जाता है।
5. रोकड़ प्रबन्ध में सहायक - वित्तीय प्रबन्ध रोकड़ प्रबन्ध में भी सहायता प्रदान करता है। इसके अंतर्गत उपक्रम में आवश्यक रोकड़ का अनुमान लगाकर इसकी प्राप्ति की उचित व्यवस्था की जाती है। रोकड़ की आवश्यकता का निर्धारण कच्चे माल की आवश्यकता, लेनदारों को भुगतान की आवश्यकता, बिलों का भुगतान करने की जरूरत, दैनिक कार्यों के संचालन आदि के आधार पर किया जाता है।
6. विनियोगकर्ताओं को सूचनाएँ - वित्तीय प्रबन्ध उपक्रम में विनियोग करने वाले पक्षकारों को आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करवाता है। इन्ही सूचनाओं के आधार पर विनियोगकर्ताओं उपक्रम में विनियोग करने या न करने का निर्णय लेते है।
7. अंशधारियों को सूचनाएँ - वित्तीय प्रबन्ध अंशधारियों को विभिन्न आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करवाता है। इसके परिणामस्वरूप वे सभी अंशधारी जो कंपनी की प्रबन्ध व्यवस्था व सभा मे भाग नही ले पाते हैं उन्हें कंपनी की लाभप्रदता व आर्थिक स्थिति की पर्याप्त जानकारी मिल पाती है।
8. बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं को सूचनाएँ - वित्तीय प्रबन्ध, बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं को उपक्रम को ऋण प्रदान करने का निर्णय करने के लिए जरूरी सूचनाएँ उपलब्ध करवाता है।
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