Theory of Probability in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम प्रायिकता सिद्धान्त के बारे में जानेंगे।


प्रायिकता सिद्धान्त (theory of probability)

प्रायिकता से अभिप्राय किसी दी हुई घटना के घटने की संभावना से होता है। प्रायिकता सदा शून्य तथा एक के बीच होती है।


अलग अलग विद्वानों ने प्रायिकता को अलग प्रकार से परिभाषित किया है इन सभी परिभाषाओं को तीन भागों म3 बांटकर अध्यन किया जाता है।




Theory of Probability in Hindi
Theory of Probability in Hindi




1. गणितीय परिभाषा - गणितीय परिभाषा प्रायिकता की सबसे प्राचीन परिभाषा है  प्रायिकता ज्ञात करना इस विधि के सबसे आसान होता है। प्रायिकता अनुकूल दशाओं की संख्या का समान रूप से घटित सम्भावित दशाओं की सम्पूर्ण संख्या से अनुपात है। यह परिभाषा प्रायिकता को इस मान्यता पर परिभाषित करती है कि एक प्रयोग से मिलने वाले सभी परिणाम समान रूप से घटने वाले होते है। इस परिभाषा के अनुसार प्रायिकता की गणना करने के लिए घटना सम्बन्धी अनुकूल संख्या ज्ञात करके इसे घटना सम्बन्धी कुल सम समभावी संख्या से भाग किया जाता है।



2. सापेक्ष आवृत्ति या सांख्यिकी परिभाषा - इस परिभाषा को प्रयोग शिध्य परिभाषा भी कहा जाता है। यह परिभाषा प्राचीन अनुभव तथा किए गए परीक्षणों की आधार मान कर प्रायिकता ज्ञात करती है। परीक्षण के अनन्त क्रम में सफल परिणामों भी सापेक्षित आवृत्ति की सीमा प्रायिकता कहलाती है।




3. भावगत दृष्टिकोण - भावगत दृष्टिकोण में प्रायिकता की गणना व्यक्ति के पास उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित होता है। इस दृष्टिकोण में व्यक्ति के घटना सम्बन्धी विश्वास को प्रकट किया जाता है।


सीमा - प्रायिकता की इस परिभाषा की एक सीमा यह है कि उपलब्ध आंकड़े एक समान होने पर भी अलग अलग व्यक्तियों के किसी एक घटना के सम्बंध में विश्वास की मात्रा अलग हो सकती है तो ऐसी स्थिति में प्रायिकता को ज्ञात करना एक समस्या बन जाती है।




सांख्यिकी में प्रायिकता की धारणा का महत्व (Importance of the Concept of Probability in Statistics)

प्रायिकता की धारणा का आरम्भ 17वी शताब्दी में हुआ। उस समय प्रायिकता की धारणा जुआ व सट्टे सम्बन्धी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयोग किया जाता था। धीरे धीरे प्रायिकता की धारणा का प्रयोग अवसर खेलों सम्बन्धी विभिन्न प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए होने लगा। जैसे पासा फेकना, सिक्का उछालना, थैले में से अलग अलग रंगों की गेंद निकालना, ताश की गड्डी से एक पत्ता निकालना आदि। वर्तमान समय मे प्रायिकता की धारणा का क्षेत्र और भी विस्तृत हो गया है।


अब आर्थिक क्षेत्र, प्रबन्धकीय क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र, लिंग सम्बन्धी जानकारी आदि में भी प्रायिकता की धारणा का प्रयोग होने लगा है। इसके साथ साथ समाज शास्त्र, राजनीतिक शास्त्र, प्राणि शास्त्र, औद्योगिक प्रबन्ध, सेना सम्बन्धी प्रबन्ध आदि के विश्लेषण में भी प्रायिकता की धारणा का विशेष महत्व है। 

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