व्यापार चिन्ह के बारे में जानकारी

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम व्यापार चिन्ह के बारे में जानेंगे और व्यापार चिन्ह और ब्रांड के बीच अंतर भी जानेंगें।


व्यापार चिन्ह या ट्रेडमार्क (Trademark)

सामान्यतः ब्रांड तथा ट्रेडमार्क को एक ही माना जाता है परंतु एक ब्रांड उस समय ट्रेडमार्क में परिवर्तित हो जाता है जब अधिनियम की व्यवस्थाओं के अन्तर्गत उसका पंजीयन करा लिया जाता है। ऐसा पंजीयन कराने का उद्देश्य विदेशी बाजारों में विद्यमान तथा भावी प्रतिस्पर्धियों को उस ब्रांड नाम से अपनी वस्तुएं प्रचलित करने से वैधानिक रूप से रोकना है। इस प्रकार वह ब्रांड जिसमे अक्षर, चिन्ह, चित्र, डिज़ाइन आदि सम्मिलित है, का जब पंजीयन करवा लिया जाता है तो वह ट्रेडमार्क बन जाता है। पंजीयन के बाद ट्रेडमार्क का प्रयोग केवल इस पर अधिकार रखने वाला व्यक्ति ही कर सकता है। ट्रेडमार्क की नकल करने पर दोषी व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। भारत मे ट्रेडमार्क "Trade and Merchandise Mark Act 1958" के अंतर्गत रजिस्टर्ड किया जाता है।



व्यापार चिन्ह के बारे में जानकारी
व्यापार चिन्ह के बारे में जानकारी





परिभाषा (Definition) :- ट्रेडमार्क एक ऐसा ब्रांड है जिसे वैधानिक संरक्षण प्रदान किया गया है क्योंकि कानून के अंतर्गत इसको केवल एक विक्रेता द्वारा ही अपनाया जा सकता है।

एक अच्छे ब्रांड की विशेषताएं जाने

ब्रांड तथा ट्रेडमार्क में अंतर (Difference Between Brand and Trademark)

ब्रांड तथा ट्रेडमार्क के बीच निम्नलिखित अंतर है चलो समझते है :

1. अर्थ

ब्रांड - ब्रांड का नाम, शब्द, अक्षर, चिन्ह, डिज़ाइन या इनका सम्मिश्रण है, जो उत्पाद की पहचान बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

ट्रेडमार्क - ट्रेडमार्क वह शब्द, नाम, अक्षर, चिन्ह, डिज़ाइन या इसका सम्मिश्रण है, जिसका उत्पाद की पहचान बनाने के लिए कानून के अनुसार पंजीयन करवा लिया जाता है।



2. उतपत्ति

ब्रांड - ब्रांड की उतपत्ति किसी भी उत्पादक द्वारा की जा सकती है।

ट्रेडमार्क - ट्रेडमार्क की उतपत्ति केवल तभी होती है जब उसका पंजीयन करवा लिया जाता है।



3. क्षेत्र

ब्रांड - ब्रांड का क्षेत्र सीमित होता है।

ट्रेडमार्क - इसका क्षेत्र विस्तृत है क्योंकि ट्रेडमार्क में ब्रांड शामिल होता है।



4. पंजीकरण

ब्रांड - इसका पंजीयन करना आवश्यक नही है।

ट्रेडमार्क - वैधानिक दृष्टि से ट्रेडमार्क का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। वास्तव में किसी ब्रांड का पंजीयन होने के बाद ही वह ट्रेडमार्क कहलाता है।



5. पहचान

ब्रांड - इससे उत्पाद के गुणों की पहचान होती है।

ट्रेडमार्क - इससे व्यावसायिक उपक्रम की पहचान होती है।



6. प्रयोग

ब्रांड - इसका उपयोग कोई भी उत्पादक कर सकता है।

ट्रेडमार्क - इसका उपयोग केवल उसका स्वामी कर सकता है।



7. प्रकृति

ब्रांड - सभी ब्रांड ट्रेडमार्क नही होते।

ट्रेडमार्क - सभी ट्रेडमार्क ब्रांड होते है।



8. नकल

ब्रांड - ब्रांड की नकल अन्य प्रतियोगी संस्थाओं द्वारा की जा सकती है ऐसा करने पर उनके विरुद्ध कोई भी वैधानिक कार्यवाही नही की जा सकती।

ट्रेडमार्क - इसकी नकल करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सकती है तथा उनसे हर्जाना भी वसूल किया जा सकता है। 

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