Entertainment Advertising and its Types in Hindi
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में हम मनोरंजन विज्ञापन के बारे में बात करेंगे।
मनोरंजन विज्ञापन (Entertainment Advertising)
मनोरंजन विज्ञापन को मनोरंजन मीडिया या लोक माध्यम भी कहते है। यह माध्यम उपभोक्ताओं का मनोरंजन करने के साथ साथ वस्तुओं का विज्ञापन भी करता है तथा उन्हें उत्पाद क्रय करने के लिए भी प्रेरित करता है।
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मनोरंजन विज्ञापन और इसके प्रकारों के बारे में जानकारी |
इस माध्यम के निम्न प्रकारों का वर्णन इस प्रकार है :
1. रेडियो - रेडियो विज्ञापन में विज्ञापनकर्ता अपना संदेश बोले गए शब्दों के द्वारा प्रेषित करता है। कुछ वर्षों से रेडियो की लोकप्रियता कम हो गयी हैं रेडियो में विज्ञापनों की शुरुआत भारत मे वर्ष 1967 में विविध भारती सेवा के साथ शुरू हुई। व्यावसायिक विज्ञापन आल इंडिया रेडियो की आय का मुख्य स्रोत है। विज्ञापन का यह माध्यम अशिक्षित एवं अंधे व्यक्तियों के लिए भी उपयुक्त है।
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2. टेलीविजन - टेलीविजन का आविष्कार 1950 में हुआ था। भारत के इसकी शुरुआत 1959 में हुई। भारत मे वर्ष 1976 में कमर्शियल टेलीविजन विज्ञापनों की शुरुआत हुई। सन 1982 से भारत मे रंगीन कार्यक्रम के का प्रसारण शुरू हुआ। वर्तमान में लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या टेलीविजन को मनोरंजन के साधन के रूप में प्रयोग कर रही है। टेलीविजन एक ऐसा यन्त्र है जो शब्दों तथा चित्रों को एक साथ दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है। टेलीविजन के द्वारा उपभोक्ताओं के समक्ष उत्पाद सम्बन्धी गुणों की व्याख्या के साथ साथ उसे प्रयोग करने की विधि भी स्पष्ट रूप से दिखाई जाती है।
3. फ़िल्म - फिल्मों के द्वारा विज्ञापन देना, विज्ञापन का एक परम्परागत माध्यम है। फ़िल्म विज्ञापन के लिए या तो सिनेमा स्लाइडों का प्रयोग किया जाता है या विज्ञापन के उद्देश्य से बनी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता है। इस प्रकार की स्लाइड्स तथा फिल्म्स मध्यांतर में या सिनेमा का शो आरम्भ होने से पहले दिखाई जाती है। इनके प्रयोग से दर्शकों में वस्तु का प्रभावशाली ढंग से विज्ञापन किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त बड़े पर्दे पर फिल्में प्रदर्शित किए जाने के कारण उपभोक्ताओं के मन में उत्पाद का गहरा प्रभाव पड़ता है।
4. वीडियो विज्ञापन - वर्तमान समय मे वीडियो विज्ञापन, विज्ञापन का एक सुप्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। ये गीत संगीत, फ़िल्म, नाटक, शैक्षणिक कार्यक्रम, सूचनाओं आदि से सम्बंधित हो सकते है। इनमे बीच बीच मे विज्ञापन सम्मिलित कर दिए जाते है। बड़ी बड़ी व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा अधिकतर इसी माध्यम का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा ये अपने उत्पाद के प्रचार के अतिरिक्त संस्था की प्रगति को भी प्रदर्शित करते हैं। इसके अतिरिक्त फिल्मों के वीडियो में ही दैनिक उपयोग के विभिन्न उत्पादों के विज्ञापन प्रदर्शित किए जाते है। एक अनुमान के अनुसार इस माध्यम से भारत मे प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये के विज्ञापन किए जा रहे है।
5. मेले एवं प्रदर्शनियां - उपभोक्ताओं को आकर्षित करने की दृष्टि से देश एवं विदेश में समय समय पर मेले एवं प्रदर्शनियां आयोजित की जाती है। प्रदर्शनियों एवं मेलों का आयोजन विभिन्न सरकारी संस्थाओ तथा व्यापारिक संघों द्वारा किया जाता है। इनका प्रमुख उद्देश्य उत्पादकों को अपनी वस्तुएं ग्राहकों के सामने प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करना है।
6. फैशन शो - विज्ञापन देने के लिए फैशन शो के माध्यम का भी प्रयोग किया जाता है। यह माध्यम शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है। प्रसाधन, सौंदर्य वस्तुओं वे निर्माताओं व सिले सिलाए वस्त्रों के उत्पादकों द्वारा अपनी वस्तुओं का विक्रय बढाने के लिए विभिन्न प्रकार के फैशन शो आयोजित किए जाते है।
7. अन्य विज्ञापन - कुछ अन्य विज्ञापन भी हो सकते है जो इस प्रकार है :
(i) विशिष्ट विज्ञापन - विभिन्न उत्पादों के उत्पादक सम्भावित ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए समय समय पर नए नए विज्ञापन माध्यमो का प्रयोग करते रहते है जैसे कैलेंडर, कूपन, सेम्पल, डायरियां आदि का मुफ्त वितरण।
(ii) टेलीफोन विज्ञापन - यह विज्ञापन का एक आधुनिक माध्यम है जिसके अंतर्गत विज्ञापनकर्ता अपने भावी ग्राहकों से टेलीफोन के माध्यम से सम्पर्क करता है तथा उन्हें उत्पाद सेवाएं क्रय करने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए संस्था अपने भावी ग्राहकों के टेलीफोन नम्बरों की सूची तैयार करती है।
(iii) इंटरनेट विज्ञापन - इंटरनेट को आधुनिक युग का मीडिया कहा जाता है। इंटरनेट मीडिया में प्रिंट मीडिया तथा प्रसारण मीडिया दोनो के गुण सम्मिलित होते है। वर्तमान में ई-व्यापार, ई-शॉपिंग, ई-रिटेलिंग के क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इंटरनेट पर प्रदर्शित किए जाने वाले विज्ञापन वेब डिजाइनरों द्वारा निर्मित किए जाते है।
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