Advantages of Investment Route over Trade Route in hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में निवेश रूट के व्यापार रूट की तुलना के गुणों के बारे में बताया गया है।

निवेश रूट के व्यापार रूट की तुलना के गुण (Advantages of Investment Route over Trade Route)

1. टैरिफ व गैर टैरिफ बाधाओं की समाप्ति - जब व्यापार रूट द्वारा विदेशी बाजार में प्रवेश लिया जाता है तो उसमें टैरिफ व गैर टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है जैसे आयात कर, आयात कोटा, आयात लाइसेंस आदि। परन्तु जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रूट में मेजबान देश मे सहायक कंपनी स्थापित करके उत्पादन कार्य मेजबान देश मे किए जाते है तो टैरिफ व गैर टैरिफ बाधाएं खुद ही समाप्त हो जाती है। कुछ देशों में आयात कर की दर बहुत अधिक होती है।



निवेश रूट के व्यापार रूट की तुलना के गुण
निवेश रूट के व्यापार रूट की तुलना के गुण




2. सस्ते स्थानीय संसाधनों के लाभ - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रूट से मेजबान देश के सस्ते उत्पादक घटकों का लाभ उठाया जा सकता है। प्रायः विकसित देशों में स्थापित बहुराष्ट्रीय कंपनियां, विकासशील व अल्पविकसित देशों में उपलब्ध सस्ते कच्चे माल व सस्ती श्रम लागत का लाभ उठाने के लिए वहां उत्पादन आधार स्थापित करती है। परंतु अगर व्यापार रूट से विदेशी बाजार में प्रवेश लिया जाता है तो मेजबान देश के सस्ते स्थानीय संसाधनों का लाभ उठाना सम्भव नही होता है।

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3. परिवहन लागत में कमी - व्यापार रूट से विदेशी बाजार में प्रवेश लेने पर तैयार माल को विदेशी बाजार तक ले जाने में परिवहन लागत देनी पड़ती है। विदेशी बाजार में दूरी अधिक होने के कारण परिवहन लागत बहुत अधिक होती है जैसे जहाज भाड़ा लागत, रास्ते मे बीमा व्यय, परिवहन में समय की व्यर्थता आदि। परन्तु निवेश रूट अपना कर परिवहन व्ययों को न्यूनतम किया जा सकता है।


4. पोलीसेंट्रिक दृष्टिकोण के लाभ -  निवेश रूट अपना कर विभिन्न विदेशी बाजारों में वहां की स्थानीय आवश्यक्ताओ, पसन्द, रुचि, प्राथमिकताओं, क्रय क्षमता आदि को ध्यान में रखकर विभेदात्मक उत्पाद बनाकर विभिन्न राष्ट्रीय बाजारों में उपभोक्ता सन्तुष्टि स्तर को बढ़ाया जा सकता है। निवेश रूट में विभिन्न विदेशी बाजारों में अलग अलग उत्पादन केंद्र स्थापित किए जा सकते है। विभिन्न देशों में स्थापित सहायक इकाइयां स्थानीय कर्मचारियों की नियुक्ति करती है।


5. जोखिम विभेदीकरण - निवेश प्रारूप में उत्पादन केंद्र विश्व के विभिन्न देशों में स्थापित किए जाते है। इससे देश सम्बन्धी जोखिम व राजनीतिक जोखिम विभिन्न देशों में बंट जाता है। जबकि व्यापार रूट में उत्पादन केंद्र केवल मूल देश मे ही आधारित होता है। अतः मूल देश मे कोई प्राकृतिक आपदा आने पर उत्पादन केंद्र व व्यावसायिक इकाई पर बहुत कुप्रभाव पड़ता है। अतः जोखिम विविधीकरण के लिए निवेश प्रारूप अधिक बेहतर है।


6. राजनीतिक सम्बन्धों में सुदृढ़ता - निवेश प्रारूप में मूल देश व मेजबान देश के बीच राजनीतिक सम्बन्धों में सुदृढ़ता आती है। मेजबान देश मे सहायक इकाई स्थापित करने से वहां विदेशी निवेश के अन्तरप्रवाह में वृद्धि होती है, रोजगार सृजन होता है। विदेशी निवेश के अन्तरप्रवाह से विदेशी मुद्रा के अन्तरप्रवाह में भी वृद्धि होती है। इससे भुगतान शेष स्थिति में सुधार आता है।दूसरी ओर व्यापार रूट में मेजबान देश मूल देश के उत्पादों का आयात करता है इससे विदेशी मुद्रा का बाहरी प्रवाह बढ़ता है।


7. दीर्घकालीन प्रवेश - अगर वैश्विक इकाई मेजबान देश मे दीर्घकाल के लिए प्रवेश लेना चाहते है तो निवेश प्रारूप अधिक उपयुक्त है क्योंकि व्यापार प्रारूप में टैरिफ व गैर टैरिफ नीतियां दीर्घकाल तक स्थिर नही रहती। टैरिफ व गैर टैरिफ नीतियों में प्रतिकूल परिवर्तन व्यापार रूट को कुप्रभावित करता है।

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