विश्व व्यापार संगठन का अर्थ स्थापना और विशेषताओं के बारे में जानकारी
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट के अंतर्गत विश्व व्यापार संगठन का अर्थ स्थापना और विशेषताओं के बारे में जानेंगे।
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation - WTO)
विश्व व्यापार संगठन का निर्माण स्वतंत्र विश्व व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य वस्तुओं व सेवाओं के बहुराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन देना है। यह स्वतंत्र विश्व व्यापार के लिए टैरिफ व गैर टैरिफ बाधाओं के उन्मूलन पर जोर देता है। यहां टैरिफ बाधा का तात्पर्य आयात कर से है तथा गौर टैरिफ बाधाओं का अभिप्राय आयात कोटा, आयात कर परिणामस्वरूप प्रतिबन्ध, आयात लाइसेन्स आदि से है। गैट के आंठवे दौर में, गैट के सदस्य देशों ने गैट के स्थान पर एक नए संगठन के निर्माण का निर्णय लिया। इस दौर को उरुग्वे दौर (Uruguay Round) के नाम से भी जाना जाता है। इस नए संगठन को विश्व व्यापार संगठन कहा गया।
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विश्व व्यापार संगठन का अर्थ स्थापना और विशेषताओं के बारे में जानकारी |
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना (Establishment of WTO)
1 जनवरी 1995 को 124 देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य थे। मई 2013 में यह संख्या बढ़कर 159 हो गयी। इसके अतिरिक्त 24 अन्य देश WTO की सदस्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं। इस संगठन में कुछ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जैसे सेवाओं का व्यापार, विदेशी निवेश को प्रोत्साहन, पेटेंटों को संरक्षण, विश्व व्यापार से सम्बंधित विवादों का निवारण, टैरिफ में कमी आदि।
WTO के समझौतों से विश्व व्यापार में वृद्धि होगी। विकासशील देशों को अधिक विदेशी निवेश व तकनीकी सहायता प्राप्त होगी तथा उनके आर्थिक विकास में वृद्धि होगी। WTO संसार के विभिन्न देशों के बीच अन्तराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने तथा सीमा शुल्क के बंधनों को कम करने के लिए किया गया। आवश्यक सिद्धान्तों तथा नियमों से सम्बंधित बहुपक्षीय समझौता है। यह एक बहुपक्षीय सन्धि है जो अन्तराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित एवं इसके नियमों का निर्धारण करती है।
विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य और कार्य जाने
यह एक नई विश्व प्रणाली है। 15 दिसम्बर 1993 को गैट समझौते की बातचीत के आंठवे दौर की वार्ता पर सदस्य देशों ने सहमति व्यक्त की। इस दौर की वार्ता में यह निर्णय लिया गया कि 1 जनवरी 1995 से गैट के स्थान पर विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की जाए। आंठवे दौर के समझौते में 28 समझौते शामिल है जिन पर सम्मिलित होने वाले सभी देशों ने हस्ताक्षर किए है। विश्व व्यापार संगठन, गैट के स्थान पर नया नाम लेने वाला, विश्व मान्यता प्राप्त एक व्यापार संगठन है। इसे अन्तराष्ट्रीय व्यापार को सख्ती से लागू करने का अधिकार प्राप्त है।
अब WTO विश्व बैंक तथा IMF के साथ मिलकर, विश्व व्यापार नीति को काफी मात्रा में प्रभावित करेगा। अन्तराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में यह एक बहुत ही सुदृढ संगठन है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2015 तक WTO समझौतों से विश्व आय में 2800 बिलियन डॉलर की वृद्धि होगी।
WTO के अब तक नौ मंत्रीस्तरीय सम्मेलन हो चुके है। WTO का पहला मंत्रीस्तरीय सम्मेलन 1996 में सिंगापुर में हुआ था। WTO की नौंवी बैठक बाली में दिसम्बर 2013 में सम्पन्न हुई। इस नौंवी विश्व बैठक में विश्व व्यापार संगठन के 159 सदस्य देशों में हिस्सा लिया। इस मंत्रीस्तरीय बैठक का मुख्य विचार बिंदु 'बहुपक्षीय व्यापार व अति अल्पविकसित देशों के विकास को बढ़ावा देना तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
WTO के विभिन्न मंत्रीस्तरीय सम्मेलनों का विवरण इस प्रकार है :
मंत्रीस्तरीय सम्मेलन वर्ष स्थान
पहला 1996 सिंगापुर
दूसरा 1998 जेनेवा
तीसरा 1999 सिटले
चौथा 2001 दोहा
पांचवा 2003 कैनकन
छठा 2005 हांगकांग
सातवां 2009 जेनेवा
आठवां 2011 जेनेवा
नौवा 2013 बाली (इंडोनेशिया)
विश्व व्यापार संगठन की विशेषताएं (Features of WTO)
1. यह एक अन्तराष्ट्रीय संगठन है, जो बहुपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
2. इसे गैट (GATT) के स्थान पर बनाया गया है।
3. यह स्वतंत्र अन्तराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है। यह टैरिफ जैसी बाधाओं को खत्म करने पर जोर देता है।
4. इसका वैधानिक अस्तित्त्व है। इसके कुछ नियम व प्रावधान है। इन नियमों व प्रावधानों के द्वारा यह सदस्य देशों के बीच अन्तराष्ट्रीय व्यापार की बाधाओं को कम करता है। ये नियम व सदस्य देशों द्वारा आपसी सहमति से बनाये जाते है।
5. इसके अंतर्गत वस्तु व्यापार, सेवा व्यापार, बौद्धिक सम्पत्ति अधिकारों का संरक्षण, विदेशी निवेश आदि शामिल है।
6. WTO का एक बड़ा सचिवालय है, और इसका संगठनात्मक ढांचा बहुत विशाल है।
7. अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की तरह, WTO पर केवल विकसित देशों का ही नियंत्रण नही है। WTO विकसित देशों के एजेंट की भांति कार्य नही करता।
8. WTO के सभी सदस्य देशों को एक समान वोटिंग अधिकार दिए गए है। इसमें एक देश को एक वोट देने का अधिकार होता है, जबकि अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक में सदस्य देशों को भारित वोटिंग अधिकार दिए जाते है। भारित वोटिंग में सदस्य देशों की वोट का मूल्य उसकी पूंजी के आधार पर तय किया जाता है।
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