Central Excise Duty and its Characteristics in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और इसकी विशेषताओं या लक्षण के बारे में जानेंगे।


केंद्रीय उत्पाद शुल्क का इतिहास

मौर्यकाल में नमक एवं शराब पर उत्पाद शुल्क के रूप में इसका प्रादुर्भाव मिलता है। मुगल काल मे यह शुल्क नील, कपास, साबुन, खाद्य तेल, तम्बाकू आदि पर बढ़ा दिया गया। अंग्रेजी शासनकाल में यह डेयरी पदार्थ, हथकरघा, चमड़े की वस्तुओं तक विस्तृत कर दिया गया। वर्तमान रूप में प्रचलित उत्पाद शूली भारतीय सूती उद्योग पर 1894 में भारतीय वस्त्रों के निर्यात को महँगा करने के उद्देश्य से लगाया गया। इसके बाद इसका क्षेत्र बढ़ता चला गया एवं 1917 में पेट्रोल, मिट्टी के तेल तथा बाद में चांदी, चीनी, माचिस आदि पर भी लगाया गया। 



केंद्रीय उत्पाद शुल्क और इसकी विशेषताओं या लक्षण के बारे में जानकारी
केंद्रीय उत्पाद शुल्क और इसकी विशेषताओं या लक्षण के बारे में जानकारी


1943 तक इसके अंतर्गत औद्योगिक उत्पाद आने लगे। 1944 तक आते आते विभिन्न वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क से सम्बंधित 16 कानूनों को एक कानून 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं नमक अधिनियम 1944' के रूप में एकीकृत करके एक विस्तृत विधान बनाया गया जो कि सम्पूर्ण भारत मे 28.2.1994 से प्रवृत्त हुआ। 1996 में अधिनिमय से नमक शब्द का विलोपन कर दिया गया। अब यह 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1994' के नाम से प्रचलित है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर इसमें समय समय पर आनेक संशोधन किए जा चुके है।



केंद्रीय उत्पाद शुल्क का आशय

यह केंद्रीय कर है जो केंद्रीय सरकार द्वारा भारत मे उत्पादित वस्तुओं के निर्माण या उत्पादन पर लगाया जाता है। यह अप्रत्यक्ष कर है जो निर्माताओं से वसूल किया जाता है जैसे माल आया विक्रय से कोई सम्बन्ध नही है। स्वयं उपभोग में प्रयुक्त माल का उत्पाद शुल्क योग्य होता है। उत्पाद शुल्क भारत सरकार की आय का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। उत्पाद शुल्क से आशय ऐसे शुल्क से है जो भारत मे वस्तुओं के उत्पादन या निर्माण पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है।



उत्पाद शुल्क के लक्षण / विशेषताएँ

उत्पाद शुल्क के निम्न लक्षण है :

1. यह माल पर लगाया जाता है।


2. यह केंद्रीय शुल्क है।


3. यह शुल्क माल के निर्माण या उत्पादन पर लगाया जाता है।

अप्रत्यक्ष कर और इसकी विशेषताएँ जाने

4. इसका कर भार ग्राहक पर पड़ता है क्योंकि यह अप्रत्यक्ष कर है।


5. यह सामान्य या विशिष्ट प्रकार से गणना किए गए शुल्क योग्य शुल्क पर लगाया जाता है।


6. उत्पाद शुल्क माल को हटाने के स्थान से हटाने पर देय होता है।


7. उत्पाद शुल्क समस्त भारत मे एक ही रूप में लगाया जाता है।


8. उत्पाद शुल्क के विधान के अंतर्गत निर्माण, स्कंध तथा माल को हटाने के स्थान से हटाने के सम्बन्ध में विशिष्ट रिकॉर्ड रखना होता है।


9. शुल्क योग्य माल का उत्पादन करने में प्रयुक्त साधन साम्रगी, पूंजीगत माल एवं सेवा कर के सम्बन्ध में भुगतान की गई राशि के लिए सेनवैट क्रेडिट लिया जा सकता है।


10. लघु उद्योगों के विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन के लिए उत्पाद शुल्क में छूट/मुक्ति प्रदान की जाती है। 

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